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    द्वारका और केएमपी एक्सप्रेसवे किनारे शोधित पानी से छाएगी हरियाली, पाइपलाइन प्रोजेक्ट का काम 95 प्रतिशत पूरा 

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 03:50 PM (IST)

    द्वारका और केएमपी एक्सप्रेसवे के किनारे शोधित पानी से हरियाली लाने की योजना है। पाइपलाइन परियोजना का 95% काम पूरा हो चुका है। इस परियोजना से सिंचाई के ...और पढ़ें

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    केएमपी एक्सप्रेसवे तक पाइप लाइन बिछाने का काम 31 दिसंबर तक पूरा होगा। जागरण 

    संदीप रतन, गुरुग्राम। द्वारका एक्सप्रेसवे और केएमपी एक्सप्रेसवे के किनारे जल्द ही शोधित पानी से हरियाली छाएगी। गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) मानेसर स्थित कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) से शोधित पानी को केएमपी तक पहुंचाने के लिए जिस पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, वह लगभग अंतिम चरण में है।

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    अधिकारियों के अनुसार 95 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और पाइपलाइन 31 दिसंबर के बाद चालू कर दी जाएगी। इसके बाद एक्सप्रेसवे किनारे बड़े पैमाने पर हरियाली को बढ़ावा देने की योजना अमल में आ सकेगी।

    55 एमएलडी सीईटीपी से सीधे एक्सप्रेसवे तक पहुंचेगा पानी

    मानेसर में स्थापित 55 एमएलडी क्षमता वाला सीईटीपी प्रतिदिन औद्योगिक अपशिष्ट जल को शोधित करता है। अब इस पानी का उपयोग सीमित न रहकर व्यापक स्तर पर होगा। जीएमडीए ने तय किया है कि शोधित पानी का अधिकतम उपयोग ग्रीन बेल्ट, एक्सप्रेसवे किनारों, पार्कों और पौधरोपण स्थलों की सिंचाई में किया जाए। इससे न केवल हरियाली बढ़ेगी बल्कि भूजल दोहन पर भी रोक लगेगी। पाइपलाइन के तैयार होते ही केएमपी और द्वारका एक्सप्रेसवे के बीच फैले क्षेत्रों में सिंचाई की समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी।

    1.34 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रही मुख्य पाइपलाइन

    मुख्य पाइपलाइन बिछाने पर करीब 1.34 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। प्राधिकरण के एसई प्रवीण कुमार ने बताया कि तय समयसीमा में कार्य पूरा करने के लिए तेजी से काम कराया जा रहा है। पाइपलाइन तैयार होने के बाद एक्सप्रेसवे के दोनों ओर पौधरोपण को बढ़ावा देने के लिए शोधित पानी की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।

    द्वारका एक्सप्रेसवे किनारे 14.90 करोड़ से बनेगा अलग नेटवर्क

    मुख्य लाइन के साथ-साथ जीएमडीए द्वारका एक्सप्रेसवे के अलग-अलग हिस्सों में शोधित पानी पहुंचाने के लिए सेक्टर-वार पाइपलाइन नेटवर्क भी विकसित करेगा। इस कार्य पर 14.90 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह नेटवर्क उन क्षेत्रों तक पानी पहुंचाएगा जहां ग्रीन बेल्ट और लैंडस्केपिंग की योजना है। प्राधिकरण द्वारा इसी महीने एक एजेंसी को काम सौंपा जाएगा।