बिजली कटौती बढ़ी तो देसी फ्रिज की याद आई
गर्मी के परवान चढ़ने के साथ ही बिजली की आंखमिचौली तेज हो गई है। घोषित और अघोषित बिजली कटौती ने रोजमर्रा की जिंदगी मुश्किल बना दी है। ऐसे में ठंडे पानी ...और पढ़ें

सोनिया, गुरुग्राम
गर्मी के परवान चढ़ने के साथ ही बिजली की आंखमिचौली तेज हो गई है। घोषित और अघोषित बिजली कटौती ने रोजमर्रा की जिंदगी मुश्किल बना दी है। इनवर्टर से लाइट और पंखे तो चल जाते हैं लेकिन फ्रिज नहीं चलते हैं। ऐसे में ठंडे पानी के लिए देसी फ्रिज यानी घड़े और सुराही अब सभी को भा रहे हैं। सोसायटी में रहने वाले हों या स्लम बस्तियों में रहने वाले, सभी इस समय मिट्टी के मटके का ठंडा पानी पीना पसंद कर रहे हैं। सड़कों के किनारे थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मटके-सुराही बेचने वालों ने स्टाल लगाए हुए हैं। मिट्टी से बनी बोतलें भी लोगों को काफी पसंद आ रही हैं।
मिट्टी के बर्तन के विक्रेता श्याम कुमार ने बताया कि गर्मियों के इस सीजन में ही मटके-सुराही की बिक्री सबसे अधिक होती है। तपती गर्मी में सभी को इनका ठंडा पानी ही भा रहा है। सुबह से शाम तक ग्राहक आते रहते हैं। श्याम कुमार ने बताया कि 200 रुपये से लेकर 400 रुपये तक के मटके हैं। पिछले साल जो मटके 100 से 150 रुपये में मिलते थे अब वही मटके 200 रुपये के बिक रहे हैं। साधारण और डिजाइन वाले तथा छोटे मटकों के दाम अलग-अलग है। इसके अलावा सुराही, मिट्टी की बोतलें भी लोगों को खासा आकर्षित कर रही हैं। जून में मटकों की बिक्री और बढ़ेगी। बिजली जाते ही भले ही फ्रिज बंद हो जाएं लेकिन देसी फ्रिज हमेशा पानी ठंडा रखता है।
बिजली कटौती से बढ़ी मटकों की बिक्री
पिछले कई से लंबे समय तक बिजली कटौती होने से सभी लोग परेशान हैं। ऐसे में मिट्टी के मटकों का ठंडा पानी उन्हें काफी राहत पहुंचा रहा है। बिजली कटौती के बाद से मटके बेचने वालों की आय में इजाफा हुआ है। मटके बेचने वाली सुषमा ने बताया कि जब से बिजली की कटौती शुरू हुई है, मिट्टी से बने बर्तन और मटके काफी बिक रहे हैं। मटकों में न केवल ठंडा पानी रहता है बल्कि सेहत के लिए भी मटके का पानी काफी फायदेमंद होता है।

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