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    संस्कारशाला: निरंतर अभ्यास से मिलती है सफलता

    जिस प्रकार पत्थर पर बार-बार रस्सी को खींचने से निशान पड़ जाते हैं। उसी प्रकार बार-बार अभ्यास करने से कोई भी व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है।

    By JagranEdited By: Updated: Wed, 10 Nov 2021 06:15 PM (IST)
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    संस्कारशाला: निरंतर अभ्यास से मिलती है सफलता

    करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवतजात ते सिल पर परत निशान। जिस प्रकार पत्थर पर बार-बार रस्सी को खींचने से निशान पड़ जाते हैं। उसी प्रकार बार-बार अभ्यास करने से कोई भी व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है। निरंतर अभ्यास करना ही साधना का असली अर्थ है। जैसे एक विद्यार्थी के लिए विद्या प्राप्त करना उसके जीवन का महत्वपूर्ण लक्ष्य है, जिसे प्राप्त कर ही वह अपना जीवन सुधार सकता है। उन्नति और सफलता का मूल मंत्र अभ्यास ही है। सफलता के लिए किया गया परिश्रम अभ्यास से ही फलित होता है। एक बार किया हुआ श्रम मन के अनुसार फल नहीं देता। बार-बार के अभ्यास से ही फल मिलता है। चाहे निर्माण कार्य हो, कला कौशल को सीखना हो, किसी लक्ष्य तक पहुंचना हो या विद्या अध्ययन हो सभी कार्यों में सर्वत्र अभ्यास की आवश्यकता है। यहां तक कि प्रतिभावान व्यक्ति भी यदि अभ्यास न करे तो वह आगे नहीं बढ़ सकता। किसी भी रचना में परिपक्वता अभ्यास से ही आती है। अभ्यास के बल पर एकलव्य प्रखर धनुर्धर, कालिदास, वाल्मीकि और तुलसीदास महाकवि, बोपदेव संस्कृत प्राकृत के समर्थ वैयाकरण, अमिताभ बच्चन सदी के महानायक और कपिलदेव सदी के महान क्रिकेटर बने। निरंतर अभ्यास जीवन में साधना का एक रूप है, जिसका सुख साधक को स्वत: मिलता है। संसार के किसी भी क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति बिना अभ्यास के उच्चता या श्रेष्ठता को प्राप्त नहीं कर सकता। मूर्ख व्यक्ति की बात छोड़ ही दीजिए, बुद्धिमान व्यक्ति भी अपनी नैसर्गिक बुद्धिमता के गुण का परिष्कार एवं संवर्धन करने के लिए अभ्यास का ही सहारा लेता है। बिना अभ्यास किए नैसर्गिक गुण भी विलुप्त हो जाते है। किसी भी काम को निरंतर करते रहने से व्यक्ति की कुशलता की क्षमता में अत्यधिक वृद्धि होती है। उसकी उस क्षेत्र में पकड़ मजबूत होती है। उसके कार्य की उत्कृष्टता धीरे-धीरे और अधिक श्रेष्ठ होती जाती हैं। हमारे समाज में ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अटूट साधना की और हम सब के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बनें। डा. एपीजे अब्दुल कलाम का नाम तो हम सभी जानते हैं। वह एक साधारण परिवार में पैदा हुए थे और बचपन में उन्हें प्रकृति और पक्षियों को खुले गगन में उड़ते हुए देखकर ही उन्हें शुरू से एरोनाटिक्स की तरफ झुकाव हुआ। वह बचपन से ही एक बुद्धिमान व जिज्ञासु विद्यार्थी थे और अपनी मेहनत से वह मिसाइल मैन आफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध हुए और उनकी अनगिनत उपलब्धियां हम सबके लिए आज भी प्रेरणादायक हैं। आखिर में मैं यह कहना चाहूंगी कि यदि हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का निश्चय करें और चाहे हमें उसमें बहुत कठिनाइयों का भी सामना करना पड़े पर हम अपने लक्ष्य से न डिगें और निरंतर अभ्यास करते रहें तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

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    - रितु सेठ, वाइस प्रिसिपल, गुरुग्राम ग्लोबल हाइट्स स्कूल