ओल्ड गुड़गांव में अब भी है सब पुराना
गुड़गांव, जासंकें : नेशनल हाईवे से निकल कर बेरी वाला बाग रोड होता हुआ पड़ोस के शिवाजी नगर से निकला। रात में गली को खोद कर छोड़ दिया गया था। पूरी गली सीवर या ड्रेनेज के लिए खुदी है। न तो वहां स्ट्रीट लाइट थी न कोई इंडिकेटर अंधेरे में गाड़ी फंस गई। यह कहना है पुराने शहर के निवासियों का। अनियोजित विकास कार्य का खामियाजा ओल्ड गुड़गांव में हर कोई भुगत रहा है। हुडा के सेक्टरों की तरह यहां आरडब्लूए संगठन भी नहीं बने ताकि लोगों की आवाज प्रशासन तक पहुंच सके। कृष्णा कॉलोनी, अर्जुन नगर, ज्योति पार्क , बलदेव नगर जैसे इलाकों में गाय भैंसों का झुंड गलियों में नजर आता है। यहां सीवरेज में गोबर बहाया जा रहा है। मच्छरों का प्रकोप अलग है। सीवरेज बंद होना मामूली बात है। नगर निगम बनने के तीन साल बाद भी पुराने शहर की एक बड़ी आबादी अपने हाल पर रो रही है। कृष्णा कॉलोनी के राजू बताते हैं गोबर को सीवर में बहाए जाने पर रोक लगाई गई थी मगर उस पर अमल नहीं हो पाया। जैकमपुरा से लेकर मदनपुरी तक कहीं भी शहर मिलेनियम सिटी की तर्ज पर नहीं दिखता। इस संबंध में फोरवा अध्यक्ष धर्म सागर बताते हैं कि लक्ष्मण विहार में लोग सीवर मिला हुआ पानी पी रहे हैं। स्ट्रीट लाइट नहीं है, सड़कें खराब है। इससे तो अच्छा था कि नगर निगम नहीं बनता। पुराने नगर परिषद में कुछ तो बातें सुनी जाती थी। लोगों को तकलीफ इस बात की है कि हुडा के सेक्टरों में नए प्रशासक के आने के बाद समस्याओं का समाधान हुआ है। ओल्ड गुड़गांव की स्थिति जस की तस है।
न वैध हुई न दुर्दशा का ख्याल आया
देवी लाल कॉलोनी में सीवरेज नहीं है। सूअरों के बीच लोग जीवन बसर कर रहे हैं। सूरत नगर, मोहयल कॉलोनी, सूर्या विहार जैसी तमाम अवैध कॉलोनियों के लोग नगर निगम बनने के बाद से स्थिति में सुधार की उम्मीद लगाए बैठे हैं। बगैर बुनियादी सुविधाओं के लोग गांव से ज्यादा बदतर जीवन जीने को मजबूर हैं। दो साल पहले शहर की 74 अवैध कॉलोनियों का व्यापक सर्वे किया गया। 56 कॉलोनियों की सूची भी बनाकर निगम ने भेजी मगर इस कवायद से अवैध कॉलोनियों की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ा।
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