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    कभी-कभी पैदा होती हैं यासीन-तैयब हुसैन जैसी शख्सियत ..

    By Edited By:
    Updated: Wed, 02 Nov 2011 09:33 PM (IST)

    नूंह, जागरण संवाद केंद्र : हजारो साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है,

    बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।

    किसी शायर की ये पंक्तिया बाबा-ए-कौम मरहूम चौधरी मोहम्मद यासीन खा व उनके पुत्र पूर्व सासद एवं तीन राज्यों में मंत्री रहे मरहूम चौधरी तैयब हुसैन पर बिल्कुल सटीक बैठती है। ये मेवात की वो शख्सियतें है जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इन दोनों शख्सियतों की यादों को जिंदा रखने के लिए हर वर्ष चार नवंबर को स्थानीय यासीन मेव डिग्री कालेज में यासीन-तैयब दिवस मनाया जाता है। इसमें हरियाणा, दिल्ली, यूपी व राजस्थान सहित दूरदराज के हजारों लोग शिरकत कर इन हरदिल अजीज शख्सियतों को खिराजे-अकीदत पेश करते है।

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    जिला मुख्यालय नूंह से चार किलोमीटर दूरी पर बसे रेहना गाव के किसान परिवार में चार नवंबर 1896 को मरहूम चौधरी यासीन खान ने अपनी आखें खोली थी। मिडिल परीक्षा में पंजाब में अव्वल स्थान पाकर सेंट स्टीफन कालेज दिल्ली से बीए , अलीगढ़ से एलएलबी कर मेवात के पहले लॉ ग्रेजुएट बन लाहौर हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बने। इसके बाद उन्होने नूंह में ब्रेन मेव हाई स्कूल की स्थापना की। इसके लिए उन्होने गाव-गाव जाकर धन इकट्ठा किया। उन्होने आल इडिया मेव पंचायत की स्थापना की। गुड़गाव जिला परिषद अध्यक्ष व संयुक्तपंजाब में विधायक बनकर हर दो मील पर गावों में स्कूल खुलवाए। इसके अलावा उन्होने किसानों व गरीबों की लड़ाई के लिए कई आदोलन किए। उनके इतकाल के बाद उनके अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाने का जिम्मा तीन राज्यों में मंत्री रहे पूर्व सासद तैयब हुसैन ने संभाली। उन्होने भी मेवात की तरक्की के लिए संघर्ष किया। चौधरी तैयब हुसैन का जन्म सात सितंबर 1936 को हुआ। गुड़गाव से बीए व अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री करने के बाद 1962 में 25 वर्ष से कुछ अधिक की आयु में पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए और मंत्री बने। मेवात से वो पहले मंत्री थे। 1965-78 तक उन्होंने पंजाब वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पद का दायित्व भी संभाला। चौधरी यासीन खा के इतकाल के बाद लोगों ने उन्हें मेवात की 36 बिरादरी का चौधरी चुना। बाद में 1971 में गुड़गांव व 1980 में फरीदाबाद से सासद बने। इसके बाद वे कई बार तावडू से विधायक व मंत्री रहे। वर्ष 1993 में राजस्थान की कामा विधानसभा सीट से विधायक बनकर राजस्थान के कृषि, ग्रामीण विकास तथा स्वास्थ्य मंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने करीब डेढ़ दर्जन मुल्क रोमानिया, हगरी, डेनमार्क, स्वीटजरलैंड, इगलैंड, फ्रास, हालैंड, इटली, जर्मनी, लेबनान, मिश्र, सऊदी-अरब, कुवैत, पाकिस्तान, अमेरिका, इराक व ओमान की यात्रा की। वो देश के पहले ऐसे व्यक्ति थे जो तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में मंत्री रहे है। इस दौरान उन्होंने नूंह में यासीन मेव डिग्री कालेज बनवाया। शिक्षा, स्वास्थ्य के अलावा इलाके के उत्थान के लिए सैकड़ो विकास कार्य किए। लेकिन सात अक्तूबर 2008 को दिल का दौरा पड़ने से उनका इतकाल हो गया। उनकी विरासत व 36 बिरादरी की चौधरी की पगड़ी को अब उनके पुत्र एवं पूर्व विधायक जाकिर हुसैन संभाल रहे है। क्षेत्र की भलाई का जिक्र आते ही इन दोनों शख्सियतों को याद किया जाता है। चार नवंबर को यासीन मेव डिग्री कालेज में यासीन-तैयब दिवस मनाया जा रहा है। इसमें हजारों लोगों के वहां खिराजे-अकीदत पेश किए अर्पित करेगे।

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