तेज आंधी-तूफान से शहर भर में 700 पेड़ गिरे
सोमवार सुबह की तेज आंधी के बाद हुई झमाझम बारिश चलते शहर की अधिकांश मुख्य सड़कों कालोनी में बड़ी तादाद में पेड़ टूटकर गिर गए। कुछ जगहों पर पेड़ों के गिरने से हादसे टलने से बाल-बाल बचे और कुछ जगहों पर पेड़ों के गिरने से गाड़ियों में नुकसान भी हुआ।

संवाद सहयोगी, नया गुरुग्राम :
सोमवार सुबह की तेज आंधी के बाद हुई झमाझम बारिश चलते शहर की अधिकांश मुख्य सड़कों, कालोनी में बड़ी तादाद में पेड़ टूटकर गिर गए। कुछ जगहों पर पेड़ों के गिरने से हादसे टलने से बाल-बाल बचे और कुछ जगहों पर पेड़ों के गिरने से गाड़ियों में नुकसान भी हुआ।
तेज हवाओं के चलते डीएलएफ फेज चार स्थित गलेरिया सेक्टर रोड पर करीब दस बड़े पेड़ गिर गए। देर शाम तक भी प्रशासन की तरफ से पेड़ों को हटाने का कोई इंतजाम नहीं किया गया। डीएलएफ फेज एक स्थित सी-ब्लाक की लेन आठ में भारी-भरकम पेड़ चार गाड़ियों पर गिर गया। इसकी वजह से गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई। इसके अलावा दोनों फेजों में दर्जन भर से अधिक पेड़ गिर गए। ए-ब्लाक ग्रीनवुड सिटी के मुख्य द्वार पर भारी-भरकम पीपल का पेड़ गिरा, यहां से गुजर रही गाड़ी बाल-बाल हादसे से बची। इसके अलावा शहर के खांडसा रोड, मोर चौक, कबीर भवन चौक, कृष्णा कालोनी, सेक्टर-चार, सात, नौ, सिविल लाइन में पेड़ों के गिरने की घटनाएं सामने आई। नगर निगम गुरुग्राम के बागवानी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह की तेज आंधी और हवाओं के चलते शहर भर में करीब 700 से 800 पेड़ गिरे हैं। इसके अलावा शहर के पार्को में भी पेड़ों के गिरने की जानकारी प्राप्त हुई है।
परेशान हुए स्कूली बच्चे :
सुबह आई आंधी और बारिश में गिरते पेड़ अभिभावकों की जान सांसत में डाल रहे थे। इस आंधी में बच्चों को स्कूल भेजना उन्हें मंजूर नहीं था, लेकिन अधिकतर स्कूलों में परीक्षाएं और सोमवार के टेस्ट के चलने के कारण उन्हें मजबूरन भेजना पड़ रहा था। अभिभावकों ने स्कूलों के प्रबंधन को संपर्क करना शुरू किया और क्लास टीचर्स को संदेश भेजे। ऐसे में स्कूलों ने स्थिति को देखते हुए टेस्ट आगे बढ़ा दिए। कुछ स्कूलों ने समय रहते अवकाश की घोषणा कर दी तो कुछ ने अभिभावकों को संदेश भेजे कि अगर उनके बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं तो टेस्ट रीशेल्यूल कर दिए जाएंगे। जो अभिभावक निकल चुके थे वे जाम में फंसे रहे। ऐसे में कुछ स्कूलों में विद्यार्थी देरी से पहुंचे। जब तक बच्चे घरों को नहीं पहुंच गए, अभिभावकों को राहत नहीं मिली।

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