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    धूप में रखा पानी पीने से पक्षियों की जा रही जान

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 20 Apr 2017 07:57 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : लोग गर्मी में अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए पानी रखते हैं, जो धूप के ...और पढ़ें

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    धूप में रखा पानी पीने से पक्षियों की जा रही जान

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : लोग गर्मी में अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए पानी रखते हैं, जो धूप के कारण गर्म हो जाता है। यह गर्म पानी पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। गर्म पानी पीने से पक्षी हीट स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं।

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    पक्षियों पर भारी पड़ रहा मौसम का मिजाज

    लगातार गर्म होता मौसम पक्षियों पर भारी पड़ रहा है। हीट स्ट्रोक का शिकार होने वाले कई पक्षी रोजाना जैन समाज द्वारा जैकबपुरा में चलाए जा रहे पक्षी अस्पताल में लाए जा रहे हैं। शहर में प्राकृतिक जल स्त्रोत नहीं होने के कारण उन्हें पानी नहीं मिल रहा है। लोग अपने घरों की छतों पर पक्षियों के लिए पानी तो रखते हैं, लेकिन धूप के कारण यह पानी गर्म हो जा रहा है। जो उन्हें नुकसान पहुंचाता है। पक्षियों के चैरिटेबल अस्पताल के डा. राजकुमार ने बताया कि हीट स्ट्रोक का शिकार हुए पक्षी अस्तपाल में लाए जा रहे हैं। लोगों को पक्षियों के लिए पानी ऐसी जगह रखनी चाहिए, जहां छाया हो।

    पक्षियों को रंग कर बेचना पक्षियों के प्रति क्रूरता

    लोग पक्षियों के विक्रेताओं से रंगे हुए चूजे खरीदते हैं। मुर्गी के छोटे चूजों को व्यापारी पीले, लाल, हरे रंगों को रंग कर बेच रहे हैं। इन दिनों कई रंगीन चूजे भी अस्पताल में बीमार होने के कारण लाए गए। पक्षियों के डाक्टर का कहना है कि रंगों का केमिकल पक्षियों की संवेदनशील त्वचा के लिए काफी खतरनाक होता है। पक्षियों के रंगे जाने पर रोक लगाई जानी चाहिए। अस्तपाल में पिछले दिनों कई बजरी (आस्ट्रेलियन बर्ड) लाई गई जिसके पैर चूहों ने खा लिए थे। दुकानदारों की लापरवाही के कारण इन पक्षियों के ¨पजरे में जाकर चूहों ने उनके पैर कुतर दिए। दुकानदार पक्षियों को उनके अनुकूल परिस्थितियों में नहीं रखते।

    गर्मी में पशु पक्षी भूख से नहीं पानी की कमी से मरते हैं। उनके लिए मिट्टी के बर्तन में छायादार जगह पर पानी रखा जाना चाहिए। पक्षियों की त्वचा रंग को अवशोषित कर लेती है। रंगों में लेड की मात्रा पक्षियों के लिए खतरनाक है। पशु पक्षी बेचने वालों के लिए नगर निगम ने करीब सात साल पहले गाइड बनाए थे। जो उनके प्रति क्रूरता को रोकने वाले हैं लेकिन उनका पालन नहीं हो रहा है।

    - डा. एसपी गौतम, एनिमल वेलफेयर सोसायटी, डॉक्टर्स फोरम।