स्टे¨कग के जरिए सात फीट ऊंचे पौधों पर लगेंगे टमाटर
फोटो- 26 जीयूआर 15 जेपीजी -बागवानी विभाग जिले के किसानों से टमाटर की उन्नत किस्मों की करवा रहा ह ...और पढ़ें

फोटो- 26 जीयूआर 15 जेपीजी
-बागवानी विभाग जिले के किसानों से टमाटर की उन्नत किस्मों की करवा रहा है बुवाई
- 25 एकड़ में 50 किसानों से करवाएगा खेती
-पहली बार स्टे¨कग से हो रही है खेती
संदीप रतन, गुरुग्राम : फार्मिग की हाइटेक तकनीक स्टे¨कग के जरिए छह से सात फीट ऊंचे पौधों पर टमाटर की फसल लगेगी। देश में इस तकनीक की शुरुआत पिछले कुछ सालों में ही हुई है। गुरुग्राम में टमाटर स्टे¨कग तकनीक से पहली बार उगाया जा रहा है। जिला बागवानी विभाग ने टमाटर की दो सबसे उन्नत किस्मों के बीजों की बुवाई करवाई है। इन किस्मों की खास बात यह है कि इनके पौधों की लंबाई करीब छह से सात फीट तक हो जाती है। एक पौधे से आठ से नौ किलोग्राम टमाटर का उत्पादन होता है। बागवानी विभाग ने टमाटर की हिमशिखर और हिमसोना किस्म की बुवाई जिले के फरुखनगर क्षेत्र में करवाई है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पॉलीहाउस के अंदर इन किस्मों की बुवाई होती थी, लेकिन स्टे¨कग तकनीक से खुले में पहली बार यहां पर टमाटर उगाया जा रहा है।
क्या है स्टे¨कग
स्टे¨कग में जमीन से थोड़ा ऊपर पाल बनाकर टमाटर की बुवाई की जाती है। बीच-बीच में उचित दूरी बनाकर जमीन में बांस को खड़ा किया जाता है। बांसों के ऊपर तार बांधे जाते हैं। टमाटर बेलों की तरह इन बांस के ऊपर चढ़कर तारों पर फैल जाते हैं, जिससे टमाटर का उत्पादन का भी अच्छा होता है।
नई तकनीक बदल रही किसानों की ¨जदगी
डार्क जोन में शामिल और पूरी तरह से ट्यूबवेल और बरसाती पानी पर निर्भर होने के बावजूद जिले के जागरूक किसान सब्जी उत्पादन में अव्वल हैं। नई तकनीक के रूप में प्लास्टिक मल्च लगाना और ड्रिप इरिगेशन करना भी शामिल है। टमाटर की फसल साल में तीन बार ली जाती है। इसके लिए मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी फरवरी में बुवाई की जाती है। इस समय सितंबर अक्टूबर में टमाटर की बुवाई की जाती है, जिसकी फसल साठ दिन बाद यानी दिसंबर-जनवरी में आती है। उन्नत किस्म के बीज और नई तकनीक से टमाटर की खेती की जाए तो एक हैक्टेयर में 50 टन से अधिक की उपज ली जा सकती है।
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स्टे¨कग तकनीक से खेती करने वाले किसानों को बागवानी विभाग की ओर से सब्सिडी दी जा रही है। स्टे¨कग से टमाटर की खेती जिले में पहली बार की जा रही है। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
-डॉ. दीन मोहम्मद, जिला बागवानी अधिकारी गुरुग्राम।

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