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    बच्चों में डालें धन संचय की प्रवृत्ति

    By Edited By:
    Updated: Wed, 09 Nov 2016 06:45 PM (IST)

    जीवन में सफलता के लिए मनी मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। पैसों का महत्व जिसने नहीं समझा उसे जीवन में बहुत ...और पढ़ें

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    जीवन में सफलता के लिए मनी मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। पैसों का महत्व जिसने नहीं समझा उसे जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

    जीवन में बचत अथवा संचय का उतना ही महत्व है जितना कि आमदनी का। इंसान की आमदनी कितनी ही अधिक हो परंतु यदि उसमें संचय की प्रवृत्ति नहीं है तो उसे समय-समय पर अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मनुष्य का जीवन विभिन्न उतार-चढ़ावों से भरा हुआ होता है। सुख और दुख जीवन के अभिन्न अंग हैं। करोड़पति व्यक्ति भी दूसरे पल ही कंगाली की अवस्था में पहुंच सकता है । इन परिस्थितियों में मनुष्य की बचत अथवा संचय की प्रवृत्ति उसे उबारने में विशेष सहायता प्रदान करती है। ऐसे में शुरुआती स्तर से बच्चों में इस प्रवृति का संचार करना चाहिए।

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    बचत का तरीका उसी को आ सकता है जो मनी मैनेजमेंट या धन प्रबंधन के बारे में जान सके। वास्तविक रूप में बचत आमदनी का ही एक रूप है। थोड़ी सी सावधानी और विवेक से अनेक अनावश्यक खर्चों से बचा जा सकता है तथा उस बचत को विशेष आवश्यकता की स्थिति में प्रयोग में लाया जा सकता है। अक्सर यह सुनने में आता है कि धनी व्यक्ति कंजूस होते हैं परंतु यदि हम विवेकपूर्ण दृष्टि से देखें तो वे अनेक अनावश्यक खर्चों से बचते हैं। बिना बचत को पूर्ण महत्ता दिए हुए कोई भी व्यक्ति धनवान नहीं बन सकता है। पैसे अथवा धन की बचत ही महत्वपूर्ण है, आवश्यक नहीं; मनुष्य अनेक रूपों में जीवन में बचत कर सकता है ।समय अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक बार गुजरा हुआ समय दुबारा वापस नहीं लौटता है। ऐसे में मनुष्य के लिए समय की बचत व उसके महत्व को समझना अत्यंत आवश्यक है। अपने छात्र जीवन में जो विद्यार्थी समय के महत्व को नहीं समझते हैं, व्यर्थ में अपना समय गंवाते हैं वे जीवन बाद में कष्ट पाते हैं। वहीं दूसरी ओर वे छात्र जो समय को व्यर्थ नहीं गंवाते और उसके महत्व को समझते हुए अपना सारा ध्यान अपनी शिक्षा व अपने व्यक्तित्व के विकास पर केंद्रित करते हैं वही आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर या उच्च पदों पर आसीन होते हैं और एक गौरवांवित व सफल जीवन व्यतीत करते हैं। रोजाना की की थोड़ी-थोड़ी बचत भी भविष्य में बड़ी राशि बन जाती है जिससे वह अपने सपनों को साकार कर सकता है अथवा कठिनाइयों के दौर में उनका सहारा ले सकता है । एक-एक करके लाख रुपए बनाना, एक साथ एक लाख रुपये पाने की तुलना में अधिक आसान व सहज है। वे व्यक्ति जो बचत को महत्व नहीं देते हैं वे प्राय: धन के अभाव में जीते हैं । आज सभी बड़ी कंपनियां भी छोटी-छोटी बचतों को प्रोत्साहन देती हैं । सभी प्रमुख कार्यालयों में आर्थिक प्रबंधन हेतु अलग विभाग होता है जो अपने कार्यालय की आमदनी के साथ बचत का भी लेखा-जोखा रखता है। बचत अथवा संचय किसी भी अवस्था में हो, चाहे वह धन की बचत हो या फिर समय व ऊर्जा की, सभी अवस्थाओं में इसे प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए । बचत हमारे सुखमय जीवन के लिए आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य है । हमारी छोटी-छोटी बचत हमारा ही नहीं बल्क हमारे परिवार व आने वाली पीढि़यों को प्रभावित करती है। यह एक पूर्ण यथार्थ है कि आज की बचत ही कल का सहारा है। हम सभी को बचत के महत्व को समझना चाहिए तथा यथासंभव धन के से बचना चाहिए । वर्तमान में भारत सरकार ने भी अल्प बचत को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक आवश्यक कदम उठाए हैं।

    बच्चों को यह बताया जाना चाहिए कि वे पैसों का खर्च किस तरह से करें। उन्हें शुरु से ही इसका महत्व बताते हुए अल्पव्ययी बनाने पर ध्यान देना चाहिए। माता पिता को चाहिए कि भले ही कितना भी पैसा क्यों न हो लेकिन बच्चे के हाथ में खुले रूप से अधिक पैसा न दें। उसकी जरूरतों को पूरा करने के तो खर्च करें लेकिन उसकी जिद को पूरा करने के लिए नहीं। उन्हें समझाएं कि फालतू खर्च से पैसों की हानि होती है। उन्हें यह बताएं कि कैसे कम पैसों में काम चलाया जा सकता है। उन्हें टास्क देकर समझाया जा सकता है कि इतने पैसों में पूरा महीना निकालना है। बच्चे ऐसा काम करेंगे कि वे आपके दिए लक्ष्य को पा सकें। ऐसा करने पर अभिभावक उनकी सराहना करें। बच्चे का उत्साह वर्धन होगा व धीरे धीरे पैसों को सही तरीके से खर्च करने की उसकी आदत पड़ जाएगी। स्कूलों में भी यह सिखाया जाना चाहिए।

    - पूनम भाटिया, प्राचार्य, विवेकानंद ग्लोबल स्कूल।