डिस्टोनिया बीमारी से ग्रस्त पर¨वद्र के हौसलों को दैनिक जागरण ने लगाए पंख
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम डिस्टोनिया नामक बीमारी से ग्रस्त पर¨वद्र कौशिक कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी ...और पढ़ें

अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम
डिस्टोनिया नामक बीमारी से ग्रस्त पर¨वद्र कौशिक कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे। उन्हें शहर के द्रोणाचार्य कॉलेज में दाखिला मिल गया है। कई वर्ष पढ़ाई से दूर रहने के कारण नियम आड़े आ रहे थे जिसके चलते कौशिक को दाखिला नहीं मिल रहा था। कॉलेज प्रबंधक का कहना था कि कई साल तक पढ़ाई छूटने के बाद फिर दाखिला लेने की प्रक्रिया में अंतर होता है। जिस कारण उसे दाखिला नहीं दे सकते। दैनिक जागरण ने कौशिक को दाखिला नहीं मिलने के मुद्दे का उठाया था। जिसके बाद सरकार ने उन्हें दाखिला दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
दरअसल पर¨वद्र करीब 6-7 वर्ष का था, जब वो डिस्टोनिया नामक बीमारी से ग्रस्त हो गया था। यह बीमारी एक स्वस्थ व्यक्ति को धीरे धीरे पूरी तरह से टेढ़ा- मेढ़ा कर देती है और पर¨वद्र के साथ भी ऐसा हुआ। बीमारी से ग्रस्त होते हुए पर¨वद्र ने 2006 में 12वीं कक्षा पास की थी, लेकिन 2008 में उनकी ब्रेन सर्जरी एम्स में हुई। जिसका कई वर्ष लंबा इलाज चला। यही कारण था कि उसे कई वर्ष शिक्षा से दूर रहना पड़ा। पर¨वद्र एक बार फिर पढ़ना चाहता है लेकिन कॉलेज में उसे दाखिला इसलिए नहीं दिया जा रहा था कि उन्हें पढ़ाई छोड़े कई वर्ष हो गए।
दाखिला नहीं होने कारण डिप्रेशन से ग्रस्त हुआ :
पर¨वद्र पढ़ना चाहता था लेकिन उन्हें दाखिला नहीं मिलने कारण वो धीरे धीरे डिप्रेशन में जा रहा था। जिस कारण पर¨वद्र को उनके पिता महेंद्र कौशिक जिला नागरिक अस्पताल में मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. ब्रह्मदीप ¨सधू के पास इलाज के लिए लाया गया। डॉ. ¨सधू ने पर¨वद्र ने जाना कि वो पढ़ना चाहते हैं और दाखिला नहीं होने कारण वो डिप्रेशन में जा रहा है। उसी समय डॉक्टर सिंधू ने ठान ली थी कि उसका दाखिला कराया जाएगा, क्योंकि पर¨वद्र को बीमारी नहीं है। डॉ. ने पर¨वद्र के इस मुद्दे को दैनिक जागरण के माध्यम से उठवाया।
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हमें यह सूचना दैनिक जागरण के माध्यम से मिली थी। उसके बाद मेरी डॉ. ¨सधू से बात हुई। फिर हमने ठान लिया था कि पर¨वद्र के हौसले को पंख लगाएंगे। मैं उसमें कामयाब रहा हूं और उस बच्चे के लिए कुछ कर पाया, इसकी मुझे खुशी है।
-राज निर्भीक कटारिया, आयुक्त, हरियाणा दिव्यांगजन आयोग।
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दैनिक जागरण, डॉ. ¨सधू और राज निर्भीक का धन्यवाद। अब मेरा बेटा दोबारा कॉलेज में पढ़ पाएगा।
-महेंद्र कौशिक, पर¨वद्र के पिता।
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यह श्रेय पूरी तरह से दैनिक जागरण व राज निर्भीक को जाता है, जो पर¨वद्र की आवाज बने।
-डॉ. ब्रह्मदीप ¨सधू, मनोरोग विशेषज्ञ।

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