सीएम ने की थी प्रतीक चिन्ह की परिकल्पना
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : हरियाणा स्वर्ण जयंती उत्सव के प्रतीक चिन्ह की परिकल्पना हरियाणा के मुख्यम
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : हरियाणा स्वर्ण जयंती उत्सव के प्रतीक चिन्ह की परिकल्पना हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने की थी और परिवर्धन मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर द्वारा किया गया था। इस प्रतीक चिन्ह का डिजाइन सुनील कुमार ने किया।
लोगो में सुनहरी पृष्ठभूमि के साथ गीता संदेश की प्रतिकृति, श्वेत शंख का चित्र, प्रदेश के गठन के 50 वर्ष का चित्रण, हरियाणा का मानचित्र, 'हरियाणा स्वर्ण उत्सव' 1 नवम्बर, 2016 31 अक्टूबर 2017 के नीचे एक तीर शामिल हैं।
प्रतीक चिन्हं (लोगो) के डिजाइन में रंग एक मुख्य तत्व है औैर पहचान स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस संदर्भ में रंग का महत्व मानव दृश्य धारणा यांत्रिकी के कारण है, जिसमें रंग और इसकी विषमता ²श्य विस्तार का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शंख को अंग्रेजी में 'कोंच शैल' कहा जाता है। आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार शंख एक बहुत ही शुभ वस्तु है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले शंखनाद किया जाता है। जब शंखनाद होता है, तो इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। हरियाणा स्वर्ण जयंती समारोह के प्रतीक चिन्ह में बना शंख स्वर्ण जयन्ती समारोह के भव्य शुभारंभ और सकारात्मक ऊर्जा तथा प्रदेशभर में आपसी भाइचारे की सद्भावना के वातावरण का प्रतीक है।
शंख जल धारण करने के लिए प्रयोग किया जाता है और शंख में धारण किए गए जल को गंगा जल के समान पवित्र माना जाता है। शंख समुद्र मंथन से प्राप्त हुई 14 वस्तुओं में से एक है। महाकाव्य हस्तलिपियों में 'शंख' को प्रसिद्धी एवं समृद्धि प्रदाता बताया गया है। हरियाणा स्वर्ण जयन्ती समारोह के प्रतीक चिन्हं (लोगो) में शंख का प्रयोग समृद्ध हरियाणा का चित्रण है। इसकी एक और विशेषता यह भी है कि शंखनाद से निकलने वाली तरंगें वातावरण में रोगों के कीटाणुओं को नष्ट करती हैं।
वातावरण में तीन प्रकार की आवृत्तियां हैं - नामत: 'सत', प्रभावी 'रज' प्रभावी और 'तम' प्रभावी। इनमें से 'रज' और 'तम' प्रभावी आवृत्तियों से कष्टदायक तरंगें उत्पन्न होती हैं। 'सत' आवृत्ति का 'रज' और 'तम' आवृत्तियां विरोध करती हैं ताकि 'सत' आवृत्ति के प्रवाह में रूकावट उत्पन्न हो। इसके अतिरिक्त, चैतन्य का एक सुरक्षात्मक कवच भी बन जाता है।
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