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    अभिमन्यु ने तोड़ डाला यूपीएससी का 'चक्रब्यूह'

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    Updated: Thu, 12 May 2016 01:00 AM (IST)

    अनिल भारद्वाज, गुड़गांव : मां के कहने पर लंदन से वतन लौटने वाले अभिमन्यु गहलोत ने ऑल इंडिया सिविल सर्

    अनिल भारद्वाज, गुड़गांव : मां के कहने पर लंदन से वतन लौटने वाले अभिमन्यु गहलोत ने ऑल इंडिया सिविल सर्विस की परीक्षा में 38वां रैंक हासिल किया है। सोनीपत जिले के गांव फरमाणा के मूल निवासी अभिमन्यु के पिता विरेंद्र सिंह गहलोत का कहना है कि यह कामयाबी अभिमन्यु ने नौकरी करते हुए हासिल की है। इन दिनों पटना में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की तरफ से काम कर रहे हैं। अभिमन्यु ने 10वीं कक्षा में 95 प्रतिशत व डीपीएस आरकेपुरम से 12वीं में 96 प्रतिशत अंक हासिल करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कामर्स से बीए की पढ़ाई की थी। इसके बाद लंदन कैंब्रिज विश्वविद्यालय से एम-फिल की डिग्री हासिल की। फिर रवांडा में नौकरी ज्वाइन कर लिया। लेकिन बाद में मां निर्मल गहलोत ने बेटे को अपने देश में ही आकर काम करने के लिए कहा।

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    परिवार परिचय

    अभिमन्यु के परिवार में शिक्षा हमेशा ही प्राथमिकता रही। दादा शेर सिंह गहलोत ने 1936 में बीए पास कर एफसीआई से रिटायर्ड हुए। ताऊ राघवेंद्र सिंह गहलोत गुड़गांव सेक्टर नौ गर्वमेंट कॉलेज के प्राचार्य के पद से रिटायर्ड हुए हैं, जिनकी हौसला अफजाई की बदौलत आज अभिमन्यु सिविल सर्विस करने में कामयाब रहा। पिता, विरेंद्र सिंह गहलोत, रिटायर्ड पीडब्ल्यूडी विभाग एसडीओ। माता, निर्मल गहलोत मुख्यध्यापक गांव डूंडाहेडा गांव। बड़ा भाई, रोहित गहलोत, होण्डा स्कूल में मैनेजर पद पर कार्यरत हैं। बड़ी बहन भावना भी बैंक में कार्यरत हैं।

    प्रथम प्रयास में कामयाबी

    आप अपने सब्जेक्ट की बेहतर तैयारी करने के साथ न्यूज पेपर के करीब रहें। आपके लिए राह आसान रहेगी। कैंब्रिज से निकलने के बाद मेरी चाह थी कि लोगों के लिए काम करूं। इसी लिए रवांडा जाना भी पसंद किया। लेकिन मेरे ताऊ व मेरी मां का मुझ पर सिविल सर्विस करने का दबाव था। अगर आज मैं आइएएस के लिए चयनित हुआ हूं तो मेरे पिता का बड़ा योगदान रहा कि उन्होंने स्कूली दौर में मुझे बड़ी सहायता की। जहां भी मुझे तैनाती मिलेगी, वहां के लोगों के लिए काम करने मकसद रहेगा।

    -अभिमन्यु गहलोत, आइएएस के लिए चयनित।