गुड़गांव का पौराणिक नाम है गुरुग्राम
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : साइबर सिटी गुड़गांव का पौराणिक नाम गुरुग्राम है। कालांतर में नाम का अपभ्रं
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : साइबर सिटी गुड़गांव का पौराणिक नाम गुरुग्राम है। कालांतर में नाम का अपभ्रंश गुड़गांव कर दिया गया। इसी कारण अब एक बार फिर से गुरुग्राम नाम रखने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश सरकार का मानना है कि गुरुग्राम नाम से सांस्कृतिक विरासत की अनुभूति होगी।
विद्वानों के मुताबिक, महाभारत काल के गुरु द्रोणाचार्य की वजह से ही इस जगह का गुरुग्राम नाम पड़ा था। उनसे न केवल पांडव एवं कौरव बल्कि अधिकतर साम्राज्यों के राजकुमारों, युवराजों व अन्य भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचते थे। सभी इस जगह को गुरुग्राम कहा करते थे। भगवान श्रीकृष्ण भी गुरु द्रोणाचार्य से गुरुग्राम में मिलने के लिए आया करते थे। गुरु द्रोणाचार्य की शादी कृपाचार्य की बहन कृपी से हुई थी। माता कृपी को ही कालांतर में माता शीतला के नाम से जाना जाने लगा। आज शीतला माता मंदिर उत्तर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
नाम बदलवाने के लिए लंबा संघर्ष
जब देश के ऊपर मुगलों एवं मुस्लिम राजाओं का शासन था, उस दौरान न केवल सांस्कृतिक धरोहरों को खत्म करने का प्रयास किया गया बल्कि सांस्कृतिक आधार पर रखे गए जगहों के नामों को बदलने का प्रयास किया गया। इसी दिशा में गुरुग्राम नाम को भी गलत तरीके से गुड़गांव कहकर पुकारे जाने लगा। धीरे-धीरे यही अपभ्रंश नाम मूल नाम हो गया। अपभ्रंश नाम को ठीक कराने के लिए संघर्ष अंग्रेजों के शासन के दौरान भी चला लेकिन सफलता नहीं मिली। आजादी के बाद से कई संगठन खासकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं संबंधित संगठन नाम बदलवाने को लेकर प्रयासरत हैं। काफी लोग व्यक्तिगत स्तर पर लगातार प्रयास करते रहे। अब सफलता मिलती हुई दिखाई दे रही है।
आरएसएस की वजह से लिया निर्णय
यह ठीक है कि नगर निगम ने प्रस्ताव पारित कर गुड़गांव का गुरुग्राम करने की सिफारिश प्रदेश सरकार से की लेकिन सच्चाई यही है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वजह से ही प्रदेश सरकार ने नाम बदलने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री संघ पृष्ठभूमि से आते हैं। बताया जाता है कि वे भी संघ या संबंधित संगठनों के कार्यक्रमों में गुड़गांव को गुरुग्राम नाम से संबोधित करते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद ही संवैधानिक मजबूरीवश वह गुड़गांव नाम से संबोधित करते हैं।
विकास की आंधी में गुम हो गई पौराणिक पहचान
विकास की आंधी में धीरे-धीरे पौराणिक पहचान गुम होती चली गई। पुराने गुड़गांव के भी अधिकतर लोगों को खासकर नई पीढ़ी के लोगों को नहीं पता कि इसका नाम पहले गुरुग्राम भी था। जहां पहले शहर की पहचान शीतला माता मंदिर, गांव खांडसा स्थित एकलव्य मंदिर, द्रोणाचार्य मंदिर, द्रोणाचार्य कॉलेज आदि कुछ धार्मिक स्थल एवं शिक्षण संस्थानों की वजह से थी वहीं अब शहर की पहचान मल्टीनेशनल कंपनियों एवं गगनचुंबी इमारतों की वजह है। दिल्ली मेट्रो एवं रैपिड मेट्रो की वजह से है। सेक्टर 29 स्थित किंग्डम आफ ड्रीम्स आदि की वजह से है।
पौराणिक नाम से संस्कृति की अनुभूति
यदि किसी जगह का नाम गलत कर दिया गया तो क्या उसे ठीक नहीं किया जाना चाहिए। क्या इससे पहले ऐसा नहीं किया गया। अपनी संस्कृति की रक्षा करना, अपनी संस्कृति का सम्मान करना गलत है क्या? गुरुग्राम नाम से भारत की हजारों साल पुरानी संस्कृति का आभास होगा। आने वाली पीढि़यों अपनी संस्कृति के बारे में जागरूक होंगी। प्रदेश सरकार का निर्णय दर्शाता है कि सरकार अपनी सभ्यता व संस्कृति के प्रति कितना गंभीर है।
- विजय कुमार, सह प्रांत प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हरियाणा
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