एडवांस : गुड़गांव के शिवालय - घंटेश्वर मंदिर
मनोकामना पूरी करने के लिए घंटा चढ़ाते हैं श्रद्धालु 5 जीयूआर 1 पुराने शहर में एक प्राचीन शिवालय ...और पढ़ें

मनोकामना पूरी करने के लिए घंटा चढ़ाते हैं श्रद्धालु
5 जीयूआर 1
पुराने शहर में एक प्राचीन शिवालय लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र है। घंटेश्वर मंदिर में हर मौसम में श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। लोग बताते हैं कि मंदिर कई सौ साल पुराना है।
तैयारियां
महाशिवरात्रि के लिए मंदिर को रंगीन बत्तियों से सजाया जा रहा है। सुबह से ही जलाभिषेक के लिए लोगों का कतारें बनेंगी, इसके लिए भी व्यवस्था की जा रही है। हालांकि मंदिर का प्रांगण काफी बड़ा है और पूजा में लोगों बहुत असुविधा नहीं होती, बावजूद इसके मंदिर प्रबंधन तैयारी में जुटा है। मंदिर परिसर में महाशिवरात्रि पर विशेष भंडारे का आयोजन होगा। शिव रात्रि में रात में विशेष रूद्राभिषेक भी इस मंदिर में होगा।
इतिहास
इस मंदिर के नए भवन और साथ लगी धर्मशाला के निर्माण का वर्ष इसके मुख्य द्वार पर 1961 लिखा है, मगर लोग बताते हैं कि बहुत पहले इस जगह कोई कंपनी हुआ करती थी, इसके परिसर में प्राचीन काल से यह मंदिर था। पुराना गुड़गांव इसी जगह के आस-पास बसा था, इसलिए मंदिर पूरे शहर के लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। पुराने गुड़गांव में किसी के घर में शादी या बच्चा होने पर इस मंदिर में पूजा करने की परिपाटी है।
विशेषता-अर्द्घनारीश्वर स्वरूप
घंटेश्वर मंदिर में शिवलिंग का अर्द्धनारीश्वर रूप है। मंदिर के रघुवर शास्त्री के मुताबिक अर्द्धनारीश्वर शिव लिंग की पूजा का महत्व ज्यादा होता है। लोग मनोकामनाएं पूर्ण होने पर मंदिर में घंटा अर्पित करते हैं। मुख्य मंदिर में कई घंटे लटके हुए दिखते हैं। मंदिर परिसर में भगवान शिव परिवार की मूर्तिया भी स्थापित हैं। मंदिर में भगवान शिव के अलावा राधा कृष्ण, मां दुर्गा, सीता राम, हनुमान, भगवान विष्णु आदि की भी मूर्तियां स्थापित की गई हैं। शनि और नवग्रह मंदिर मंदिर का एक और हिस्सा है।
मंदिर से जुड़े लोगों ने कहा
शिवलिंग का स्वरूप अर्द्धनारीश्वर होने के कारण यहां की मान्यता ज्यादा है। वर्षो से इस मंदिर के अन्न क्षेत्र में दोपहर 12 बजे से दो बजे तक गरीबों को भोजन कराने की परंपरा रही है। कई संगठन इसके लिए दान देते हैं। इस परंपरा का निर्वाह वर्ष भर होता है।
-प्रदीप कौशिक, महासचिव घंटेश्वर मंदिर कमेटी।
घंटेश्वर मंदिर शहर का प्राचीन मंदिर है। लोगों में इस मंदिर के प्रति बहुत आस्था और विश्वास है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति 41 दिनों तक यहां शिव लिंग पर जल चढ़ाता है, उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। मंदिर में हमेशा साधु संत ठहरते हैं, धर्मशाला आम लोग के लिए है और हर रोज लोगों को भोले के भंडारे के प्रसाद मिलता है।
सुभाष शर्मा, मंदिर प्रबंधक
-- पूनम, चार मार्च

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