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    दूसरी बार किसी मेवाती नेता का मंत्रीमंडल में नहीं रहा कोई साझा

    By Edited By:
    Updated: Mon, 27 Oct 2014 08:25 PM (IST)

    एसडी जैन,मेवात : सूबे में बनी भाजपा सरकार में यह ऐसा मौका है, कि मेवात का सरकार में कोई साझा नहीं हो

    एसडी जैन,मेवात : सूबे में बनी भाजपा सरकार में यह ऐसा मौका है, कि मेवात का सरकार में कोई साझा नहीं हो पाया। मेवात की जनता ने इस बार भी लहरों के खिलाफ चलने नूंह, फिरोजपुर झिरका व पुन्हाना तीनों सीटों पर भाजपा के तीनों प्रत्याशियों को हरा दिया। दो सीट इनेलो व एक निर्दल प्रत्याशी की झोली में डाल दी है। हालाकि निर्दल विधायक बने रहीश खान ने बिना शर्त व बिन मागे ही नई सरकार को अपना समर्थन दे दिया है। लेकिन मंत्रीमंडल में मंत्री या संसदीय सचिव बनकर हिस्सेदारी से इस बार तो वंचित रहना तय ही है। राजनीति के जानकार मानते है कि 1972 के विधानसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका है कि मंत्रीमंडल में मेवात के किसी नेता की सक्रिय हिस्सेदारी नहीं रहेगी। यहा के एडवोकेट शफी मोहम्मद बताते है कि संयुक्त पंजाब की विधानसभा में सबसे पहले कैबिनेट मंत्री बनने वाले मेवाती नेता व फिरोजपुर झिरका से विधायक चौधरी तैयब हुसैन थे। बाद में वे हरियाणा और राजस्थान में भी मंत्री रहे थे। तीन राज्यों में मंत्री पद पर रहने का रिकार्ड भी पूरे देश में इसी धुरधर मेवाती नेता के नाम बना हुआ है। 1967 में चुनी विधानसभा में नूंह के विधायक चौधरी रहीम खान को मात्र 5 महीने के लिए ही राज्य मंत्री बनने का मौका मिला। 1968 में गठित विधानसभा में नूंह के विधायक चौधरी खुर्शीद अहमद स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे। 1972 में ऐसा समीकरण बना कि मेवात से किसी भी विधायक को मंत्री बनने का मौका नहीं मिला। 1977 की विधानसभा में चौधरी खुर्शीद अहमद कैबिनेट मंत्री रहे। नूंह से विधायक बने मास्टर सरदार खान को भी गृह राज्य मंत्री बनने का मौका मिला। 1982 में चौधरी रहीम खान को फिर से बिजली एवं सिंचाई महकमे में राज्य मंत्री बनने का अवसर मिला। चौधरी शकरुल्ला खान को भी 10 अक्तूबर 84 से 4 जून 86 तक वक्फ एवं मत्स्य पालन राज्य मंत्री बनने का अवसर मिला। 1987 में लोकदल सरकार के दौरान चौधरी अजमत खान को दो साल तक पशुपालन राज्य मंत्री व 1989 में नूंह उपचुनाव के बाद विधायक बने हसन मोहम्मद को गृहराज्य मंत्री बनाया गया था। 1991 में काग्रेस सरकार में मोहम्मद इलियास व शकरुल्ला खान दो राज्यमंत्री रहे थे। 1996 में तावडू से भाजपा के विधायक कंवर सूरजपाल सिंह राज्य मंत्री रहे। इसी विधानसभा के दौरान फिरोजपुर झिरका से विधायक आजाद मोहम्मद भी थोड़े समय के लिए वक्फ व पंचायत राज्यमंत्री बने। 2000 में चौटाला सरकार में मोहम्मद इलियास खान राज्यमंत्री रहे तो नूंह के विधायक हामिद हुसैन भी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन बनाए गए। 2005 में डिप्टी स्पीकर का संवैधानिक पद फिरोजपुर झिरका से काग्रेसी विधायक आजाद मोहम्मद को प्राप्त हुआ था। 2009 में छह माह के लिए नूंह के विधायक आफताब अहमद को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 2014 के चुनाव के बाद मेवाती नेताओं को खाली हाथ रहना पड़ रहा है। लोगों को आशका है कि इसका खामियाजा फिर विकास के मामले में उपेक्षित रहकर ना झेलना पड़े।

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