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    नशे के लिए दवाओं का उपयोग

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    Updated: Thu, 06 Mar 2014 05:43 PM (IST)

    सत्येंद्र सिंह, गुड़गांव : दवा स्वास्थ्य सुधारने के लिए ली जाती है। लेकिन शहर में सैंकड़ों ऐसे नशे के आदी युवा हैं जो दवाओं की ओवरडोज लेकर नशे में खो जाते हैं। गोली, कैपसूल, इंजेक्शन बहुत हैं। कईयों साल्ट को तो पूर्ण प्रतिबंधित भी कर दिया गया लेकिन अभी भी मिलते हैं। नाम उनका इसलिए नहीं लिख रहे कि पढ़कर किशोर पढ़कर प्रयोग भी कर सकते हैं।

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    जो दवा ले रहे वह साइड इफेक्ट भी झेल रहे हैं। किसी का लीवर खराब हो चुका तो कोई फेफड़े के संक्रमण से परेशान। कई तो दिमागी रूप से भी पैदल हो चुके हैं। पागलों की तरह हरकत करने के चलते उनके घर के लोगों की रोजी-रोटी हराम हो चुकी है। इसके बाद भी प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग मौन है। पुलिस जरूर परेशान है क्योंकि नशे के आदी युवा उसके लिए आए दिन परेशानी खड़ी कर देते हैं। हालांकि गलती अभिभावक की भी होती है, चिकित्सक के बगैर पूछे दवा खिलाते हैं। ओवरडोज होने पर जब किशोर को छड़िक आनंद (नशा) मिलता तो वह खुद जतन करने लगता है।

    शीतला कालोनी निवासी रामकुमार (बदला हुआ नाम) के 15 वर्षीय लड़के के साथ वैसा ही हुआ। रामकुमार के बच्चे को खांसी आती थी। डाक्टर से बगैर पूछे वह मेडिकल स्टोर से सिरप ले आता था। लड़का भी अपने मन से दवा यूज करता था। अधिक डोज लेने पर उसे कुछ अलग तरह का मजा आया तो वह पूरी शीशी पीने लगा। हालात यह हो गई कि सुबह शाम में कई शीशी पीने लगा। हैरत की बात कि कोल्ड सिरप के साल्ट पर रोक लगी, लेकिन शहर के कई मेडिकल स्टोर पर उसे दवा मिल जाती थी। हां, दाम जरूर दो गुने होते हैं। अब लड़के की हालत यह है कि वह दिल्ली स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में दाखिल है। ऐसे कई रामकुमार हैं जो नशे में डूबी औलाद से परेशान हैं।

    बाक्स

    मां की दवा से बिटिया बन गई नशे की आदी : जिला अस्पताल आई राजीव नगर निवासी एक महिला हाइपरटेंशन की पेसेंट थी। सही नींद आए इसके लिए डाक्टर ने नींद की दवा लिख दी। मां की दवा एक दिन बिटिया ने खाई तो जमकर सोई। फिर क्या था वह रोजाना गोली खाने लगी। इतनी लती हो गई कि दो-दो तीन-तीन गोली खाने लगी। मां को जब बेटी के व्यवहार में पता चला तो उसने देखा उसकी बेटी नींद की दवा मेडिकल स्टोर से लेकर आती है। चुपके से उसका डाक्टरी पर्चा भी ले जाती है। अब महिला को अपनी लापरवाही पर पछतावा है।

    फ्लूड, इंक, थिनर व मंजन भी नशेड़ी करते प्रयोग

    अपनी तफ्तीश में दैनिक जागरण ने पाया कि अस्पतालों व नशा-मुक्ति केंद्र में कई ऐसे मरीज खासकर बच्चे जो इंक, थिनर, व फ्लूड तथा मंजन को नशे के रूप में प्रयोग करने लगे। बच्चे भी माता-पिता की लापरवाही से नशे के आदी हुए। उन्होंने अबोध बच्चे की मानिटरिंग नहीं की। अब आदत छुड़ाने के लिए जरूर पसीना बहा रहे हैं।

    ''नशीली दवा का उपयोग किशोर से लेकर बुजुर्ग कर रहे हैं। ऐसे मरीज भी आते हैं। दरअसल, कुछ दवा ऐसी है जिनमें एल्कोहल अन्य साल्ट पाया जाता है। वह दवा जीवन रक्षक प्रणाली से भी जुड़ी हैं, लेकिन उनका गलत डोज नुकसान पहुंचता है। मेडिकल स्टोर संचालक का फर्ज बनता है कि बगैर डाक्टर की पर्ची के किसी को भी दवा न दें। अभिभावक भी लड़कों पर नजर रखें, उनकी काउंसलिंग करें। जरूरत करने पर विशेषज्ञ के पास ले जाएं।

    डा. ब्रम्हदीप सिंधू, वरिष्ठ मनोचिकित्सक

    ''प्रतिबंधित दवाओं को बेचना, तथा बगैर डाक्टर के पर्चे के ड्रग्स साल्ट व एंटीबायटिक दवा देना अपराध की श्रेणी में आता है। स्वास्थ्य विभाग ने पहले ही दिशा निर्देश दे रखे हैं। इसके बाद भी नियम की अवहेलना हो रही तो जांच करा आरोपी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया जाएगा। इस बाबत आज ही निर्देश जारी हो जाएंगे।

    -राव नरेंद्र सिंह, स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा