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    वन्य जीवों पर मंडरा रहा खतरा, बचाने में लगे सरकार और जीव प्रेमी

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 02 Mar 2020 11:51 PM (IST)

    जागरण संवाददाता फतेहाबाद प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है ताकि बढ़त

    वन्य जीवों पर मंडरा रहा खतरा, बचाने में लगे सरकार और जीव प्रेमी

    जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

    प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है, ताकि बढ़ती मनुष्य की आबादी में किसी तरह वन्य जीवों को बचाया जा सकता है। जिले में भी बड़ी संख्या में वन्य जीव विचरण करते है। परंतु अब समस्या इन वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर आ रही है। लगातार आवारा कुत्तों के हमले का शिकार तो इन पर होता ही है, वहीं कई बार शिकारी भी इनका शिकार कर देते है। ऐसे में वन्य जीवों की संख्या लगातार कम हो रही है। जिले में कभी बड़ी संख्या में हिरण, मोर, नीलगाय सहित अन्य वन्य प्राणी मिलते है। लेकिन लगातार इन पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसी ही हालत रहे तो ये आने वाले कुछ समय में खत्म होने की कगार में पहुंच जाएंगे।

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    जिले में बने तीन वन्य प्राणी रिजर्व केंद्र :

    प्रदेश सरकार ने पिछले एक साल में जिले में प्रदेश सरकार ने तीन जगह वन्य प्राणी जीव के लिए रिजर्व केंद्र बनाए है। इसमें गांव धांगड़ में 25 एकड़ में हिरणों के लिए शहीद अमृता देवी स्मारक सामुदायिक रिजर्व बनाया। वहीं, गांव ढाणी माजरा में गुरु जंभेश्वर सामुदायिक संरक्षित किया। कछुओं के संरक्षण के लिए गांव काजलहेड़ी में गुरु गोरखनाथ सामुदायिक रिजर्व बनाया है। वहीं घायल वन्य जीवों के उपचार के लिए रेस्क्यु सेंटर बनाने पर भी सरकार काम कर रही है। ऐसे में सरकार के कुछ प्रयास से वन्य जीवों को बचाने में मदद मिलेगी।

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    वन क्षेत्र कम हुआ तो मंडराया खतरा :

    जिले में घना जंगल सिर्फ सालम खेड़ा के पास वन विभाग की जमीन पर है। जो कि सिर्फ 38 हेक्टेयर में है। ऐसे में जंगल के अभाव में वन्य जीवों के जीवन पर संकट मंडराने लगा है। प्रदेश सरकार के पास जगह का अभाव है। ऐसे में वन क्षेत्र को विकसित भी नहीं किया जा रहा। सामुदायिक वानिकी योजना के अभाव में असंरक्षित वन क्षेत्र भी नहीं बढ़ रहा। बिना जंगल के वन जीवों का संरक्षण करना मुश्किल हो रहा है।

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    ये लगे है वन्य जीवों को बचाने में --विनोद कड़वारा ने वन्य जीवों को बचाने के लिए शुरू की एंबुलेंस सेवा :

    शिक्षा विभाग में सहायक खंड संसाधन संयोजक विनोद कड़वासरा पिछले एक दशक से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। गांव धांगड़, काजल हेड़ी व ढाणी माजरा में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट उन्होंने ही तैयार की। उसके बाद प्रदेश सरकार ने तीनों गांवों में हिरण, कछुआ व मोर के लिए संरक्षित स्थान रिजर्व किए। बड़ोपल निवासी विनोद कड़वासरा ने बताया कि क्षेत्र में बड़ी संख्या में कुछ लोग वन्य जीवों से फसलों की सुरक्षा के लिए ब्लैडनुमा तार की बाड़बंदी करते थे। इससे हिरण को बहुत अधिक नुकसान होता था। लोग खतरनाक तारों से बाड़बंदी न करें, इसके लिए अभियान चलाया। वहीं खेतों में रखवाली के लिए रखे जाने वाले शिकारी रखवालों पर भी रोक लगवाई। शिकारी रखवाले टोपीदार पाउडर बंदूक से वन्य जीवों का शिकार करते थे। अब ऐसा नहीं है। विनोद की संस्था पिपुल फॉर एनिमल्स वन्य जीवों को बचाने के लिए अभियान चला रही है। ये प्रदेश में पहली उनकी संस्था है जिनके पास वन्य जीवों के लिए एंबुलेंस सेवा शुरू की। उनकी संस्था की एंबुलेंस सेवा पिछले पांच सालों से सेवा दे रही है।

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    नाढ़ोड़ी के राधेश्याम ने 6 शिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया :

    गांव नाढ़ोड़ी के राधेश्याम धारनिया पैशे से किसान है। लेकिन वन्य जीवों को बचाने में सबसे आगे रहते है। क्षेत्र में कहीं भी घटना हो तुरंत पहुंच जाते है। वहीं, वन्य जीवों को मारने वालों को सलाखों के पीछे भेजने की जिद ठानी हुई है। वे अब तक अपने क्षेत्र में शिकार करने आने वाले करीब 6 लोगों को सजा करवा चुके हैं और चार के मामले कोर्ट में विचारधीन हैं। जिन शिकारियों को उन्होंने सजा करवाई वे अक्सर उन्हें जान की मारने की धमकी देते है, लेकिन डरे बगैर उन्होंने क्षेत्र के कई शिकारियों को जेल भिजवाया है। गुरु जंभेश्वर भगवान के अनुयायी राधेश्याम का कहना है कि उनकी ढाणी नाढोड़ी से जांडली जाने वाले रोड पर है। बिश्नोई बहुल क्षेत्र होने के चलते उनके क्षेत्र में वन्य जीव बड़ी संख्या में विचरण करते है, जिस पर हमेशा से ही शिकारियों की नजर रहती है। वर्ष 1998 के आसपास उनके क्षेत्र में आने शिकारियों की संख्या में बढ़ गई थी। उसी दौरान उन्होंने खेत में फार्म हाउस बनाया था। कुछ शिकारियों ने एक नीलगाय का मार दिया। उन्होंने शिकारियों के खिलाफ गवाही दी। वर्ष 2004 में उनके क्षेत्र में एक हिरण का शिकार कर दिया। उन्होंने शिकारियों का मुकाबला किया। वो शिकारी जांडली गांव के थे, जिसके बाद पर्यावरण कोर्ट कुरूक्षेत्र में उनके खिलाफ गवाही दी।

    20 वर्ष पहले शुरू हुआ अभियान अब भी जारी है। इतना ही नहीं राधेश्याम वन्य जीवों को बचाने के लिए अपने फार्म हाउस में उचित उपचार की व्यवस्था की हुई है। घायल जीव को अपने फार्म हाउस पर रखते है। ठीक होने पर उन्हें वापस खेतों में छोड़ देते है।

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    प्रदेश सरकार पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण के लिए अनेक कार्य कर रही है। गत वर्ष ही जिले में तीन नए रिजर्व केंद्र खोलने की घोषणा की है। अब उन पर काम शुरू हो गया। सूचना मिलने के बाद वन्य प्राणी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर पहुंच कर वन्य जीवों को बचाते है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने एंबुलेस की सुविधा भी दी हुई है।

    - राजवीर सिंह, सब-इंस्पेक्टर, वन्य प्राणी विभाग।

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    जिले में वन क्षेत्र :

    कैटेगरी वन क्षेत्र हेक्टेयर में

    ब्लैक फोरेस्ट 38.44

    प्रोटेक्टेड फोरेस्ट 4136

    अवर्गीकृत फोरेस्ट 48

    सेक्शन 38

    कुल 4230

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    जिले में वन्य प्राणी की संख्या

    वन्य प्राणी का नाम संख्या

    हिरण 525

    मोर 107

    नीलगाय 1870

    गीदड़ 50

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