फतेहाबाद में धुएं से घुटने लगी सांसें, दीपावली के बाद भी जहरीली हवा से राहत नहीं
दीपावली के बाद भी फतेहाबाद में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 'खराब' श्रेणी में है। सुबह के समय प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है। अस्पतालों में सांस और एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। कृषि विभाग पर पराली जलाने की घटनाओं को लेकर सवाल उठ रहे हैं। चिकित्सकों ने मास्क पहनने और घर के अंदर रहने की सलाह दी है।

दीपावली के बाद भी फतेहाबाद में जहरीली हवा, सांस लेना हुआ मुश्किल
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। दीपावली बीते कई दिन हो चुके हैं, लेकिन प्रदूषण का स्तर घटने की बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है। जिले में पिछले पांच दिनों से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 280 से ऊपर बना हुआ है। रविवार सुबह यह आंकड़ा 291 तक पहुंच गया, जो कि खराब श्रेणी में आता है। इससे सुबह-सुबह बाहर निकलने वालों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं।
फतेहाबाद में सुबह छह से नौ बजे के बीच हवा का स्तर सबसे अधिक प्रदूषित पाया गया है। इन घंटों में घना धुआं और धूल का स्तर कई गुना बढ़ जाता है। शाम को भी ट्रैफिक बढ़ने के कारण वायु गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। जिले में दीपावली के बाद से औसत एक्यूआइ 280 से नीचे नहीं गया है, जबकि सामान्य स्थिति में यह 60 से 80 के बीच रहना चाहिए।
पिछले दो दिनों से देश के उन पांच शहरों की सूची जारी की जा रही है जो सबसे प्रदूषित है। जिसमें फतेहाबाद का नाम भी शामिल है। शनिवार को फतेहाबाद शहर का नाम सबसे ऊपर था। रविवार को कुछ राहत मिली है, लेकिन अब भी हवा इतनी खराब है कि आंखों में जलन हो रही है।
स्वास्थ्य पर पड़ रहा सीधा असर
शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में सांस और एलर्जी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले चार-पांच दिनों में ऐसे मरीजों की संख्या में 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। अधिकतर मरीज सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन, नाक बंद रहने और सीने में भारीपन की शिकायत लेकर आ रहे हैं।
यह स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के रोगियों के लिए खतरनाक हो सकती है। चिकित्सकों ने सलाह दी है कि जब तक अत्यंत जरूरी न हो, सुबह के समय घर से बाहर न निकलें। अगर निकलना ही पड़े तो एन-95 मास्क जरूर पहनें। घरों में एयर प्यूरीफायर या कमरे में गीला कपड़ा टांगने की सलाह दी, ताकि हवा में मौजूद धूलकण और धुआं कुछ हद तक फिल्टर हो सके।
पराली जलने पर फिर उठे सवाल
प्रदूषण के इस स्तर के बाद कृषि विभाग की निगरानी पर भी सवाल उठ रहे हैं। विभाग दावा कर रहा है कि जिले में पराली जलाने की घटनाएं बहुत कम हुई हैं, लेकिन शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में धुएं की गंध और परत साफ महसूस की जा रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर पराली नहीं जल रही तो फिर यह धुआं कहां से आ रहा है।
अब तक कृषि विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार सात फायर लोकेशन आई है। जिसमें चार के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। पहले विभाग का दावा था कि पटाखों का धुआं है, लेकिन अब तो वो भी चला गया था। पिछले दिनों कृषि विभाग से जुड़े कर्मचारी व अधिकारी से मिलकर डीसी से कहा था कि वो खेतों में जाकर किसानों पर मामला दर्ज नहीं करेंगे। ऐसे में हो सकता है कि आंकड़ों को छिपाया जा रहा है।
ये रखें सावधानी
- सुबह और शाम की खुले में सैर से परहेज करें।
- बच्चों और बुजुर्गों को घर के अंदर रखें और एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
- अगर सांस लेने में समस्या हो या एलर्जी बढ़ जाए तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें।
- मास्क पहनें और धुएं वाले क्षेत्रों में जाने से बचें।
- घर के अंदर घरेलू पौधे और साफ हवा के साधन रखें।
अब जाने एक्यूआई कहां तक होता है खतरनाक
0-50 : अच्छा
51-100 : संतोषजनक
101-200 : थोड़ा प्रदूषित
201-300 : खराब
301-400 : बहुत खराब
401-500 : गंभीर
पिछले सप्ताह से ओपीडी बढ़ गई है। दमा रोगी की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण धुआं है। ऐसे में दिन व शाम के समय घर से बाहर न निकले। अगर जाना भी पड़े तो मास्क लगाकर जाए। चिकित्सा सलाह अवश्य ले ताकि समय पर उपचार किया जा सके। -डॉ. मुनीष टूटेजा, छाती रोग विशेषज्ञ फतेहाबाद।

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