यह कैसी व्यवस्था ! फतेहाबाद में 67 मेडिकल ऑफिसरों के पद खाली; इलाज के लिए सिरसा और हिसार जा रहे मरीज
फतेहाबाद में स्वास्थ्य सेवाओं का बहुत बुरा हाल है। जिले में 173 मेडिकल ऑफिसर के पद हैं लेकिन केवल 106 डॉक्टर ही हैं। 67 पद खाली पड़े हैं। इतना ही नहीं जिला अस्पताल में फिजिशियन की कुर्सी पिछले छह सालों से खाली है। सर्जन भी नहीं है। लोगों को ऑपरेशन करवाने प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ रहा है। लोगों को इलाज के लिए हिसार और सिरसा जाना पड़ रहा है।

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। शिक्षा के साथ जिला स्वास्थ्य सेवाओं में पिछड़ा हुआ है। सरकारी अस्पताल ही नहीं बल्कि प्राइवेट अस्पतालों में इतनी सुविधा नहीं है, यहां पर केवल आपातकालीन इलाज मिल जाता है। अगर कोई गंभीर बीमारी है तो लोग मरीजों को हिसार या फिर सिरसा लेकर जाते है। सरकारी अस्पताल तो केवल रेफर बनकर रह गए है।
हादसे में शिकार मरीजों को केवल अग्रोहा रेफर कर दिया जाता है। यहीं कारण है कि हादसे के बाद अधिकतर घायलों को सरकारी अस्पताल में ले जाने की बजाए प्राइवेट अस्पताल में लेकर जाते है। उन्हें पता है कि यहां पर लेकर गए तो जान जा सकती है।
जिले में पिछले कई सालों से डॉक्टरों की कमी है जो अब भी कायम है। पिछले दिनों 23 मेडिकल ऑफिसर मिले है, लेकिन अब भी 67 मेडिकल ऑफिसरों के पद खाली पड़े है। अब जो नए डॉक्टर मिले है उन्हें अब कम से कम एक साल काम और करने के बाद अनुभव मिलेगा। ये केवल प्राथमिक उपचार के साथ दवाइयां ही लिख सकते है। ऐसे में विशेषज्ञ की तलाश अब भी जिले को है।
सीएचओ के सहारे चल रहा है काम
ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल खोल दिए गए है, लेकिन यहां पर सीएचओ के सहारे की काम चलाया जा रहा है। इन सेंटरों पर केवल बुखार, जुकाम व खांसी की दवाइयां मिल रही है। जिले में 173 मेडिकल आफिसर के पद है। इससे पहले जिले में 83 डाक्टर थे और 90 पद खाली पड़ा था। अब 23 डाक्टर मिले है। ऐसे में 67 पद अब भी खाली पड़े है।
पिछले कई सालों से विशेषज्ञों की कुर्सी तक खाली
एक अस्पताल को चलाने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत अधिक होती है। मेडिकल आफिसर तो मिल जाते है। ये मरीजों को प्राथमिक उपचार कर देते है। लेकिन असली बीमारी की पहचान के लिए विशेषज्ञ का होना जरूरी है। जिला अस्पताल में फिजिशियन की कुर्सी पिछले छह सालों से खाली पड़ी है। उधर सर्जन तक नहीं है। ऐसे में लोगों को आपरेशन करवाने के लिए प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ रहा है। हड्डी रोग विशेषज्ञ अब आई है, लेकिन इलाज करने के लिए उपकरण तक नहीं है। ऐसे में केवल दवाइयां देकर मरीजों को रेफर किया जा रहा है।
10 प्रतिशत दवाइयां मरीजों को बाहर से लेनी पड़ रही
जिले में हर दिन दो हजार की ओपीडी सरकारी अस्प्तालों में हो रही है। 90 प्रतिशत दवाइयां सरकारी अस्पताल में मिल जाती है, लेकिन 10 प्रतिशत दवाइयां बाहर से लेनी पड़ रही है। जो दवाइयां बाहर से लेनी पड़ रही है वो सबसे महंगी होती है। ऐसे 300 से 500 रुपये की दवाइयां बाहर से लेनी पड़ रहे है। ये दवाइयां केवल विशेषज्ञों की होती है। सरकारी मेडिकल में ये दवाइयां नहीं आ रही है। सरकारी अस्पताल में सस्ते दवाइयां का मेडिकल है लेकिन यहां पर पर्याप्त दवाइयां नहीं है।
जिले में इन सेवाओं की सरकारी अस्पतालों में सुविधा की दरकरार
- जिले में सभी लोगों के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा
- सरकारी अस्पतालें में एक्सरे की सुविधा शुरू हो
- -सर्जन की जरूरत।
- -बर्न यूनिट तक नहीं।
- -क्रीटिकल सेवाएं तक नहीं
इन आंकड़ों पर डाले नजर
- जिले में मेडिकल आफिसर के कुल पद : 173
- कितने जिले में डाक्टर : 106
- खाली पड़े पद : 67
- जिले में नागरिक अस्पताल : 1
- उप नागरिक अस्पताल : 2
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र : 05
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र : 19
सिविल सर्जन फतेहाबाद, डॉ कुलप्रतिभा ने बताया कि जिले को 23 नए डॉक्टर मिले है, कुछ ने तो कार्यभार संभाल लिया है। जहां जो कमी है उसे दूर किया जाएगा। फतेहाबाद व रतिया सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण किया गया है। जहां कमी है उसे दूर करने के आदेश दिए गए है।
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