किसी के पास मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं मिला तो कुछ नहीं दिखा पाए अभिभावकों का अनुमति पत्र, वापस लौटे विद्यार्थी
कोरोना संक्रमण के कारण 25 दिन से बंद पड़े स्कूल एक बार फिर खुल गए। पहले चरण में केवल दसवीं व बारहवीं की कक्षाएं लगनी शुरू हुई हैं। पहले दिन उसी विद्यार्थी को स्कूल में प्रवेश मिला जिसके पास अपने स्वस्थ होने का सर्टिफिकेट तथा अभिभावकों का अनुमति पत्र था। पहले दिन सभी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम रही। जिले में विद्याथियों की संख्या 21 हजार के करीब है। लेकिन पहले दिन केवल 4 फीसद ही विद्यार्थियों की संख्या रही ।

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
कोरोना संक्रमण के कारण 25 दिन से बंद पड़े स्कूल एक बार फिर खुल गए। पहले चरण में केवल दसवीं व बारहवीं की कक्षाएं लगनी शुरू हुई हैं। पहले दिन उसी विद्यार्थी को स्कूल में प्रवेश मिला जिसके पास अपने स्वस्थ होने का सर्टिफिकेट तथा अभिभावकों का अनुमति पत्र था। पहले दिन सभी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम रही। जिले में विद्याथियों की संख्या 21 हजार के करीब है। लेकिन पहले दिन केवल 4 फीसद ही विद्यार्थियों की संख्या रही ।
फतेहाबाद के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में अनेक ऐसे विद्यार्थी पहुंच गए जिनके पास ना तो अभिभावकों का अनुमति पत्र था और ना ही मेडिकल सर्टिफिकेट। ऐसे में विद्यार्थियों को स्कूल प्रबंधन की ओर से यह कहकर भेज दियर कहा गया कि पहले वो अपने स्वस्थ होने का सर्टिफिकेट लेकर आएं। --------------------------
स्क्रीनिग के साथ हुई एंट्री
कोरोना नियमों की सख्ती से पालन हो इसके लिए सभी स्कूल संचालकों को आदेश दे दिए थे। शहर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश करने से पूर्व सभी नियमों को पालन करना पड़ा। स्कूल में प्रवेश से पूर्व मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया। साबुन से हाथ भी साफ करवाए गए। इसके अलावा मुख्य द्वार पर विद्यार्थियों की स्क्रीनिग की गई। कक्षा में प्रवेश से पूर्व विद्यार्थियों को मेडिकल सर्टिफिकेट व अभिभावकों का अनुमति पत्र भी जमा करवाना पड़ा। इस विद्यालय में 400 से अधिक विद्यार्थी हैं लेकिन पहले दिन केवल 21 विद्यार्थी ही पहुंचे। -------------------------------
स्टाफ सदस्यों ने जमा नहीं करवाया मेडिकल सर्टिफिकेट शिक्षा विभाग ने आदेश दिए थे कि स्कूल स्टाफ व विद्यार्थियों को भी स्कूल में प्रवेश करने से पूर्व 72 घंटे तक का मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाना होगा। लेकिन स्कूल के स्टाफ सदस्यों ने ऐसा नहीं किया। किसी के पास 10 दिन पहले का तो किसी के पास कोरोना टेस्ट करवाने का मेडिकल सर्टिफिकेट मिला। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। विद्यार्थियों के सभी दस्तावेज चेक हुए लेकिन स्टाफ सदस्यों का मेडिकल सर्टिफिकेट पत्र की जांच क्यों नहीं की गई।
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प्राइवेट स्कूलों में दिखी लापरवाही
जिले के अनेक प्राइवेट स्कूल संचालकों ने तो नौंवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल में बुला लिया। स्वास्थ्य विभाग जब कह रहा है कि अभी तक हमारे पास केवल 10 फीसद ही विद्यार्थी सर्टिफिकेट लेने पहुंचे तो सभी स्कूलों में विद्यार्थी कैसे पहुंच गए। आदेश तो ये थे कि केवल दसवीं व बारहवीं के विद्यार्थी ही स्कूलों में आ सकते हैं। सबसे अधिक लापरवाही ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में दिखी। सभी जगह अधिकारी निरीक्षण करने के लिए नहीं जा सकते। इस बात का खूब फायदा उठाया गया। ऐसे में यदि यहां कोरोना के मामले मिले तो जिम्मेदार कौन होगा।
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आंकड़ों से समझें स्थिति
दसवीं कक्षा में कितने विद्यार्थी पहुंचे
खंड सरकारी प्राइवेट कुल
फतेहाबाद 57 0 57
भट्टूकलां 95 56 151
भूना 71 00 71
जाखल 01 00 01
रतिया 49 00 49
टोहाना 74 00 74
कुल 347 56 403
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बारहवीं कक्षा में कितने आए विद्यार्थी
खंड सरकारी प्राइवेट कुल
फतेहाबाद 26 0 26
भट्टूकलां 133 75 208
भूना 110 00 110
जाखल 36 00 36
रतिया 89 00 89
टोहाना 63 00 63
कुल 457 75 532
नोट: प्राइवेट स्कूलों का जो आंकड़ा शून्य है, क्योंकि स्कूल संचालकों ने डाटा नहीं भेजा है।
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सभी स्कूल संचालकों को आदेश दिया गया था कि नियमों का पालन हो। हमारी टीम लगी हुई है। अधिकारियों को भी आदेश दिया है कि अगर कहीं नियमों की अनदेखी हुई है तो कार्रवाई की जाए। अगर कोई स्कूल संचालक नौंवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को बुला रहा है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हर स्कूल का निरीक्षण किया जाएगा और विद्यार्थियों द्वारा जमा किए गए प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी।
दयानंद सिहाग
जिला शिक्षा अधिकारी, फतेहाबाद।
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