पेंशन पर चोट बर्दाश्त नहीं: वित्त विधेयक 2025 के खिलाफ सड़कों पर उतरे हरियाणा के पेंशनर्स
हरियाणा के फतेहाबाद में पेंशनर्स वित्त विधेयक 2025 के खिलाफ सड़कों पर उतरे। पेंशनरों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और पेंशन पर किसी भी तरह की चोट को ब ...और पढ़ें

प्रदर्शन करते पेंशनर्स (जागरण फोटो)
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। पेंशनर्स वित्त विधेयक 2025 के खिलाफ जिलेभर के रिटायर्ड कर्मचारियों ने बुधवार को रोष प्रदर्शन किया। रिटायर्ड कर्मचारी संघ के आह्वान पर सैकड़ों सेवानिवृत्त कर्मचारी डीसी कार्यालय पहुंचे और धरने पर बैठकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए पेंशन से जुड़े अधिकारों में कटौती का विरोध किया। धरना प्रदर्शन की अध्यक्षता जिला प्रधान भोला सिंह ने की, जबकि मंच संचालन जिला सचिव बेगराज ने किया।
धरने को संबोधित करते हुए जिला प्रधान भोला सिंह व जिला सचिव बेगराज ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित आठवें वेतन पुनरीक्षण आयोग के विचारणीय बिंदुओं में पेंशन पुनरीक्षण का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। इसके स्थान पर गैर अंशदायी पेंशन पर होने वाले खर्च का आकलन जैसे शब्दों का प्रयोग कर सरकार अपनी नीयत जाहिर कर रही है।
उन्होंने कहा कि यह सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय के विपरीत है, जिसमें पेंशन को सेवानिवृत्त कर्मचारियों का मौलिक अधिकार माना गया है। पेंशन कोई दया या खैरात नहीं, बल्कि वर्षों की सेवा का वैधानिक हक है, जिसे आर्थिक तंगी का बहाना बनाकर छीना नहीं जा सकता।
पेंशन सामाजिक सुरक्षा का मजबूत स्तंभ
वक्ताओं ने कहा कि सरकार पेंशन को अनफंडेड बोझ बताकर संवैधानिक दायित्व से बचना चाहती है, जबकि वास्तविकता यह है कि पेंशन की राशि अर्थव्यवस्था में पुनः निवेश के रूप में लौटती है। पेंशनर्स के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव स्वीकार नहीं किया जाएगा और सेवारत कर्मचारियों के साथ ही पेंशनर्स का भी समान रूप से पेंशन पुनरीक्षण होना चाहिए। उन्होंने जानकारी दी कि अखिल भारतीय राज्य सरकारी पेंशनर्स महासंघ का द्वितीय राष्ट्रीय सम्मेलन 22 व 23 फरवरी को कुरुक्षेत्र में आयोजित होगा, जिसमें निर्णायक आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।
ज्ञापन में उठाई गई प्रमुख मांगें
प्रधानमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में रिटायर्ड कर्मचारी संघ ने वित्त विधेयक 2025 को तुरंत वापस लेने की मांग की। इसके साथ आठवें वेतन आयोग के सभी लाभ पूर्व की भांति देने, एनपीएस व यूपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने, कम्यूट की कटौती अवधि 11 वर्ष करने, कोरोना काल के दौरान रोके गए 18 माह के महंगाई भत्ते का एरियर ब्याज सहित देने की मांग रखी गई। इसके अलावा 65 वर्ष की आयु में 10 प्रतिशत व 75 वर्ष में 20 प्रतिशत मूल पेंशन बढ़ाने,
मेडिकल भत्ता तीन हजार रुपये मासिक करने, सरकारी व पैनल अस्पतालों में इलाज की समुचित सुविधा देने, रेल व हवाई किराये में छूट बहाल करने, चारों श्रम संहिताओं को रद्द करने तथा निजीकरण पर रोक लगाने की मांग प्रमुख रही। धरने में रघुनाथ मेहता, अजीत सिंह, हरपाल सिंह गिल, धर्मपाल यादव सहित अनेक पेंशनर्स नेताओं ने अपने विचार रखे।

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