Updated: Mon, 15 Sep 2025 01:40 PM (IST)
फतेहाबाद के दो युवक अंकित जांगड़ा और विजय पूनिया रूस में फंसे हुए हैं और 80 घंटे से उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया है। उनके परिवार चिंतित हैं क्योंकि पहले वीडियो कॉल से जानकारी मिल रही थी लेकिन अब संपर्क टूट गया है। परिवार ने विदेश मंत्रालय से संपर्क किया है पर कोई सूचना नहीं मिली। अंकित पढ़ाई के लिए और विजय बिजनेस के लिए रूस गए थे।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। रूस में फंसे हरियाणा में फतेहाबाद के दो युवकों अंकित जांगड़ा और विजय पूनिया से पिछले 80 घंटे से संपर्क नहीं हो पा रहा है, जिससे उनके परिवार में गहरा तनाव और बेचैनी का माहौल है। पहले कुछ समय तक वीडियो कॉल और वॉइस चैट से स्थिति की जानकारी मिल रही थी, लेकिन अब इंटनेट मीडिया अकाउंट्स डिलीट होने और संपर्क टूटने के कारण परिवार को किसी भी तरह की सूचना नहीं मिल पाई है।
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परिवार के मन में ख्याल आ रहा है कि उनके बच्चों के साथ क्या हो रहा होगा। उधर पीड़ित परिवार से किसी ने संपर्क तक नहीं किया है। विदेश मंत्रालय में नंबर भी देकर आए थे कि कुछ हो तो बता देना, लेकिन अभी तक किसी तरह की सूचना तक नहीं आई है। ऐसे में सोमवार को पीड़ित परिवार एक बार फिर दिल्ली का रूख कर सकते है ताकि किसी ने किसी तरह सरकार इन दोनों युवाओं को वहां से बचा पाए।
अंतिम बार जब परिवार ने युवकों से संपर्क किया था, उन्होंने बताया कि अगले ही दिन उन्हें मोर्चे पर भेजा जाएगा। उसके बाद से अब तक किसी प्रकार का कोई संपर्क नहीं हो पाया है। विजय व अंकित की परिवार से आखिरी बात वाइस चैट के माध्यम से वीरवार रात को हुई थी।
जिसे अब 80 घंटे के करीब हो गए। अंकित के भाई रघुवीर ने बताया कि वे लगातार टेलीग्राम के माध्यम से संपर्क करने का प्रयास कर रहे है, लेकिन किसी तरह से संपर्क नहीं हो पा रहा। विदेश में फंसे दो बेटों की सलामती की खबर का इंतजार करते-करते गांव कुम्हारिया का माहौल गमगीन हो गया है। घर पर मां ने खाना-पीना छोड़ दिया है, जबकि अंकित के पिता व भाई अधिकारियों से गुहार लगाने में जुटे हैं, लेकिन अभी तक कोई भी संपर्क नहीं हो पा रहा है।
अंकित की पढ़ाई और रूस में फंसी उम्मीदें
अंकित जांगड़ा ने बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्टडी वीजा पर रूस का रुख किया। उसका सपना था कि वह रशियन भाषा सीखकर अच्छे रोजगार के जरिए परिवार का सहारा बने। गरीब परिवार ने बड़ी उम्मीदों के साथ उसे विदेश भेजा था।
मास्को के एक कॉलेज में दाखिला लेने के साथ-साथ उसने पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए एक रेस्टोरेंट में हेल्पर का काम भी शुरू कर दिया। परिवार की उम्मीद थी कि पढ़ाई पूरी करके लौटने पर अंकित की मेहनत से घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, लेकिन हालात ने उनके लिए चुनौतीपूर्ण मोड़ ले लिया।
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विजय का बिजनेस वीजा और अनहोनी
वहीं, विजय पूनिया पहले स्टडी वीजा पर रूस गया था, लेकिन वीजा समाप्त होने पर वापस लौट आया। इसके बाद उसने बिजनेस वीजा बनवाकर दोबारा रूस का रुख किया। परिवार ने उसके विदेश में रहने और कारोबार शुरू करने के लिए कर्ज उठाया। विजय की योजना थी कि व्यवसाय करके परिवार का सहारा बने।
लेकिन यहां भी किस्मत ने करारी चोट दी। एक महिला ने धोखे से विजय और अंकित सहित अन्य युवकों को रूसी सेना में भर्ती करवा दिया और उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया।
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