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Fatehabad: पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली के गांव में भाइयों की चुनावी जंग

Fatehabad हरियाणा के विकास व पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली के पैतृक गांव बिढाईखेड़ा में पंचायती चुनावों को लेकर सरपंच पद के लिए एक ही कुनबे के भाईयों में आपसी चुनावी जंग होने के कारण इस गांव का सरपंच पद का चुनाव रोचक बना हुआ है।

By Amit KumarEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANPublished: Sat, 19 Nov 2022 05:31 PM (IST)Updated: Sat, 19 Nov 2022 05:33 PM (IST)
Fatehabad: पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली के गांव में भाइयों की चुनावी जंग
Fatehabad: पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली के गांव में भाइयों की चुनावी जंग : जागरण

टोहाना, जागरण टीम: हरियाणा के विकास व पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली के पैतृक गांव बिढाईखेड़ा में पंचायती चुनावों को लेकर सरपंच पद के लिए एक ही कुनबे के भाईयों में आपसी चुनावी जंग होने के कारण इस गांव का सरपंच पद का चुनाव रोचक बना हुआ है। हालांकि गांव बिढाईखेड़ा टोहाना विधानसभा का एक छोटा गांव है, लेकिन देवेंद्र सिंह बबली के मनोहर मंत्रीमंडल में कैबिनेट स्तर के मंत्री होने से प्रदेश की राजनीति में इसका प्रदेश में एक बड़ा स्थान भी है।

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टोहाना से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव को राजनैतिक पहचान वर्ष 2019 में देवेंद्र सिंह बबली के विधायक बनने से मिली थी, जबकि प्रदेश में पहचान मंत्री बनने के बाद मिली। लगभग 700 की जनसंख्या पर आधारित बिढ़ाईखेड़ा में कुल मतदाताओं की संख्या 380 है, जिसमें पुरुषों की 192 तथा महिलाओं की संख्या 188 है।

इस पंचायत चुनाव में सरपंच पद के लिए दो ही उम्मीदवार बुढ़ानिया परिवार से चुनाव मैदान में आमने-सामने है। एक ही परदादा का कुनबा होने के चलते दोनों उम्मीदवार बेशक भाई-भाई है, लेकिन सरपंच पद के चुनाव में दोनों एक-दूसरे को मात देने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा रहे है।

वर्ष 2010 में अस्तित्व में आई गांव बिढ़ाईखेड़ा की पंचायत

गांव बिढाईखेड़ा वर्ष 2010 से पहले गांव डांगरा का ही हिस्सा था, लेकिन वर्ष 2010 में नये परिसीमन के तहत गांव बिढाईखेड़ा की अलग से पंचायत बनने के बाद वर्ष 2010 में पहली बार इस गांव की महिला सरपंच बुढ़ानिया परिवार से कलावती को सर्वसम्मति से चुना गया था। जबकि दूसरे कार्यकाल में रामचंद्र बराला ने चुनाव जीतकर सरपंच पद हासिल किया था। इस बार बुढ़ानिया परिवार के दो उम्मीदवार चुनाव में आने से यहां मुकाबला बना हुआ है।

बराला अथवा बुढ़ानियां परिवार से ही बनता है गांव का सरपंच

गांव बिढ़ाईखेड़ा में बुढ़ानिया व बराला गौत्र से संबंधित ही अधिकतर ग्रामीणों की संख्या है, जिसके चलते पंचायत चुनाव में एक कार्यकाल बुढ़ानिया और दूसरा बराला गौत्र से संबधित ही रहता है। अबकी बार बुढ़ानिया गौत्र से संबंधित परिवार की ही सरपंच पद का चुनाव लड़ने की बारी थी, लेकिन इस बार बुढ़ानियां परिवार से ही दो सरपंच पद के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरने से बुढ़ानिया परिवार के बीच ही चुनावी जंग हो गई है। चुनाव कोई भी जीते, लेकिन सरपंच इस बार बुढ़ानिया परिवार का ही सदस्य बनेगा।

6 में से 4 पंच पदों पर हुई सर्वसम्मति व दो पद रह गये खाली

गांव बिढाईखेड़ा में कुल 6 वार्ड है। जिसमें वार्ड 2,4,5,6 में सर्वसम्मति होने पर पंच पद के लिए एक-एक नामांकन ही भरा गया है। जबकि वार्ड नंबर 1 एससी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, इस वार्ड में अनुसूचित जाति से एक ही परिवार है, लेकिन उस परिवार में कोई शिक्षित ना होने से यह वार्ड बिना पंच के खाली रह गया है। जबकि वर्ष 2010 में हुए पंचायती चुनाव में साक्षर होने की शर्त लागू नहीं थी, उस समय महिला को वार्ड 1 का पंच बनाया गया था। दूसरी ओर वार्ड नंबर 3 बीसी-ए महिला वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है, लेकिन इस वार्ड में कोई इस वर्ग का घर ही नहीं है, जिस कारण से यह वार्ड भी खाली रह गया है।


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