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चने की खेती से किसान कर रहे तौबा, उत्पादन में आ रही गिरावट

जिले में चने का रकबा लगातार कम हो रहा है। इस वर्ष 1500 एक

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 11:24 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 11:24 PM (IST)
चने की खेती से किसान कर रहे तौबा, उत्पादन में आ रही गिरावट
चने की खेती से किसान कर रहे तौबा, उत्पादन में आ रही गिरावट

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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जिले में चने का रकबा लगातार कम हो रहा है। इस वर्ष 1500 एकड़ में ही चने की खेती की गई है। जहां कभी हजारों हेक्टेयर में चने की खेती होती थी, अब वहां पर सैकड़ों एकड़ में खेती होने लगी है। इसकी वजह किसानों के लिए अब चने की खेती मुनाफे की खेती नहीं रही। किसानों को न तो समर्थन मूल्य मिलता है और न ही उत्पादन सही होता। इसके चलते किसान का रूझान कम हो है। जिले में दस वर्ष पहले 10 हजार हेक्टेयर के आसपास चने की खेती होती थी, लेकिन अब किसान इसकी खेती करने की बजाए सरसों की खेती करने लग गए है, इसकी वजह है कि सरसों का उत्पादन ठीक-ठाक हो जाता है और भाव भी सही मिल जाता है। गत वर्ष सरकार ने 4 हजार प्रति क्विंटल के हिसाब में सरसों की खरीद की थी। वहीं चने की फसल का समर्थन मूल्य नहीं मिला। समर्थन मूल्य पर चने की खरीद न होने के चलते इसका रकबा कम हुआ है। बिरानी क्षेत्र में बोया जाता था चना

पहले चने की खेती भट्टूकलां व बीघड़ के क्षेत्र में अधिक होती थी। समय पर बरसात होने के कारण किसान इसकी बुआई भी कर देते थे। लेकिन अब न तो समय पर बरसात हो रही है और न ही पानी मिल रहा है। जहां पर ट्यूबवेल का पानी है वहां किसान गेहूं की बिजाई अधिक कर रहे है। यहीं कारण है कि जिले में चने का क्षेत्र घटता जा रहा है। जहां पर खारा पानी है वहां किसान सरसों की बुआई कर रहे है। एक दो पानी लगने के बाद भी सरसों का उत्पादन अच्छा हो जाता है। वहीं चने के खेत में अगर खारा पानी लगा दिया तो पूरी फसल नष्ट हो जाएगी।

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चने का बीज भी महंगा

पहले जब किसान चने की खेती करते थे तो 10 से लेकर 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बीज मिल जाता था। लेकिन अब यही बीज 50 से लेकर 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है। जब बरसात होती तो किसान इसकी बुआई कर देते थे। लेकिन अब बीज महंगा होने के कारण किसान यह भी रिस्क नहीं उठा रहे है। इस कारण चने का क्षेत्रफल कम होने का मुख्य कारण कृषि वैज्ञानिक मान रहे है। इसके अलावा उत्पादन भी कम हुआ है। प्रति एकड़ 7 से 8 मण ही चना हो रहा है।

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जिले में चने की बजाए किसान अब सरसों व अन्य खरीफ फसलों की खेती करने लगे है। इसका असर चन के क्षेत्रफल पर पड़ा है। हालांकि सरकार के समर्थन मूल्य बढ़ाने के बाद उम्मीद है कि किसानों का रूझान चने की खेती की तरफ फिर से बढ़ेगा। जब चने की खेती होने शुरू हो जाएगी तो दालों के भाव भी अपने आप कम हो जाएंगे।

::डा. बलवंत सहारण

उपकृषि निदेशक फतेहाबाद।


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