अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के भारत आने से क्यों भड़के किसान? पुतला फूंककर किया प्रदर्शन
Haryana News फतेहाबाद में किसान सभा ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस (JD Vance India Visit) की भारत यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन किया। किसानों ने जेडी वेंस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनका पुतला फूंका। किसान नेताओं ने भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर चिंता जताई जिससे डेयरी और अन्य कृषि उत्पादों के आयात से भारतीय किसानों को नुकसान होने की आशंका है।

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस (JD Vance India Visit) की भारत यात्रा के खिलाफ किसान सभा द्वारा सोमवार को फतेहाबाद में जिला मुख्यालय पर रोष प्रदर्शन किया गया। किसानों ने जेडी वेंस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनका पुतला भी फूंका।
प्रदर्शन का नेतृत्व किसान सभा के जिला प्रधान विष्णुदत्त शर्मा ने किया वहीं संचालन जिला सचिव मा. राजेन्द्र बाटू ने किया। इस अवसर पर रामस्वरूप ढाणी गोपाल, साधुराम, नेकीराम, जगतार सिंह, केवल सिंह, संजय कुमार, बलबीर सिंह, सुभाष भादू, अमर सिंह, हनुमान सिंह, साधुराम लाट, संजय साई सहित काफी संख्या में किसान मौजूद रहे।
किसानों ने क्यों किया प्रदर्शन?
किसान सभा के जिला प्रधान विष्णुदत्त शर्मा व जिला सचिव मा. राजेन्द्र प्रसाद बाटू ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में है और कृषि उत्पादों सहित अमेरिकी उत्पादों के लिए टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने की योजना पर आगे बढ़ रहे हैं।
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक ने जोर देकर कहा है कि भारत को अपना कृषि बाजार खोलना चाहिए और द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत में कृषि को बाहर नहीं रखा जा सकता।
किसान नेताओं ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार समझौता डेयरी किसानों के लिए मौत की घंटी साबित होंगे, क्योंकि यदि टैरिफ और बाजार प्रतिबंध हटा दिए गए तो भारत को अमेरिकी डेयरी निर्यात में भारी उछाल आएगा।
अमेरिकी वीट एसोसिएट्स का दावा है कि भारत में घरेलू समर्थन का स्तर ऊंचा है और व्यापार को विकृत करने वाले ऊंचे शुल्क हैं। विडंबना यह है कि यह तब है जब भारत में किसान कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद के साथ लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
किसान नेताओं ने क्या कहा?
इसी तरह, मक्का के मामले में, आनुवंशिक रूप से संशोधित मक्का के साथ-साथ इथेनाल पर भारत के आयात प्रतिबंध को हटाने के लिए दबाव है, जिससे अमेरिका को अप्रत्याशित लाभ होने की उम्मीद है।
सोयाबीन, बादाम, पिस्ता, अखरोट, सेब और बागवानी की फसलें सभी अमेरिका स्थित कमोडिटी कार्टेल के इशारे पर बातचीत के लिए तैयार हैं।
किसान नेताओं ने कहा कि रिपोर्टों के अनुसार 2030 तक मिशन 500 के तहत, कुल व्यापार को दोगुना करके 500 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है।
अमेरिका से सस्ता कपास, सोयाबीन, मक्का, सेब आदि भारत में डंप किया जाएगा, जिससे बाजार में भारी गिरावट आएगी। इससे भारतीय किसानों के लिए कीमतों में भारी गिरावट आएगी।
अमेरिका के उपराष्ट्रपति की भारत यात्रा भारत सरकार और कॉरपोरेट नेतृत्व वाले शासक वर्गों पर दबाव डालने का एक हिस्सा है, वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अप्रत्याशित मुनाफाखोरी की सुविधा देने के लिए राष्ट्रीय हितों को त्याग रहे है।
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