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    Haryana News: व्यापारियों की मनमानी से किसानों में रोष, MSP से काफी कम दाम पर कॉटन बेचने को मजबूर

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 06:03 PM (IST)

    फतेहाबाद में सरकारी खरीद शुरू न होने से किसान कम दाम पर नरमा बेचने को मजबूर हैं। एमएसपी 8110 रुपये है लेकिन व्यापारी 6200-6400 रुपये में खरीद रहे हैं। विरोध करने पर बोली रद्द करने की धमकी मिलती है। किसान सीसीआई द्वारा खरीद शुरू करने की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें सही मूल्य मिल सके और सरकार की अनदेखी से नुकसान से बच सकें।

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    व्यापारियों की दो टूक- यही भाव मिलेगा, नहीं तो ले जाओ। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। जिले की मंडियों में नरमे की सरकारी खरीद शुरू नहीं होने के कारण किसानों को औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। सरकार ने नरमे का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 8,110 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, लेकिन व्यापारी इसे 6,200 से 6,400 प्रति क्विंटल के भाव पर खरीद रहे हैं।

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    इससे किसानों को प्रति क्विंटल 1,700 का सीधा नुकसान हो रहा है। व्यापारियों की मनमानी इस कदर है कि विरोध जताने पर वे सीधे तौर पर कहते हैं कि अगर यह भाव पसंद नहीं है तो अपनी फसल वापस ले जाइए। यह स्थिति किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है, जो अपनी फसल को लाभकारी मूल्य पर बेचने की उम्मीद लगाए बैठे थे।

    विरोध पर खरीदार बोले- बोली रद्द कर देते हैं

    शुक्रवार को फतेहाबाद मंडी में 80 क्विंटल नरमे की आवक हुई, जिसमें से अधिकांश नरमा एमएसपी से बहुत कम दाम पर बिका। गांव बनगांव के किसान कुलदीप अपनी आठ क्विंटल नरमे की फसल लेकर मंडी पहुंचे। उनकी फसल का भाव 6,235 लगाया गया, जिससे वे निराश हो गए।

    किसान कुलदीप ने भाजपा नेता दर्शन नागपाल की आढ़त से जुड़े हैं, इसलिए उन्होंने नागपाल को इस स्थिति से अवगत कराया। दर्शन नागपाल मौके पर पहुंचे और बोली लगा रहे कर्मचारियों और व्यापारियों से कम भाव पर नाराजगी जताई।

    इस पर खरीदारों ने दो टूक जवाब दिया कि अगर भाव सही नहीं लगा तो बोली रद्द कर देते हैं। किसान अपनी फसल वापस ले जाए। इस पर किसान को मजबूरी में अपना नरमा उसी भाव पर बेचने के लिए राजी होना पड़ा।

    साफ सुधरे नरमे को भी नहीं मिला रहा भाव

    मंडी में शुक्रवार को सबसे अधिक भाव गांव दरियापुर के किसान सुरेंद्र के नरमे को मिला, जिसका भाव 6,400 प्रति क्विंटल लगाया गया। हालांकि, यह भी एमएसपी से काफी कम था। किसानों का कहना है कि सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और भारतीय कपास निगम यानी सीसीआइ के माध्यम से खरीद शुरू करवानी चाहिए।

    पिछले वर्षों में जब भी भाव कम होते थे, सरकार सीसीआइ के माध्यम से खरीद करवाकर किसानों को राहत देती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा, जिससे किसान और व्यापारी दोनों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सरकार की अनदेखी से बढ़ रही किसानों की परेशानी किसानों का आरोप है कि सरकार की अनदेखी के कारण व्यापारी मनमाने दाम पर फसल खरीद रहे हैं।

    सरकारी खरीद शुरू नहीं होने से मंडी में केवल चार-पांच खरीदार ही हैं, जो आपस में मिलकर कम दाम तय कर लेते हैं। इस स्थिति में किसानों के पास अपनी फसल कम दाम पर बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।

    अगर सरकार जल्द ही खरीद शुरू नहीं करवाती है, तो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। किसानों ने सरकार से तत्काल सीसीआइ के माध्यम से खरीद शुरू करने की मांग की है ताकि उन्हें उनकी फसल का सही मूल्य मिल सके।