Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ग्वार की फसल में चेपा का प्रकोप, नियमित देखभाल की जरूरत

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 06 Sep 2021 11:16 PM (IST)

    मौसम में नमी बढ़ने से फसलों पर हरा तेला व सफेद मक्खी का आक्रमण शुरू हो गया हैं। इसके साथ-साथ इस फसल को बीमारियों ने जकड़ना शुरू कर दिया है। इस बार काला चेपा का प्रकोप भी आया हुआ है। इस समय ग्वार की फसल में किनारी गलन रोग पीलापन की बीमारी एकाएक बढ़ गई है। कई जगह तो यह बीमारी आने से फसल ही खराब हो गई है। इसको लेकर कृषि अधिकारियों लगातार बीमारी प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण कर रहे है। किसानों को बीमारी के जागरूक भी।

    Hero Image
    ग्वार की फसल में चेपा का प्रकोप, नियमित देखभाल की जरूरत

    जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : मौसम में नमी बढ़ने से फसलों पर हरा तेला व सफेद मक्खी का आक्रमण शुरू हो गया हैं। इसके साथ-साथ इस फसल को बीमारियों ने जकड़ना शुरू कर दिया है। इस बार काला चेपा का प्रकोप भी आया हुआ है। इस समय ग्वार की फसल में किनारी गलन रोग, पीलापन की बीमारी एकाएक बढ़ गई है। कई जगह तो यह बीमारी आने से फसल ही खराब हो गई है। इसको लेकर कृषि अधिकारियों लगातार बीमारी प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण कर रहे है। किसानों को बीमारी के जागरूक भी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दरअसल, जिले में इस बार ग्वार का रकबा 5 हजार हेक्टेयर से अधिक हैं। ग्वार का एकदम भाव बढ़ने से किसान खुश है। लेकिन अब पिछले दिनों बदले मौसम से बीमारी का प्रकोप बढ़ गया। इससे कई प्रकार की बीमारी आ गई है। जिसके लिए खेत की नियमित देखभाल की जरूरत है।

    --------------------------

    यह बीमारी आई :

    ग्वार की फसल में पत्तों की किनारी का पीला व काला, जीवाणु अंगमारी व फंगस रोग आदि का प्रकोप अधिक है। इसके अलावा सफेद मक्खी का प्रकोप होने के कारण ग्वार की पत्तियां काली पड़ रही है। अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो ग्वार की फसल नष्ट हो सकती है।

    --------------------

    ये करें छिड़काव :

    इन बीमारियों की रोकथाम के लिए 30 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन व 400 ग्राम कापर ऑक्सीक्लोराईड को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। अगर इन बीमारियों के साथ कीड़ों का प्रकोप हो तो उसकी रोकथाम के लिए 250 मिली लीटर मेलाथियोन 50 ईसी या डाइमेथोएट (रोगोर) 30 ईसी प्रति एकड़ उपरोक्त घोल में मिलाकर पहला छिड़काव बिजाई के 40-45 दिन पर तथा अगला स्प्रे इसके 12-15 दिन अंतराल पर करें।

    -------------------------

    इस समय ग्वार की फसल में सफेद मक्खी, तेला व कालापन की बीमारी आई हुई है। अगर समय रहते किसान इसका उपचार करे तो इस बीमारी को दूर किया जा सकता है। इसलिए किसान विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही कीटनाशक का छिड़काव करें। मेरा किसानों से आग्रह है कि वे फसल की नियमित देखभाल करें।

    :: डा. भीम सिंह कुलड़िया, उपमंडल कृषि अधिकारी फतेहाबाद।