मशीनरी उखाड़ने के बाद किसान संघर्ष समिति ने शुगर मिल में घुसकर किया प्रदर्शन
जागरण संवाददाता फतेहाबाद निजी मिल प्रबंधन द्वारा शुगर मिल की मशीनें उखाड़ने की सूचना
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
निजी मिल प्रबंधन द्वारा शुगर मिल की मशीनें उखाड़ने की सूचना मिलते ही किसान संघर्ष समिति के दर्जनों सदस्य शुगर मिल के अंदर घुस गए। इस दौरान मशीनें उखाड़ने पर किसान आक्रोशित हो गए। किसानों ने मिल के अंदर ही जोरदार प्रदर्शन किया और सरकार व निजी मिल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों के आक्रोश को देखते हुए मौके पर तैनात मजदूर भाग खड़े हुए और झाड़ियों के रास्ते भागने में सफल हो गए।
मामले की सूचना मिलते ही नायब तहसीलदार राजेश कुमार गर्ग, कानूनगो सुशील रेवड़ी व थाना प्रभारी कपिल सिहाग की टीम मौके पर पहुंची और किसानों को शांत करवाया। आक्रोशित किसानों ने नायब तहसीलदार के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा और ऐलान किया कि यदि शीघ्र ही सरकार व प्रशासन ने उसकी गुहार पर संज्ञान लेते हुए मिल को नहीं चलाया तो वे प्रदेश स्तर पर आंदोलन शुरू करेंगे।
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एक नट उखाड़कर भी नहीं ले जाने देंगे : संघर्ष समिति
किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष सरदार करनैल सिंह, संयोजक चांदी राम कड़वासरा, कृष्ण धारनियां आदि ने रोष भरे शब्दों में बताया कि इस शुगर मिल में क्षेत्र के किसानों का 49 फीसदी शेयर हैं, जिसके चलते निजीकरण के समय सरकार को निजी फर्म ने शपथ पत्र दिया था कि उक्त इकाई को शुगर मिल के रूप में ही चलाया जाएगा। कितु अब निजी मिल प्रबंधन के इरादे किसानों के खिलाफ हो गए हैं और निजी फर्म इसकी मशीनरी उखाड़कर बेचने का प्रयास कर रही है। लेकिन किसान मशीनरी तो दूर उसका एक पुर्जा तक नहीं बेचने देंगे।
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चौटाला, ग्रोवर व बराला दे चुके हैं आश्वासन :
किसान रामनारायण पूनियां, ओम प्रकाश हासंगा व हंसराज सिवाच आदि ने कहा कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने किसानों को आश्वासन दिया था कि निजी मिल प्रबंधन ने एग्रीमेंट के अनुसार यदि शुगर मिल को नहीं चलाया तो उसका मालिकाना हक रद्द करके सरकार के अधीन मिल चलाई जाएगी। लेकिन अब निजी मिल प्रबंधन इसकी मशीनरी उखाड़कर बेचने की फिराक में है और उक्त मंत्री चुप्पी साधे बैठे हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार किसानों के आंदोलन को कुचलना चाहती है।
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सरकार के 51 तो किसानों के 49 फीसद है शेयर :
किसानों का कहना है कि वर्ष 1989 में जब उक्त शुगर मिल की स्थापना हुई थी तो आसपास के गांवों के विभिन्न किसानों से 105-105 रुपए शेयर लिया गया था, जबकि गन्ना बिक्री पर भी सवा रुपए प्रति क्विंटल की दर से कटौती करके शेयर में शामिल किया जाता रहा है। ऐसा तब तक चला है जब तक कि सरकार के पास शुगर मिल की कुल लागत का 49 फीसदी शेयर पूरा नहीं हो गया। कितु अब सरकार ने किसानों की हिस्सेदारी को ताक पर रखकर खुद अपने स्तर पर मिल को बेचने का कार्य किया है और निजी मिल प्रबंधन निजीकरण के समय हुए समझौते को अनदेखा करके किसानों के हितों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा।
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किसानों व कंपनी के बाउंसरों के बीच हुई नोंकझोंक :
आक्रोशित किसान जब शुगर मिल की तरफ बढ़ रहे थे तो मौके पर तैनात कंपनी के बाउंसर ने किसानों को अंदर प्रवेश करने से रोका, कितु किसानों ने उनकी एक नहीं सुनी और भारी संख्या में किसान शुगर मिल के अंदर प्रवेश कर गए। शुगर मिल की काटी गई मशीनों को देखते हुए किसानों में रोष फैल गया और उन्होंने मिल गेट पर धरना भी दिया।
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दैनिक जागरण ने उठाया था मुद्दा :
बता दें कि भूना शुगर मिल की मशीन उखाड़े जाने का मामला दैनिक जागरण ने अपने 12 सितंबर के अंक में 'टूट गई किसानों की उम्मीद, अब दूर की कौड़ा भूना शुगर मिल' शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद किसानों ने आपातकालीन बैठक बुलाई को शुगर मिल गेट पर अपनी मांग को प्रशासन के समक्ष रखते हुए आगामी रूप रेखा तैयार की। अब किसान मिल बचाने के लिए धरना शुरू करेंगे।
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