12 मौत के बाद विभाग ने भाखड़ा के साथ बनाई दीवार, बाकी जगह अभी भी हालत खराब; नहीं दिया जा रहा ध्यान
सर्दियों में धुंध के कारण फतेहाबाद में सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। हादसों को रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए हैं, जिससे दुर्घटना संभावित क्षेत्र बने हु ...और पढ़ें
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फतेहाबाद में जर्जर पुल और टूटी दीवारें बढ़ा रहीं सड़क हादसों का खतरा।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। सर्दियों के मौसम में धुंध की वजह से हादसे बढ़ जाते है। इन हादसों को रोकने के लिए अक्टूबर में काम शुरू होना चाहिए था, लेकिन अभी तक हादसे के जगह-जगह स्पाट बने हुए है। इनसे कभी भी हादसा हो सकता है। वैसे भी प्रशासनिक अधिकारी हादसे के बाद ही निंद्रा से जागते है। गत वर्ष गांव सरदारेवाला में छह परिवार के 12 लोगों की मौत होने के बाद नहर पर रेलिंग व दीवार बना दी। ऐसे में अब वहां पर बना हादसे का स्पाट दूर हो गया।
लोगों की मांग है कि सरकार इस तरह सभी जगह अभियान चलाते हुए हादसों के लिए चिंहित किए हुए जगह पर काम करते हुए वहां पर हादसे रोकने के लिए दीवार व दूसरे जरूरी काम करे। वैसे सरदारे वाले की तरह कई जगह नहरों व डिस्ट्रीब्यूट्री के पुलों पर खतरनाक स्पाट बने हुए है। कई जगह तो पुल की दीवार टूटी है तो कहीं पर रेलिंग भी सही से नहीं लगी। न ही पुल से पहले ब्रेकर व अन्य व्यवस्था।
इसकी वजह है कि सरकार ने काम कई विभागों में बांटे है। सड़क पर भी लोक निर्माण, मार्केटिंग बोर्ड व जिला परिषद के तीन विभाग काम करते है। पुलों की देखभाल की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है। कई जगह पुल लोकनिर्माण विभाग व एनएचआई के भी हैं। ऐसे में इनकी सही से देखभाल नहीं होती। अक्सर आमजन भी टूटे पुल की शिकायत लेकर भटकते रहते है। विभाग के अधिकारी एक दूसरे के पास शिकायत भेजते है।
कई जगह टूटे है पुल, हो सकते है हादसे
गांव मोहम्मदपुर रोही से काजल रोड पर बने खरताणा पुल की दीवार टूटे हुए छह महीने से अधिक हो गया। उस पुल से बड़ी संख्या में वाहन गुजरते है। इसी तरह गांव किरढान से बीघड़ रोड पर खेड़ी नहर और फतेहाबाद ब्रांच की दीवारें टूटी हुई है, जो बिल्कुल छोटी है। उनके नवनिर्माण की मांग कई बार की जा चुकी है।
गांव मेहुवाला हेड पर गिगोरानी माइनर की दीवारें टूटी हुई है और फतेहाबाद ब्रांच की दीवार व ग्रिल बिल्कुल टूटकर खराब हो चुकी है। इसी तरह गांव ढांड से बिगड़ रोड पर बीघड़ हेड पर ग्रिल टूटी हुई है। उनको ठीक नहीं करवाया जा रहा। यह हालत उस फतेहाबाद ब्रांच के नहर के ऊपर की है। जिसमें एक हजार क्यूसेक पानी बहता है। डिस्ट्रीब्यूट्री के पुलों की हालत तो और भी खराब है।
झाडियों से एकदम आते है पशु, होते है हादसे
अधिकांश स्टेट हाईवे व नेशनल हाईवे के दोनों तरफ बर्मों में पहाड़ी कीकर व जंगली घास के चलते एकदम रोड पर उनसे निकलकर बेसहारा पशु व जंगली जानवर आ जाते है। इससे अक्सर हादसे होते है। परंतु रोड का निर्माण करने वाले ठेकेदार की जिम्मेदारी सड़क के साथ बर्म की देखभाल की होती है, लेकिन रोड बनने के बाद वह बर्म की देखभाल नहीं करता। जिले की अधिकांश सड़क के बर्म पर किसी भी ठेकेदार ने सफाई नहीं करवाई।
नए बने रतिया से भट्टूकलां रोड हो पर भी यही हाल है। किसी सड़क की कोई सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज करवा दे तो संबंधित विभाग के अधिकारियों सड़क को एक बार साफ करवा देते है, लेकिन उसके बाद भी अनेक सड़कों की सफेद पट्टी तक जंगली झाड़ियों आई हुई है। ग्रामीण सड़कों का और भी बुरा हाल है। मनरेगा योजना से सफाई कार्य पर रोक लगा देने के चलते काम ज्यादा बाधित है।
वन्य जीव क्षेत्र में बर्म में घास की वजह से हो रहे हादसे
गांव बड़ोपल क्षेत्र में बड़ी संख्या में नीलगाय व दूसरे जंगली जीव है। जो अक्सर रोड पर आ जाते है। रोड की बर्म में घास होने के चलते पहले वाहन चालक दूर से दिखाई नहीं देते। अचानक हाईवे व रोड पर ब्रेक लगाने से भी बड़े हादसे होते है। कई बार नीलगाय व वाहन की टक्कर होने से कई हादसे भी गत दिनों हुए, लेकिन गाड़ी संचालक बीमा क्लेम न मिलने के चलते वन्य जीवों व बेसहारा पशु से हुए हादसे की रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाता।

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