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    संडे स्पेशल : श्रेष्ठता की रेस में शक्ति

    By Edited By:
    Updated: Sun, 12 Feb 2017 01:00 AM (IST)

    मणिकांत मयंक, फतेहाबाद: यहां शक्ति का तात्पर्य नारी-शक्ति से है। बदलते दौर में नारी-शक्ति को अद्भुत, ...और पढ़ें

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    संडे स्पेशल : श्रेष्ठता की रेस में शक्ति

    मणिकांत मयंक, फतेहाबाद: यहां शक्ति का तात्पर्य नारी-शक्ति से है। बदलते दौर में नारी-शक्ति को अद्भुत, अलौकिक अथवा अभूतपूर्व जैसे चाहे कितने ही अलंकरण से सजा लें शायद कम पड़ जाएं। कारण कि यह घूंघट जैसी कई अन्य वर्जनाओं वाले उस प्रदेश की सुखद कहानी है जहां की सोंधी माटी की खुशबू दिक्-दिगंत तक फैल रही है। अहम यह कि सामाजिक बंदिशों की अमावस पर उपलब्धियों की चांदनी भारी पड़ रही है। खासकर, ग्रामीण अंचल की नारी शक्तियों के बीच श्रेष्ठता की स्वस्थ रेस स्याह रात की प्रखर सुबह का संकेत दे रही है।

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    बेशक, श्रेष्ठतम बनने की प्रेरणा-पुंज भी ग्रामीण पृष्ठभूमि लेकर उपलब्धियों का आसमान छूने वाली मोखरा की साक्षी मलिक, बलाली की फौगाट बहनें, जोधकां की सविता पूनियां सरीखी नारी-शक्ति ही हैं। इनकी प्रेरक कहानियां अब घर-घर की बेटियों में श्रेष्ठता का जुनून भर रही हैं। इसका जीता-जागता प्रमाण है, गांव समैन के तीन मजलूम परिवारों की छोरियों-मोनिया, रितु व अंसुल का कबड्डी जैसे ताकत के खेल में राष्ट्रीय स्तर पर सोने का तमगा जीतना। वह भी विषम पारिवारिक परिस्थितियों में। कम उम्र में ही पिता राजेश को खो देने वाली अंसुल प्रतिकूल समय में भी राष्ट्रीय स्तर पर कुंदन की मा¨नद चमक बिखेर रही है। कहती है, मुफलिसी की मार उसके इरादे को तनिक भी डिगा न सकी। अंसुल सहित तीनों राष्ट्रीय विजेता के कोच अशोक गिल के अनुसार, गांवों की मिट्टी की तासीर ही नैसर्गिक प्रतिभा पैदा करना है। यहां की माटी में अनंत प्रतिभाएं दबी हैं।

    इसमें कदाचित अतिशयोक्ति भी नहीं है। हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण आपको लिये चलता है एक और छोटा-सा गांव कुम्हारिया। यहां के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में पढ़ रहीं फतेहाबाद ब्लॉक के 23 गांवों की ¨सगल पैरेंट अथवा आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की बेटियां खेल जगत में अपना नाम चमकाने को बेताब हैं। उनकी यह बेताबी प्रैक्टिस के दौरान ढलती सांझ का यह कहकर मुंह चिढ़ा रही कि कुशल प्रशिक्षण की पीठ से उड़ान भरने को उनके हौसले बुलंद हैं। एथलेटिक्स,कबड्डी अथवा खो-खो में उनकी कीर्ति पताका लहराती रहेगी। बेटी जागृति क्लब की देखरेख में संदीप कस्वां से प्रशिक्षण पा रहीं नीलम, पारता, प्रोमिला, मुस्कान, प्रीतम, पूजा, पूनम, प्रियंका, मोनिका, उपासना व मीनू के चेहरे पर कमोबेश यही आत्मविश्वास झलक रहा है। कबड्डी की स्टेट चैंपियन मीनू के तो कहने ही क्या? करीब पांच किलोमीटर दूर ढाणी से आकर अपनी प्रतिभा को प्रशिक्षण से निखार दे रही है। उसके पिता सुभाष कहते हैं कि जब वह आठवीं में थी तो उसके सिर में चोट आई। गंभीर थी चोट। इसके बावजूद हिम्मत नहीं हारी। स्टेट चैंपियन बनी। उसका जी दोबारा खेल के मैदान में आने को करने लगा। इसलिए साथ लेकर आते हैं। जज्बात, जुनून व जोश भरी श्रेष्ठता दर्शाने की इस होड़ को दैनिक जागरण का सलाम

    --प्रदेश में नारी-शक्ति

    कुल महिलाएं : 1,18,47,951

    ¨लगानुपात : 877

    महिला साक्षरता दर : 65.95

    -यह भी जानिये

    रियो ओलंपिक दल में प्रदेश से कुल 21 सदस्यों ने प्रतिनिधित्व किया था। इनमें से 11 महिला खिलाड़ी थीं।