नशा छोड़ना मुश्किल नहीं, पीड़ित में इच्छा शक्ति जरूरी
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : क्षेत्र में युवाओं से लेकर बुजुर्गो तक में नशे की लत गंभीर समस्या का रूप
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : क्षेत्र में युवाओं से लेकर बुजुर्गो तक में नशे की लत गंभीर समस्या का रूप धारण कर चुकी है। बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो खुद नशा छोड़ना चाहते हैं, जबकि काफी लोग अपने परिवार के सदस्यों की नशे की लत से परेशान हैं। इसलिए दैनिक जागरण के हैलो जागरण कार्यक्रम में इस बार मनोचिकित्सक डॉ. गिरीश कुमार को मेहमान सलाहकार के रूप में बुलाया गया। डॉ. गिरीश के मुताबिक नशा एक मनोविकार है। भले ही शरीर नशे का आदी होता है, लेकिन यदि व्यक्ति निश्चिय के साथ कोशिश करे तो वह नशा छोड़ सकता है। इसके लिए उसमें खुद में नशा छोड़ने के लिए आवश्यक इच्छा शक्ति होनी चाहिए। कार्यक्रम के जरिये लोगों ने डॉक्टर से बातचीत कर नशा छोड़ने संबंधी सुझाव भी लिए। डॉक्टर ने पाठकों को उनकी समस्याओं का समाधान बताया।
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-भिरडाना के अमन ने बताया कि उनके परिवार का एक सदस्य बीड़ी बहुत पीता है, कोई उपचार बताएं।
-डॉक्टर ने बताया कि बीड़ी व तंबाकू की लत ऐसी ही होती है। इसमें व्यक्ति एक बार नशा करने के बाद कुछ समय तक राहत महसूस करता है। करीब आधे से एक घंटे के बीच फिर से तलब उठने लगती है। उस तलब को रोकना जरूरी है। इसके लिए हम दवा देते हैं। उस दवा के सेवन से तलब कम हो जाती है। इसके लिए रोगी को उपचार के लिए अस्पताल लेकर आना होगा। उसका इलाज संभव है।
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-सनियाना के विनोद ने पूछा, शराब की लत कैसे छुड़वाई जा सकती है?
-डॉक्टर गिरीश कुमार ने बताया कि शराब की लत के पीछे एक हिस्ट्री होती है, उसे जानना जरूरी है। कुछ लोग डिप्रेशन में शराब पीते हैं तो कुछ गलत संगति में आकर पीते हैं। कुछ लोग शौकिया तौर पर पीते हैं। उस हिस्ट्री के आधार पर ट्रीटमेंट किया जाएगा। रोगी को दवा के साथ साथ काउंस¨लग भी की जाती है। उसको उस माहौल से अलग रखना पड़ता है, जहां वह शराब पीने के बारे में सोचता है।
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-धारनिया ने हरज्ञान सुथार ने पूछा, नशे से बचाव के लिए क्या उपाय हैं?
-डॉक्टर ने कहा कि नशे की लत अक्सर किशोर अवस्था में लगती है। जब बच्चे 13 से 19 साल के बीच में होते हैं तो उन्हें पता ही नहीं होता कि गलत और सही में फर्क क्या होता है। वे नशों के दुष्प्रभाव के बारे में सोच भी नहीं पाते। इस उम्र में अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करें। उनको विश्वास में लेकर खुलकर बातचीत करें। बच्चों को पूरा समय दें। ऐसा भी ठीक नहीं है कि बच्चों पर बेवजह शक करें और उन पर बंदिशें लगा दें। उसको गलत युवाओं की संगति से बचाना भी जरूरी है।
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-बड़ोपल के नरेश का सवाल, नशा करने वालों से कैसा व्यवहार करना चाहिए?
-डॉक्टर ने कहा कि नशा पीड़ित एक रोगी समान होता है। वह नहीं समझ पाता कि उसे अब क्या करना चाहिए। नशा करने के पीछे कई वजह होती हैं। कुछ लोग डिप्रेशन के वजह से नशा करते हैं। जरूरी नहीं कि किसी नशा करने वाले को मारपीट कर नशा छुड़वाया जा सकता है। कई बार ऐसे रोगी जान भी दे देते हैं। इसलिए पहले पीड़ित को डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए। यदि कोई डिप्रेशन के चलते नशा करता है तो पहले उसे डिप्रेशन से बाहर लाना जरूरी है।
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ऐसे लगती है लोगों में नशे की लत
-गलत संगति में पड़ने के कारण।
-परिवार के बड़े सदस्यों को देखकर।
-मानसिक तनाव से बचने के लिए।
-सिगरेट या महंगी शराब पीने में प्रतिष्ठा समझना।
-दोस्तों के बीच शौकिया तौर पर पीना।
-सामाजिक माहौल के अनुसार नशे करना।
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अभिभावक समझें अपनी जिम्मेदारी : डॉ. गिरीश
डॉ. गिरीश कुमार ने कहा नशा सिर्फ मनो रोग नहीं, बल्कि एक सामाजिक समस्या भी है। अभिभावकों का बहुत बड़ा रोल होता है नशे के पीछे। आजकल छोटी छोटी उम्र में लड़के नशा करते हैं और अभिभावक उनकी तरफ देखकर भी अनदेखा कर देते हैं। कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं, जो खुद नशा करते हैं, लेकिन पीछे बच्चों को रोकते हैं। ऐसे में संभव नहीं कि बच्चे माता पिता की बात मानें। इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि वे खुद नशों से दूर रहें। तभी अपने बच्चों को नशों से दूर रख सकते हैं। अक्सर देखते हैं कि बड़ी उम्र के बुजुर्ग भी बड़े आत्मविश्वास के साथ कहते हैं कि हम वर्षों से बीड़ी पी रहे हैं, हमें तो कुछ नहीं हुआ। ये तर्क अच्छे नहीं हैं। नशों का आदी होना ही एक रोग है। इस बात को समझने की जरूरत है।
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