गुरु गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर
फतेहाबाद से 22 किलोमीटर दूर गांव गोरखपुर का मंदिर गुरु गोरखनाथ मंदिर का इतिहास सबसे पुराना है। बताते
फतेहाबाद से 22 किलोमीटर दूर गांव गोरखपुर का मंदिर गुरु गोरखनाथ मंदिर का इतिहास सबसे पुराना है। बताते हैं कि करीब 200 साल पहले इस मंदिर का निर्माण किया गया था। समय के साथ इसका स्वरूप जरूर बदला है लेकिन लोगों की आस्था पहले से कम नहीं हुई है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खूबी है कि इसमें सभी देवी- देवताओं की प्रतिमा है। नवरात्रों के दिनों में सबसे अधिक भीड़ इसी मंदिर में रहती है।
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आकर्षित करती बावड़ी
इस मंदिर की विशेषता है कि यह प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर के पास ही एक बावड़ी है जो इस मंदिर को और आकर्षण का केंद्र बनाती है। इस बावड़ी की मान्यता है कि जो भी इसमें स्नान करता है उनके सभी कष्ट दूर हो जाते है। नवरात्रों के दिनों में इस मंदिर में ज्योति जलती रहती है।
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यूं पहुंचा जा सकता है मंदिर
फतेहाबाद से इस मंदिर तक पहुंचना है तो बस या निजी वाहन का सहारा लेना पड़ेगा। बस से आसानी से गांव गोरखपुर पहुंचा जा सकता है। वहीं कई ¨लक रोड भी जो इस मंदिर तक जाते है। भूना से भी इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
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इतिहास
इस मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना है। बताते हैं कि 200 साल पहले कई नाथ यहां पर रहने के लिए आये थे। उन्होंने बाबा गोरखनाथ की प्रतिमा स्थापित कर दी। तभी से इस गांव का नाम भी गोरखपुर पड़ गया है। अगर गोरखपुर को मंदिरों का गांव कहा जाये तो कम नहीं होगा। इस गांव में 15 से अधिक मंदिर है।
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विशेषताएं
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह प्राचाीन है। नवरात्रों के दिनों में लोग दूसरे गांव से इस मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं। इस मंदिर में अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई है ताकि हर समय श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहे।
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वास्तुकला
यह मंदिर पश्चिम दिशा में स्थापित है। श्रद्धालुओं की आस्था ही थी इस मंदिर की स्थापना पश्चिम की तरफ की जाए। यही कारण है कि इस मंदिर की स्थापना दक्षिण दिशा में की गई।
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कहने को तो यह बाबा गोरखनाथ मंदिर है। लेकिन इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित की गई है। नवरात्रों के दिनों में तो यहां भीड़ इतनी लग जाती है कि पांव रखने के लिए जगह तक नहीं मिलती।
::बाबा राजनाथ योगी
पुजारी गोरखपुर मंदिर।
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