केमिकलयुक्त पानी साफ करने के लिए स्थापित होगा प्लांट
उद्योगों से निकलने वाले केमिकलयुक्त पानी को साफ करने के लिए प्लांट लगाया जाएगा।
प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद : उद्योगों से निकलने वाले केमिकलयुक्त पानी को साफ करने के लिए स्मार्ट सिटी लिमिटेड प्लांट लगाएगी। इसके लिए मिर्जापुर में 100 करोड़ रुपये की लागत से संयंत्र स्थापित होगा। स्मार्ट सिटी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की ओर से इसकी स्वीकृति मिल चुकी है। अब इसका एस्टीमेट तैयार किया जाएगा। स्वीकृति के बाद टेंडर किए जाएंगे। स्मार्ट सिटी की इस योजना से यमुना नदी, गुरुग्राम व आगरा नहर प्रदूषित होने से बच सकेंगी। नगर निगम ने दिया प्रपोजल
नगर निगम ने प्लांट लगाने का प्रपोजल स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारियों को दिया है। फिलहाल नगर निगम की माली हालत खस्ता है। इसलिए इस प्लांट का खर्चा वहन नहीं कर सकता। हालांकि स्मार्ट सिटी कंपनी इस प्लांट को लगाने के लिए स्टडी भी कराएगी और मुख्य तौर पर देखा जाएगा कि केमिकलयुक्त पानी नए प्लांट तक कैसे पहुंचाया जाए। रोज 25 एमएलडी पानी होगा साफ
स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी के कार्यकारी अभियंता अरविद के अनुसार इस प्लांट की क्षमता रोज 25 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) केमिकलयुक्त पानी को साफ करने की होगी। शहर के उद्योगों से लगभग इतना ही केमिकलयुक्त पानी निकलता है। योजना के मुताबिक प्लांट के नजदीकी उद्योगों से केमिकलयुक्त पानी मिर्जापुर तक पहुंचाने के लिए पाइप लाइन डाली जाएगी। दूर-दराज के उद्योगों से टैंकर के माध्यम से पानी प्लांट तक पहुंचाया जाएगा। अभी नहीं है बड़ा प्लांट
औद्योगिक शहर में रोजाना सैकड़ों उद्योगों से करोड़ों लीटर केमिकलयुक्त पानी निकलता है। अधिकतर उद्योग टैंकरों के माध्यम से इस गंदे पानी को बाहर भिजवा देते हैं। टैंकर चालक चोरी-छिपे नहर, बुढि़या नाले व यमुना नदी में डाल देते हैं। काफी उद्योगों से यह पानी सीधे सीवर या बरसाती निकासी की लाइनों में डाला जा रहा है जिससे यह जहरीला पानी नालों के माध्यम से यमुना नदी तक भी पहुंच जाता है। जो नदी को प्रदूषित करता है। हालांकि कई उद्योग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने स्तर पर प्लांट लगाया हुआ है। भूजल स्तर पर पड़ रहा असर
केमिकलयुक्त पानी बगैर साफ हुए नहर और यमुना नदी में पहुंचने से इसका सीधा असर भूजल स्तर पर पड़ रहा है। यही कारण है कि कैंसर सहित अन्य बीमारियां बढ़ रही हैं। यमुना नदी किनारे बसे हुए कई गांव में लोग कैंसर का शिकार हो चुके हैं। भूजल दूषित करने के मामले में एनजीटी भी कई बार सख्त आदेश दे चुकी है। यहां हैं केमिकल वाले उद्योग
- सेक्टर-24-25
- राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे
- सेक्टर-58
- सेक्टर-59
- सराय ख्वाजा
- एनएचपीसी के पास
- सरूरपुर
- मुजेसर केमिकलयुक्त पानी को साफ करना बेहद जरूरी है। सेक्टर-58 के इलेक्ट्रो प्लेटिग जोन में 300 यूनिट हैं। सभी से केमिकलयुक्त पानी निकलता है। इसलिए यहां करीब दो एकड़ में जोन के लिए ही 10 लाख लीटर की क्षमता वाला छोटा प्लांट लगाया गया है। यहां पानी को बाहर भेजा ही नहीं जाता है। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत यदि बड़ा प्लांट बनाया जाएगा तो यह अच्छी पहल होगी।
-देवदत्त कौशिक, महासचिव, फरीदाबाद स्माल स्केल पाल्यूशन कंट्रोल कोआपरेटिव सोसायटी केमिकलयुक्त पानी को साफ करने के लिए प्लांट लगाने की योजना सराहनीय है। अभी कोई बड़ा प्लांट न होने से कई उद्योग इधर-उधर इस पानी को ठिकाने लगाते हैं। इससे भूजल स्तर दूषित हो रहा है। जो बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। प्लांट बनने के बाद किसी भी उद्योग से ऐसा गंदा पानी इधर-उधर नहीं फेंका जाएगा।
-बीआर भाटिया, प्रधान, फरीदाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन