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    अभिनेत्री सोनम कपूर के ससुर की कंपनी से 27.61 करोड़ की आनलाइन चोरी

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 11 Mar 2022 06:53 PM (IST)

    बालीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर के ससुर हरीश आहूजा की कंपनी से करोड़ों की चोरी कर ली।

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    अभिनेत्री सोनम कपूर के ससुर की कंपनी से 27.61 करोड़ की आनलाइन चोरी

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : बालीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर के ससुर हरीश आहूजा की कंपनी से 27.61 करोड़ रुपये के आरओएससीटीएल (रिबेट आफ स्टेट एंड सेंट्रल टैक्सेस एंड लेवीज) लाइसेंस आनलाइन चोरी हो गए। रेडिमेड कपड़े बनाने वाली उनकी शाही एक्सपोर्ट की उत्पादन इकाई और मुख्यालय यहां सेक्टर-28 में स्थित है। इसीलिए उन्होंने 26 जुलाई 2021 को इस संबंध में सेक्टर-31 थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।

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    साइबर थाना पुलिस ने यह मामला सुलझाते हुए दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कर्नाटक से नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों में पुरानी नांगल कैंट नई दिल्ली निवासी मनोज राणा, गीतांजलि पार्क वेस्ट सागरपुर दिल्ली निवासी मनीष कुमार, प्रवीन कुमार, मनीष कुमार मोगा, गांव इरगेरा जिला रायचुर कर्नाटक निवासी गणेश परसुराम, साइन जोगलेकरवाड़ी मुंबई निवासी भूषण किशन ठाकुर, धामु रेगांव जिला रायगढ़ महाराष्ट्र निवासी राहुल रघुनाथ, गांव मुकाम, पुणे महाराष्ट्र निवासी संतोष सीताराम, ओसियन हाइट चेन्नई निवासी सुरेश कुमार जैन और न्यू राजेंद्र नगर दिल्ली निवासी ललित कुमार जैन शामिल हैं। सभी आरोपितों को एक के बाद एक गिरफ्तार किया गया। सभी को जेल भेज दिया गया है। क्या होता है आरओएससीटीएल

    डीसीपी हेडक्वार्टर नितिश अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों को विशेष छूट प्रदान की जाती है। इसे आरओएससीटीएल लाइसेंस कहा जाता है। ये एक तरह से आनलाइन डिस्काउंट कूपन होते हैं। यह ठीक वैसे होते हैं जैसे पहले मोबाइल रिचार्ज कूपन हुआ करते थे। जिस प्रकार रिचार्ज कूपन की कीमत होती थी उसी प्रकार इन लाइसेंस की लाखों रुपए की कीमत होती है। इनका उपयोग करके कंपनी द्वारा कोई सामान आयात करने पर कंपनी को आयात ड्यूटी में छूट मिल जाती है। आरओएससीटीएल लाइसेंस डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) से उपयोग किए जा सकते हैं या किसी अन्य को बेचे भी जा सकते हैं। इस तरह करते थे आनलाइन चोरी

    डीसीपी नितिश अग्रवाल के मुताबिक आरोपितों में मनोज राणा, मनीष कुमार, प्रवीन कुमार और मनीष कुमार मोगा विदेश व्यापार महानिदेशालय में क्लर्क स्तर पर काम कर चुके हैं। वे निदेशालय की कार्यप्रणाली से भलीभांति परिचित हैं। आरोपित पहले बड़ी-बड़ी कंपनियों के इम्पोर्ट एक्सपोर्ट कोड को प्राप्त करके उनका रिकार्ड चेक करते थे और यह पता लगाते थे कि कंपनी के खाते में कुल कितनी रकम के आरओएससीटीएल लाइसेंस हैं। इसके बाद उस कंपनी के डायरेक्टर के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे। इन फर्जी दस्तावेज से फर्जी व्यक्ति का वीडियो शूट करवाकर फर्जी डीएससी जारी करा लेते थे। असली कंपनी की जानकारी के बिना उसके आरओएससीटीएल लाइसेंसों को धोखाधड़ी से अपनी फर्जी कंपनी में ट्रांसफर कर लेते थे। बनाते थे फर्जी कंपनी

    इस गिरोह में शामिल आरोपित भूषण और राहुल किसी भी व्यक्ति के नाम पर एक फर्जी कंपनी रजिस्टर करवा देते थे। इन्होंने अपने साथी आरोपी गणेश जोकि पेशे से एक आटो ड्राइवर है उसके नाम पर ब्लैक कर्व कारपोरेशन नाम से एक फर्जी कंपनी बनाई। आरोपित मनीष मोगा ने एक वीडियो शूट करवाई जिसमें उसने अपने आप को शाही कंपनी का डायरेक्टर हरीश आहूजा बताया। इसी वीडियो के आधार पर हरीश आहूजा की एक फर्जी डीएससी आइडी बन गई। इस आइडी से शाही एक्सपोर्ट कंपनी के 154 आरओएससीटीएल लाइसेंस को ब्लैक कर्व कारपोरेशन के नाम ट्रांसफर कर दिए गए। इनकी कीमत 27.61 करोड़ रुपए थी। इस मामले को सुलझाने वाले इंस्पेक्टर बसंत कुमार ने बताया कि ब्लैक कर्व कारपोरेशन के पास आए आरओएससीटीएल लाइसेंस का उपयोग सुरेश कुमार जैन और ललित कुमार जैन को करना था। दोनों कई कंपनियों के मालिक हैं। बाकी आरोपितों को उनके काम के बदले दो से 10 लाख रुपये तक मिले। आरोपितों के कब्जे से दो लैपटाप, एक कंप्यूटर, छह मोबाइल व 20 हजार रुपए बरामद किए गए हैं। आरोपितों द्वारा ट्रांसफर किए गए 27.61 करोड़ के लाइसेंस को फ्रीज करवा दिया गया था, जो शाही एक्सपोर्ट कंपनी को वापिस मिल गए हैं।

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