10 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रहीं पूर्व महिला IPS, फिर महीनों तक लगाती रहीं साइबर थाने की चक्कर
इस मामले में हैरान करने वाली बात यह है कि पीड़ित अधिकारी के मुताबिक उसे अपना मामला दर्ज करवाने के लिए छह महीने तक साइबर थाने के चक्कर लगाने पड़े। पीड़िता नागालैंड में डीसीपी क्राइम रह चुकी है। सेक्टर-21सी में रहने वाली अंजना सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि वह 1994 से 2007 तक नागालैंड में डीसीपी क्राइम रह चुकी हैं।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने की धमकी देकर जालसाजों ने एक रिटायर्ड महिला आईपीएस को 10 दिन तक डिजिटल नजरबंद रखा। महिला आईपीएस ने समझदारी दिखाते हुए मामले की गहनता से जांच की। फिर जालसाजों ने फोन काट दिया।
पांच लाख रुपये का नुकसान
हालांकि जालसाजों की वजह से महिला अधिकारी को पांच लाख रुपये का नुकसान हुआ। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने शेयर काफी समय से अपने पास रखे थे।
मनी लॉन्ड्रिंग केस से बचने के लिए उन्हें शेयर कम कीमत पर बेचने पड़े। हालांकि महिला अधिकारी ने जालसाजों के खाते में पैसे ट्रांसफर करने से परहेज किया।
खुद रह चुकी क्राइम डीसीपी
इस मामले में हैरान करने वाली बात यह है कि पीड़ित अधिकारी के मुताबिक, उसे अपना मामला दर्ज करवाने के लिए छह महीने तक साइबर थाने के चक्कर लगाने पड़े। पीड़िता नागालैंड में डीसीपी क्राइम रह चुकी है।
सेक्टर-21सी में रहने वाली अंजना सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि वह 1994 से 2007 तक नागालैंड में डीसीपी क्राइम रह चुकी हैं।
अंजना के मुताबिक जुलाई 2024 में उनके फोन पर एक कॉल आई। कॉल करने वाले शख्स ने खुद को नेहरू प्लेस थाने में तैनात एसीपी क्राइम बताया।
मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज
शख्स ने अजना से कहा कि उनके नाम मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर एक निजी बैंक में करोड़ों रुपये जमा कराए गए हैं। जालसाजों ने शिकायतकर्ता को नेहरू प्लेस थाने बुलाया। इस पर पीड़िता ने उस दिन व्यस्त होने की बात कहते हुए अगले दिन आने को कहा।
वीडियो कॉल के जरिए पूछताछ
इस पर आरोपियों ने कहा कि वे उससे व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए पूछताछ करेंगे। थाने आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आरोपियों ने महिला अधिकारी से उसके परिवार और प्रॉपर्टी के बारे में पूछताछ की।
पीड़िता ने बताया कि जालसाजों के कॉल करने के अगले दिन उसे परिवार के साथ घूमने के लिए उत्तराखंड जाना था। उसने जालसाजों को इस बारे में बताया।
पीड़िता ने कहा कि वह उत्तराखंड से लौटने के बाद थाने आएगी। इस पर जालसाजों ने उनसे कहा कि वह व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल बंद कर दें और ऑडियो कॉल चालू रखें, ताकि उन्हें सारी गतिविधियों के बारे में पता चल सके।
आरोपियों ने उन्हें 10 दिनों तक व्हाट्सएप कॉल पर रखा। जालसाजों को रिटायर्ड आईपीएस की पल-पल की जानकारी मिलती रही।
जांच में सहयोग के लिए आरोपी ने मांगे पैसे
पीड़िता के मुताबिक, आरोपियों ने उससे जांच में सहयोग करने के लिए पैसों की मांग की। ऐसे में कुछ समय तक उसने जालसाजों को पैसे ट्रांसफर कर मामले से छुटकारा पाने का प्लान भी बनाया।
इसके लिए उसने अपने शेयर भी 5 लाख रुपये कम में बेच दिए। लेकिन पीड़िता ने जालसाजों के खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं किए। 10 दिन बाद उत्तराखंड से लौटने पर वह सीधा नेहरू प्लेस पहुंची।
पीड़िता ने देखा कि जालसाजों द्वारा बताई गई जगह पर कोई थाना नहीं था। वहां पर क्राइम ब्रांच का दफ्तर था। पीड़िता ने क्राइम ब्रांच के अधिकारियों से अपने खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जानकारी मांगी।
जिस पर अधिकारियों ने बताया कि उनके खिलाफ किसी भी तरह का कोई मामला दर्ज नहीं है। जिसके बाद पीड़िता ने जालसाजों को फोन पर अपना परिचय दिया और उन्हें खरी-खोटी सुनाई।
जालसाजों ने ऑडियो कॉल काट दी
जालसाजों ने ऑडियो कॉल काट दी। रिटायर्ड अधिकारी के मुताबिक 12 अगस्त 2024 को साइबर थाना एनआईटी में शिकायत देने के बाद उन्होंने नेशनल क्राइम ब्यूरो में अपनी शिकायत दर्ज कराई।
थाने के पुलिसकर्मियों ने कहा कि नेशनल क्राइम ब्यूरो से रिपोर्ट आने के बाद वे मामला दर्ज करेंगे। ऐसे में उन्हें मामला दर्ज करवाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
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