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    फरीदाबाद में ढाई महीने से दवा के लिए परेशान हो रहे हैं टीबी रोगी, चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय पर हंगामा

    By Abhishek SharmaEdited By: Nitin Yadav
    Updated: Tue, 03 Oct 2023 04:43 PM (IST)

    फरीदाबाद में टीबी के रोगियों को ढाई महीने से दवा नहीं मिली है। कई दिनों से जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल के चक्कर लग रहे रोगियों एवं उनके स्वजन का मंगलवार को गुस्सा फूट पड़ा। सभी एकत्र होकर टीबी उन्मूलन कार्यक्रम अधिकारी व उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.ऋचा बत्रा व डॉ. हेमंत गोयल के कार्यालय पहुंच गए। इन अधिकारियों के नहीं मिलने परटीबी रोगी मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय भी पहुंचे।

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    फरीदाबाद में ढाई महीने से दवा के लिए परेशान हो रहे हैं टीबी रोगी।

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। कैसे हारेगा टीबी, अब यह प्रश्न एमडीआर टीबी रोगी स्वास्थ्य अधिकारियों से पूछने लगे हैं। जिले में टीबी के रोगियों को ढाई महीने से दवा नहीं मिली है। कई दिनों से जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल के चक्कर लग रहे रोगियों एवं उनके स्वजन का मंगलवार को गुस्सा फूट पड़ा। सभी एकत्र होकर टीबी उन्मूलन कार्यक्रम अधिकारी व उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.ऋचा बत्रा व डॉ. हेमंत गोयल के कार्यालय पहुंच गए।

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    उनके पहुंचने से पहले की डॉ. हेमंत गोयल अपने कार्यालय से गायब हो गए। इन अधिकारियों के नहीं मिलने पर टीबी रोगी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.विनय गुप्ता के कार्यालय भी पहुंचे। वह वीडियो कान्फ्रेंसिंग बैठक में व्यस्त थे। इस दौरान टीबी रोगी काफी देर तक कार्यालय में बैठे रहे। उनके नहीं आने पर वापस लौट गए।

    भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का है लक्ष्य

    उल्लेखनीय है कि सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी को समाप्त करने लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी सरकार के लक्ष्य को पलीता लगाने में लगे हुए हैं। ढाई महीने से रोगियों दवा कमी बनी हुई है। पिछले दिनों रोगियों के हंगामा करने के दवा मंगवा दी थी।

    वह स्टाक 10 दिन में ही समाप्त हो गया। अब रोगी एक सप्ताह परेशानी हो रही है। दवा लेने पहुंचे लोगों का आरोप था कि स्वास्थ्य विभाग दवा की कालाबाजारी कर रहा है। इसके लिए बाकायदा एक वाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया है।

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    इसके अलावा यदि कोई रोगी अधिकारियों से दवा के बारे में पूछने के लिए जाता है, तो उसे सलाह देने की बजाय पुलिस बुलाने की धमकी दी जाती है। रोगियों का कहना था कि एमडीआर टीबी का उपचार आठ से 10 हजार रुपये प्रति महीना पड़ता है और सभी टीबी की दवा खरीदने में सक्षम नहीं है। इसके अलावा दवा भी मेडिकल स्टोर पर नहीं मिलती हैं।

    टीबी से ग्रस्ति उर्मिला ने बताया कि अभी 10 दिन पहले दवा मिली थी। उसकी भी एक्सपायरी अक्टूबर में हैं। ऐसे में दवा मिलने का कोई लाभ नहीं है। एमडीआर के रोगी को प्रतिदिन दवा लेनी होती है। एक भी दिन छूटने पर नए सिरे से दवा शुरू करनी पड़ती है।

    दीपक ने बताया ढाई महीने से दवा की समस्या बनी हुई है। अब कुछ दिन पहले 10 दिन की दवा उपलब्ध कराई गई थी। अब वह भी समाप्त हो गई है। अधिकारियों से दवा के बारे में पूछने जाओ, तो पुलिस को बुलाने की धमकी देती हैं।

    वीरेंद्र सिंह ने बताया कि 10 दिन पहले ही एमडीआर की पुष्टि हुई है, लेकिन दवा अभी तक शुरू नहीं हुई है। बिना दवा के परेशानी अधिक होती है और इतना पैसा नहीं है कि बाहर मेडिकल स्टोर से दवा खरीद सकूं।

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