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    छह गुरुजी मिलकर भी नहीं करा पाए छह छात्रों की नैया पार, 37 लाख खर्च और Result फिसड्डी

    By Jagran NewsEdited By: Pooja Tripathi
    Updated: Fri, 16 May 2025 07:44 PM (IST)

    फरीदाबाद के एक सरकारी स्कूल दयालपुर राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का परिणाम चिंताजनक रहा। छह शिक्षकों पर 37 लाख से अधिक खर्च करने के बावजूद 12वीं कक्षा का परिणाम केवल 33 प्रतिशत रहा। छह छात्रों में से केवल दो ही पास हो पाए। खराब परिणाम ने शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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    छह गुरुजी मिलकर भी नहीं करा पाए छह विद्यार्थियों की नैया पार। जागरण

    निभा रजक, फरीदाबाद। औद्योगिक नगरी में शिक्षा का स्तर उठ नहीं पा रहा है। हर साल परीक्षा परिणाम बेहद खराब रहता है। यहां तक कि जिले में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है जहां शिक्षा विभाग ने एक साल में छह अध्यापकों पर 37 लाख 32 हजार रुपये खर्च किए, लेकिन स्कूल बारहवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम बेहतर नहीं आ पाया है।

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    दयालपुर स्थित राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का परीक्षा परिणाम मात्र 33 फीसदी रहा है। स्कूल के छह विद्यार्थियों ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 में परीक्षा दी थी, इनमें से सिर्फ दो पास हुए हैं।

    जबकि दो विद्यार्थियों की कंपार्टमेंट और दो विद्यार्थी फेल हो गए हैं। पर्याप्त प्राध्यापक व संसाधन होने के बाद भी खराब परिणाम ने शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

    12वीं में लिया था सिर्फ 6 बच्चों ने दाखिला

    राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बारहवीं कक्षा में सिर्फ कला संकाय विषय है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 में केवल छह विद्यार्थियों ने दाखिला लिया था।

    स्कूल में हिंदी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, इतिहास तथा भूगोल सहित अन्य विषय को पढ़ाने के लिए सभी प्राध्यापक मौजूद हैं। जिनको सरकार 37 लाख 32 हजार रुपये पूरे साल में वेतन देती है। इसके बाद भी गुरुजी छात्रों की नईया पार नहीं लगा पाए हैं।

    छह टीचर भी छह बच्चों को नहीं पढ़ा सके

    बोर्ड परीक्षा में खराब प्रदर्शन से सवाल यह उठ रहा है कि छह अध्यापक मिलकर भी छह विद्यार्थियों को नहीं पढ़ा पाए हैं। लोगों का कहना है कि सरकारी स्कूलों का ऐसा प्रदर्शन चिंताजनक है। स्कूलों की स्थिति में सुधार के लाख दावों और मोटी रकम खर्च करने के बाद भी सुधार नहीं हो पा रहा है।

    यही कारण है कि निजी स्कूल खूब फल-फूल रहे हैैं और महंगी फीस होने के बावजूद इनमें बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इससे लगता है कि निजी स्कूलों और शिक्षा विभाग की मिलीभगत है।

    प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ कार्यालय तक हैं सीमित

    स्कूल का खराब प्रदर्शन शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इस संबंध में जाकर स्कूल के अध्यापकों और ग्रमीण से बातचीत की गई। वहां कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं।

    स्कूल में कभी भी निरीक्षण के लिए जिला शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी अपने दफ्तर से बाहर नहीं निकलते हैं। समय-समय पर यदि स्कूलों की जांच की जाए तो अध्यापक ढिलाई की बजाय गंभीरता से अपने कार्य करते हैं।

    सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार के लिए इनका निरीक्षण जरूरी है। 33 फीसदी से कम परिणाम आना बेहद चिंताजनक है। वह भी उस गांव में जहां से चौधरी सुमेर सिंह बीसला और चौधरी राजेंद्र सिंह बींसला दो विधायक रह चुके हैं। इससे आप जिले के अन्य राजकीय स्कूलों की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं।

    स्कूल का परीक्षा परिणाम बेहद चिंताजनक है। स्कूल में सुधार की जगह परिणाम गिर रहा है। शिक्षा विभाग को स्कूलों के परिणाम को सुधारने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। परिणाम खराब के कारणों की जांच होनी चाहिए। स्कूल का ऐसा परिणाम बच्चों के भविष्य के लिए बेहद चिंताजनक है।-बीर सिंह, ग्रामीण।

    सभी विद्यार्थियों का पेपर बहुत अच्छा हुआ था। हमने जो विद्यार्थी फेल हो गए हैं या जिनकी कंपार्टमेंट आई है, उनका दोबारा जांच के लिए फार्म भरवाया गया है। पिछले साल स्कूल का परीक्षा परिणाम अच्छा आया था, इस बार पता नहीं कैसे बच्चे फेल हो गए है। गांव से दूर होने के कारण स्कूल में अधिक बच्चे भी नहीं आते हैैं। विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए ग्रमीण के साथ पंचायत के माध्यम से भी संपर्क किया गया। बच्चे स्कूल ही नहीं आते हैं तो शिक्षक कैसे पढ़ाएंगे।-अंजू जुनेजा, प्रधानाचार्य, राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय।

    (अजीत सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी)

    दयालपुर के राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के परीक्षा परिणाम से संबंंध में प्रधानाचार्य से कारण पूछा गया है। बोर्ड परीक्षा में बारहवीं के प्रदर्शन को लेकर निदेशालय के उच्च अधिकारियों ने मीटिंग ली है। परीक्षा परिणाम को सुधारने, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और पढ़ाई के लिए बच्चों की मनोस्थिति समझने के लिए कार्यशाला आयोजित की जाएगी।-अजीत सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी।

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