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    Surajkund Mela 2025: पूर्वी उत्तर राज्यों के सांस्कृतिक रंगों की खुशबू से सराबोर होगा मेला, कई कलाकार लेंगे हिस्सा

    Updated: Wed, 27 Nov 2024 05:34 PM (IST)

    Surajkund Mela 2025 38वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला 7 से 23 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा। इस बार मेले में पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक व ...और पढ़ें

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    पूर्वोत्तर राज्यों के रंगों से सजेगा 38वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला। फाइल फोटो

    अनिल बेताब, फरीदाबाद। नए वर्ष में सात से 23 फरवरी तक लगने वाला 38वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला इस बार फिर से पूर्वोत्तर राज्यों के सांस्कृतिक रंगों की खुशबू से सराबोर होगा। असम, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के शिल्पियों के 50 स्टॉल होंगे।

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    लगभग 100 कलाकार मुख्य चौपाल पर नृत्य व गायन से सांस्कृतिक रंग बिखेरेंगे। अब नए वर्ष में पूर्वोत्तर राज्यों की फिर से मेले में सांस्कृतिक भागीदारी रहेगी। पूर्वोत्तर के राज्य पहली बार 2023 में सांस्कृतिक पार्टनर रहे थे। इन राज्यों की शिल्पकला और सांस्कृतिक समृद्धि से प्रभावित होकर ही इन्हें फिर से मौका दिया जा रहा है।

    पूर्वोत्तर राज्यों के साथ पहले ही एमओयू हुआ साइन

    इसके लिए हरियाणा पर्यटन निगम की ओर से पूर्वोत्तर राज्यों के साथ पहले ही एमओयू साइन किया जा चुका है। इसके साथ ही मेले के आयोजन की तैयारी की कड़ी में सात देशों के एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग संगठन बिम्सटेक को प्रमुख रूप से पहले ही जोड़ा गया है।

    सूरजकुंड मेले में पूर्वाेत्तर राज्य के एक स्टॉल पर उत्पाद देखती महिलाएं। जागरण आर्काइव

    इसमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड सदस्य हैं। इस वर्ष फरवरी में आयोजित किए गए 37वें सूरजकुंड मेले में तंजानिया पार्टनर कंट्री तथा थीम स्टेट गुजरात रहा था। अब नए वर्ष में होने वाले मेले में थीम स्टेट के रूप में राजस्थान और मध्य प्रदेश में से एक राज्य को जोड़ा जाएगा।

    पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक समृद्धि करती है आकर्षित पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक समृद्धि आकर्षित करती है। बात चाहे शिल्प कला की हो या नृत्य की। पूर्वोत्तर राज्यों की लकड़ी पर नक्काशी कला पुरानी परंपरा है।

    असम का लोक नृत्य बिहू विश्व प्रसिद्ध

    यहां के शिल्पियों की ओर से बनाई जाने वाली बांस की कृतियां बड़ी प्रसिद्ध हैं। यहां बांस का प्रयोग छतरी के हैंडल, चलने की छड़ियों, शामियानों के खंभों, टोकरियों के साथ ही विभिन्न कृतियां बनाने में किया जाता है। पूर्वोत्तर के शिल्पी बांस से शानदार मुखौटे बनाते हैं।

    महाभारत और रामायण के अलग-अलग पात्रों के बांस से तैयार मुखौटों की खूब मांग रहती है। असम का लोक नृत्य बिहू विश्व प्रसिद्ध है। बसंत ऋतु में आयोजित होने वाले त्योहारों के दौरान बिहू नृत्य की प्रस्तुति की जाती है।

    मिजोरम के सबसे पुराने नृत्यों में से एक

    मणिपुरी नृत्य भारतीय शास्त्रीय नृत्यों की विभिन्न शैलियों में से प्रमुख नृत्य है। बांस नृत्य मिजोरम का पारंपरिक नृत्य है। इसे मिजोरम के सबसे पुराने नृत्यों में से एक माना जाता है। नागालैंड के प्रमुख लोक नृत्यों में बांस तथा तितली नृत्य शामिल है।

    नए वर्ष में लगने वाले मेले में देश-विदेश के पर्यटक पूर्वोत्तर राज्यों की शिल्पकला और संस्कृति का दीदार कर पाएंगे। इसी सप्ताह ही थीम स्टेट का भी चयन कर लिया जाएगा।-यूएस भारद्वाज, नोडल अधिकारी, सूरजकुंड मेला।

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