ऐसे कैसे पढ़ाई करेंगे छात्र! 65 लाख में बनी स्कूल बिल्डिंग को हुए दो साल, न हुई वायरिंग न लगे लाइट-पंखे
फरीदाबाद के गौंछी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 65 लाख की लागत से बना भवन बिजली के इंतजार में है। छात्र खिड़की की रोशनी में पढ़ने को मजबूर हैं क्योंकि वायरिंग नहीं होने से पंखे और ट्यूबलाइट नहीं लग पाए हैं। गर्मी में छात्रों और अध्यापकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिला शिक्षा विभाग को इस बारे में जानकारी नहीं है।

निभा रजक, फरीदाबाद। गौंछी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में करीब 65 लाख की लागत से बनकर तैयार हुए दो मंंजिला भवन में विद्यार्थी खिड़की की रोशनी के सहारे पढ़ रहे हैं।
विकास के दौर में विद्यार्थियों को जरूरी सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। नए भवन में वायरिंग नहीं होने के कारण बिजली का कनेक्शन नहीं हो पा रहा है। जहां एक ओर सरकार स्कूलों में गर्मी से बचाव के लिए बेहतर प्रबंध करने के आदेश जारी कर रही है।
वहीं इस स्कूल में विद्यार्थियों को पंखे की हवा और रोशनी के लिए ट्यूबलाइट तक नसीब नहीं हो पा रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस संबंध में जिला शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को जानकारी ही नहीं है।
2200 से अधिक छात्र करते हैं पढ़ाई
गौंछी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 2200 से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं। अभी दाखिला प्रक्रिया चल रही है। आगामी दिनों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ेगी।
यहां प्राथमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल संचालित होता है। कमरों की कमी को देखते हुए हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद ने वर्ष 2020 में स्कूल में दो मंजिला भवन का निर्माण कार्य शुरू कराया। इसके लिए 65 लाख का बजट अलाट हुआ था।
कोरोना और फिर बजट को लेकर हुई दिक्कतों के कारण काम वर्ष 2023 तक चला। जबकि बिल्डिंग का निर्माण कार्य 2021 तक पूरा करना था।
दो साल बाद भी न हुई वायरिंग न लगी लाइटें-पंखे
अब भवन का काम हुए दो वर्ष हो चुके हैं, पर अभी तक वायरिंग और पंखे तथा लाइटें नहीं लगाई गई हैं, जबकि इसकी जिम्मेदारी भवन निर्माण के बाद ठेकेदार की थी।
बिना निर्माण कार्य पूरा किए ठेकेदार भवन हैंडओवर कर रहा था, लेकिन स्कूल प्रबंधन की ओर से मना कर दिया गया। अब एक अप्रैल से भवन में तैयार दस कमरों में कक्षाएं आयोजित हो रही हैं। यहां गर्मी में विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।
खिड़कियों से आती है गर्म हवा, उमस में भला कैसे हो पढ़ाई
दस अप्रैल को शिक्षा निदेशालय ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को गर्मी से बचाने के लिए कमरों में पंखे, कूलर और ठंडे पेयजल की व्यवस्था करने के आदेश जारी किए थे।
विद्यालयों की खिड़कियों को एल्युमिनियम फाइल, गत्ता या पर्दों से ढंकने के निर्देश दिए गए, जिससे गर्म हवाओं से कक्षाएं सुरक्षित रह सकें, लेकिन जब अंदर कमरों में रोशनी का प्रबंध ही नहीं है गौंछी के सरकारी स्कूल के बच्चों को खिड़की और दरवाजे खोल कर रखने पड़ते हैं।
खिड़की से रोशनी आती है तब उसी के सहारे पढ़ पाते हैं। एक छात्रा ने बताया कि पिछले दिनों जब पारा 40 डिग्री के पार पहुंच गया था और लू चल रही थी, तब कमरों में बैठना तक मुश्किल था।
वहीं एक अन्य छात्र ने बताया कि स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा है और कमरे कम। जिसकी वजह से कक्षाएं आयोजित करने में परेशानी होती है।
गर्मी बढ़ती है तो कमरा तपने लगता है। बहुत मुश्किल से बैठकर पढ़ते हैं। समस्या से अध्यापक भी परेशान हैं क्योंकि अब आगे ज्येष्ठ माह की जब गर्मी पड़ेगी तो पता नहीं कैसे गुजारा होगा।
दीवारों से झड़ने लगा प्लास्टर, खराब निर्माण सामग्री के इस्तेमाल का आरोप
भवन का निर्माण कार्य पूरी तरह से हुआ भी नहीं है। इसी बीच दीवारों से प्लास्टर झड़कर गिरने लग गया है। वर्षा के बाद कमरों की छत टपकने लगती हैं।
आरोप है कि निर्माण सामग्री की गुणवत्ता के साथ समझौता किया गया है। स्थानीय निवासियों ने कहा कि सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार के सिर्फ दावे किए जा रहे हैं, लेकिन वास्तविक स्थिति इससे कोसों दूर है। स्कूलों में विद्यार्थियों पंखे तक की व्यवस्था नहीं है। गर्मी के कारण बुरा हाल हो रहा है।
स्कूल में हुए भवन निर्माण की जांच की जाएगी। कमरों में जल्द बिजली का कनेक्शन शुरू करा दिया जाएगा। जिससे विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार से परेशानी न हो सके। इस संबंध में पहले शिकायत नहीं मिली थी, जल्द समस्या का स्थाई समाधान होगा।-डॉ. मनोज मित्तल, उप जिला शिक्षा अधिकारी।

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