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    1965 Indo-Pak War: हॉकर हंटर के उड़ान भरते ही कांपने लगते थे दुश्मन, पाक सेना पर की थी बमबारी

    फरीदाबाद में युद्ध स्मारक भारतीय सेना के पराक्रम का प्रतीक है। यहां हॉकर हंटर विमान और विजयंता टैंक स्थापित हैं जिन्होंने 1965 और 1971 के युद्धों में दुश्मन को धूल चटाई। हॉकर हंटर जो 1150 किमी/घंटा की गति से उड़ सकता था पाकिस्तानी सेना पर बम बरसाने में सक्षम था। विजयंता टैंक एक स्वदेशी उत्पाद दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में अद्भुत था।

    By Susheel Bhatia Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 11 May 2025 10:38 AM (IST)
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    युद्ध स्मारक में स्थापित है युद्धक विमान हॉकर हंटर। फोटो- जागरण

    सुशील भाटिया, फरीदाबाद। औद्योगिक नगरी फरीदाबाद वीरों की भूमि भी है और प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध सहित 1965 व 1971 और उसके बाद कारगिल के युद्ध में भी हमारे जिले के वीर सैनिकों ने देश की आन-बान-शान की खातिर अपने प्राणों का बलिदान किया।

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    ऐसे ही अमर वीरों की स्मृति में टाउन पार्क सेक्टर-12 के साथ युद्ध स्मारक बना हुआ है, जहां 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर आयोजित होने वाले समारोह से पहले ऐसे वीरों के स्मारक पर मुख्य अतिथि पुष्प चक्र अर्पित करते हैं।

    इसी युद्ध स्मारक में युद्धक विमान हॉकर हंटर और युद्धक टैंक विजयंता मार्क-2 स्थापित हैं। जो हमारे भारतीय थल सेना व वायु सेना के शौर्य व पराक्रम का प्रतीक हैं। इन युद्धक विमान और टैंक के सहारे भारतीय सेना ने 1965 व 1971 के युद्ध में दुश्मन देश की सेना को धूल चटाने का काम किया था और कमर तोड़ दी थी।

    विजयंता टैंक से खौफ खाते थे दुश्मन

    आकाश में हॉकर हंटर उड़ान भरता था तो दुश्मन देश के सैनिकों के हौसले ही पस्त हो जाते थे और बमबारी से बचने के लिए बंकरों में घुस जाते थे, वहीं विजयंता टैंक की गोला फेंकने की अद्भुत क्षमता से दुश्मन सेना पस्त होकर पीछे हट जाती थी।

    हम अपने नौजवानों को इन प्रतीक चिन्हों के माध्यम से ही अपनी सेना के अदम्य साहस और वीरता से परिचित करा सकते हैं। जब भी हमें में युद्ध स्मारक पर जाने का अवसर मिलता है तो हमारे मन-मस्तिष्क में 1965 व 1971 के युद्ध के संस्मरण ताजा हो उठते हैं। युवा पीढ़ी इससे प्रेरणा लेकर भारतीय सेना का हिस्सा बने, हमारी यही इच्छा है।

    -कर्नल ऋषिपाल(सेवानिवृत्त)

    किससे खरीदा गया था हॉकर हंटर?

    युद्धक विमान हॉकर हंटर को भारत सरकार ने यूनाइटेड किंगडम की हॉकर कंपनी लिमिटेड से 1957 में खरीदा था और इसे उसी वर्ष वायु सेना के बेड़े में शामिल कर लिया था। वायु सेना के बेड़े में 14 वर्ष तक शामिल हॉकर हंटर में एयर कमोडोर आरसी गोसाईं उड़ान भरते थे। तब वायु सेना के जवानों व अधिकारियों ने 1965 व 1971 युद्ध में पाकिस्तानी सेना पर खूब बम बरसाए।

    पलक झपकते ही टॉरगेट को ध्वस्त करने में सक्षम

    यह विमान 1150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भरने की क्षमता रखता था और 30 एमएम तोपों, 600 कारतूस, एक हजार पाउंड के दो बम और 72 राकेटों से दुश्मन देश के अड्डों को पलक झपकते ही नेस्तना-नाबूद करने में सक्षम था। जिला सैनिक बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार जब इस विमान की आयु पूरी हो गई तो वायु सेना द्वारा इसे कंडम घोषित कर दिया गया।

    तब हरियाणा सरकार ने हॉकर हंटर विमान को अपने शहर में स्थापित करने की मांग की। वायु सेना ने इस पर सहमति जताई और इसे प्रदेश सरकार को सौंप दिया गया। चूंकि एयर कमोडोर आरसी गोसाईं फरीदाबाद में रहते थे, इसलिए सेक्टर-12 स्थित युद्ध स्मारक में स्थापित करने के लिए फरीदाबाद भेज दिया गया।

    विजयंता टैंक की खासियतें

    • 76एक्स-409वाई मार्का वाला विजयंता टैंक ने दुश्मन के ठिकानों को तहस-नहस करने में अद्भुत क्षमता थी।
    • विजयंता टैंक पर एक समय में एक जेसीओ और तीन जवान तैनात हो सकते थे।
    • यह पूरी तरह से स्वदेशी उत्पाद था और 25 फुट लंबे, 10.6 फुट चौड़े व 9.6 फुट ऊंचाइ्र वाले इस टैंक का निर्माण भारत सरकार की हैवी व्हीकल फैक्ट्री चेन्नई में किया गया था।
    • जुलाई-1971 में भारतीय सेना के बेड़े में शामिल विजयंता टैंक मार्क-2 को शामिल करने के पांचवें महीने में ही दिसंबर में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में जरूरत पड़ गई।
    • 2100 वर्ग मीटर की दूरी तक मार करने वाले इस टैंक से एक साथ तीन राउंड फायर किए जाते थे।
    • इसी खूबी की बदौलत टैंक ने पाकिस्तान के ठिकानों को मिनटों में तबाह कर दिया भारतीय सेना की जीत में नया अध्याय लिखा।
    • 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तान के 93000 सैनिकों के आत्मसमर्पण अवसर का यह टैंक गवाह बना।

    इस युद्धक विमान और टैंक को सेक्टर-12 में स्थापित करने का उद्देश्य यह है कि हमारी युवा पीढ़ी इन्हें देख कर अपने वीर सैनिकों इतिहास, शौर्य व पराक्रम से परिचित हों ताकि उनमें भी देश प्रेम की भावना विकसित हो और जरूरत पड़ने पर जोश के साथ भारतीय सेना का हिस्सा बनें। इसी उद्देश्य के साथ-साथ समय-समय पर स्कूली बच्चों के दल सेक्टर-ृ12 युद्ध स्मारक स्थल पर आते हैं और इनका दीदार करते हैं। यह हमारी सेना के शौर्य, वीरता का प्रतीक हैं।

    -मेजर जनरल एसके दत्त(सेवानिवृत्त)