भादो में खूब बरस रहे बादल, सड़कों पर हुआ जलभराव; आम लोगों का जीना बेहाल
फरीदाबाद में भादो माह की बारिश से उमस से राहत मिली पर जलभराव ने परेशानी बढ़ाई। दिल्ली-आगरा हाईवे सहित कई इलाकों में जलभराव से यातायात बाधित हुआ। पानी निकासी के पर्याप्त इंतजाम न होने से समस्या गंभीर है। जलभराव से निपटने के लिए लाखों खर्च हुए पर स्थायी समाधान नहीं मिला। प्रशासन का दावा है कि जल निकासी व्यवस्था को बेहतर बनाने के प्रयास जारी हैं।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। भादो माह में मेघ खूब बरस रहे हैं। इससे उमसभरी गर्मी से राहत तो मिल रही है लेकिन जलभराव से जूझना पड़ रहा है। मंगलवार को दिन में अलग-अलग समय पर थोड़ी-थोड़ी देर के लिए खूब वर्षा हुई।
दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमाग्र पर सहित शहर के विभिन्न हिस्सों में जलभराव देखा गया। जलभराव की वजह से वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लग गया था। इससे वाहन चालक परेशान रहे।
नहीं हैं पानी निकासी के इंतजाम
दिल्ली-मथुरा हाईवे से लेकर शहर में पानी निकासी के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। यही कारण है कि जब भी वर्षा होती है तो जलभराव हो जाता है। इससे कई घंटे तक वाहनों का आवागमन थम जाता है। जलभराव से हाईवे भी अछूता नहीं रहता है।
सीकरी से लेकर बल्लभगढ़ और बाटा चौक तक लगभग हर चौराहे व सर्विस रोड पर जलभराव होता है। मंगलवार को भी कई जगह सर्विस रोड पर काफी पानी जमा हो गया था। शहर के वाहन चालक अधिकतर सर्विस रोड का ही प्रयोग करते हैं। लेकिन यहां जलभराव होने की वजह से चालकों को परेशानी हुई।
लाखों रुपये खर्च किए, पर समाधान नहीं
हाईवे पर जलभराव के समाधान के लिए कई करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन स्थायी समाधान नहीं मिल पा रहा है। हर बार वर्षा के बाद बुरा हाल होता है। सालभर पहले ओल्ड फरीदाबाद, अजरौंदा की सरपंच कालोनी, खाटू श्याम मंदिर, बाटा, गुडईयर, वाईएमसीए, कैली चौक के पास हाईवे के नीचे बड़ी लाइन डाली है।
इन चौराहों पर चैंबर बना दिए हैं। इससे थोड़ी राहत मिली है। इस पर करीब 10 करोड़ का खर्चा आया है। अजरौंदा चौक पर ही पानी निकासी के नाम पर 1.16 करोड़ रुपये खर्च करने का दावा किया है।
पानी निकासी के इंतजाम और बेहतर किए जा रहे हैं। अधिक वर्षा होने की वजह से कचरा मैनहोल पर जमा हो जाता है। इससे पानी नहीं निकल पाता। श्रमिकों को लगाकर सफाई करा दी जाती है। जहां पानी निकलता, वहां टैंकरों से निकलवा दिया जाता है। जल्द पानी निकासी के स्थायी इंतजाम भी किए जा रहे हैं।
धीरज सिंह, परियोजना निदेशक, एनएचएआई
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