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    फरीदाबाद के ऊंचा गांव में गौशाला की हालत खराब, नगर निगम ने पांच महीने से नहीं दी चारे की सब्सिडी

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 05:05 PM (IST)

    बल्लभगढ़ के ऊंचा गांव गौशाला को नगर निगम द्वारा पिछले पांच महीनों से चारे का अनुदान नहीं मिला है जबकि अन्य गौशालाओं को अनुदान दिया गया है। गौशाला में क्षमता से अधिक गायें होने से चारे की समस्या बढ़ गई है। गौशाला संचालक रुपेश यादव ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से बात की है लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है।

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    ऊंचा गांव गौशाला को नगर निगम द्वारा पिछले पांच महीनों से चारे का अनुदान नहीं मिला है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़। नगर निगम ने पिछले पांच महीने से ऊंचा गांव गौशाला को चारे के नाम पर एक भी रुपये का अनुदान नहीं दिया है। जबकि नगर निगम ने अन्य गौशालाओं को चारे के लिए अनुदान दिया है। नगर निगम सड़कों पर घूमने वाली बेसहारा गायों को पकड़कर गौशाला में छोड़ रहा है।

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    मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देशानुसार गौशाला में केवल 200 गायें ही रखी जा सकती हैं। वर्तमान में यहां 286 गायें हैं।

    ऊंचा गांव गौशाला काफी पुरानी है और इसका क्षेत्रफल एक एकड़ है। पहले यहां 450 गायें रहती थीं। नगर निगम मंत्री विपुल गोयल ने यहां से 300 गायें नूंह की गौशाला में स्थानांतरित कर दीं। यहां केवल 120 गायें ही बचीं। अब नगर निगम अभियान के तहत सड़कों पर घूमने वाली गायों को पकड़कर ऊंचा गांव गौशाला में छोड़ रहा है।

    इस तरह अब यहां गायों की संख्या बढ़कर 281 हो गई है। गौशाला संचालकों को इन गायों को चारा खिलाने में दिक्कत आ रही है।

    गौशाला में रहने वाली गायों के लिए नियमित रूप से 70 से 80 मन (एक मन - 40 किलो) चारा ले जाना पड़ता है। नगर निगम ने पिछले पाँच महीनों से हमारी गौशाला को चारे के लिए कोई अनुदान नहीं दिया है। बरसात में पशुओं की चारे की क्षमता कम हो जाती है और सर्दियों में यह क्षमता बढ़ जाती है। हमने नगर निकाय मंत्री विपुल गोयल, पूर्व मंत्री एवं स्थानीय विधायक मूलचंद शर्मा, उपायुक्त विक्रम सिंह को भी पशुओं के चारे के लिए अनुदान देने की बात कही है, लेकिन अभी तक निगम ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया है। जबकि अन्य दो गौशालाओं को नगर निगम अनुदान दे चुका है। अब निगम गायों को पकड़कर यहाँ छोड़ रहा है।

    -रुपेश यादव, प्रधान गो-गौ मानव सेवा ट्रस्ट

    पहले नगर निगम ऊंचा गांव गौशाला में 450 गायों के लिए तीन लाख रुपये प्रति माह का अनुदान देता था। अब यहाँ से 300 गायें स्थानांतरित कर दी गई हैं। अब यहाँ केवल 120 गायें ही बची हैं। इन गायों के लिए तीन लाख रुपये प्रति माह का अनुदान नहीं दिया जा सकता। हमने अब राज्य गौ सेवा आयोग से दरें ली हैं। इनमें बछड़े के लिए 10 रुपये, गाय के लिए 15 रुपये और गाय के लिए 25 रुपये निर्धारित किए गए हैं।

    अब हम इन दरों के अनुसार नीति बना रहे हैं और नई नीति के अनुसार, गायों की संख्या को देखते हुए अनुदान दिया जाएगा। अनुदान देने से पहले कई अन्य विभागों के अधिकारियों को भी शामिल करना होगा। अगर रूपेश को गौशाला चलाने में दिक्कत आ रही है, तो उन्हें गौशाला और गायों को छोड़ देना चाहिए। वह किसी अन्य संस्था से गौशाला का संचालन करवाएँगे।

    -डॉ. नीतीश परवाल, नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी