यमुना नदी के किनारे इमामुद्दीनपुर गांव में बनेगा पहला एसटीपी, साफ करके नदी में छोड़ा जाएगा सीवेज का पानी
फरीदाबाद में यमुना नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए इमामुद्दीनपुर गांव में पहला एसटीपी बनाया जाएगा। इस एसटीपी में आसपास के कई गांवों का सीवेज साफ करके नदी में छोड़ा जाएगा। एनजीटी के आदेश के बाद यह कदम उठाया जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इस मामले में सख्त है क्योंकि दूषित पानी से खेती और पशुधन प्रभावित हो रहे हैं।

प्रवीण कौशिक, फरीदाबाद। यमुना नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए काम शुरू होने वाला है। ज़िले का पहला एसटीपी इमामुद्दीनपुर गांव में बनाया जाएगा। इस एसटीपी में न केवल इस गांव का बल्कि शाहजहांपुर, फज्जूपुर और चांदपुर का भी सीवेज आएगा, जिसे साफ़ करके यमुना नदी में छोड़ा जाएगा।
वर्तमान में, नदी किनारे बसे गाँवों का सीवेज सीधे नदी में बहता है, जिससे नदी प्रदूषित होती है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) भी इस मुद्दे को लेकर चिंतित है। एनजीटी ने 2019 में आदेश जारी किए थे, लेकिन अब छह साल बाद इसका क्रियान्वयन शुरू हो रहा है। एसटीपी का निर्माण जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाएगा, जबकि ज़मीन सुरक्षित करने की ज़िम्मेदारी खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी की होगी।
इन गाँवों में एसटीपी लगाने की योजना
छांयसा, मोहना, चांदपुर, इमामुद्दीनपुर, शाहजहाँपुर, साहूपुरा, अरुआ और घुड़ासन-बेला के नदी किनारे एसटीपी लगाने की योजना है। हालाँकि, इमामुद्दीनपुर गाँव में दो एकड़ ज़मीन अधिग्रहित की जा चुकी है, जो पंचायत के स्वामित्व में है। मोहना और छांयसा गाँवों में पंचायती ज़मीन नहीं है। एसटीपी बनाने से पहले निजी किसानों की ज़मीन खरीदनी होगी।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी सख्त
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी यमुना में सीवेज गिराने को लेकर सख्त है। मोहना और छांयसा पंचायतों को पहले भी सीवेज सीधे नदी में गिराने के लिए नोटिस भेजे जा चुके हैं। दोनों गाँवों को एसटीपी लगाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अभी तक इस पर अमल नहीं हुआ है। हज़ारों घरों का गंदा पानी यमुना नदी में जा रहा है।
दूषित पानी खेती को भी कर रहा प्रभावित
यमुना नदी का दूषित पानी आम जनता, पशुओं और खेतों सहित सभी को प्रभावित कर रहा है। यमुना नदी के किनारे बसे गाँवों के पशु यमुना नदी का पानी पीते हैं। इससे इन गाँवों में पीने के पानी पर भी असर पड़ रहा है।
ट्यूबवेल के पानी की गुणवत्ता को लेकर बार-बार सवाल उठते रहे हैं। ज़्यादातर गाँवों में पशु यमुना नदी का पानी पीते हैं। इस पानी से हज़ारों हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई होती है। दूषित पानी सब्जियों समेत फसलों पर बुरा असर डाल रहा है। यमुना नदी के किनारे वर्षा जल के कुएँ भी स्थापित हैं, जो शहरवासियों की प्यास बुझाते हैं।
एनजीटी ने यमुना नदी में जल प्रदूषण के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे। आदेश में कहा गया था कि जिले के किसी भी हिस्से से प्रदूषित पानी को यमुना नदी में जाने से रोका जाए। हालाँकि, इस दिशा में अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है।
- एडवोकेट आरसी गोला, सदस्य, टास्क फोर्स यमुना
हम भी चाहते हैं कि यमुना नदी का पानी साफ रहे, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। इसलिए पानी नदी में ही बहता है। अब एसटीपी बनने से हमें भी राहत मिलेगी और गाँव का गंदा पानी साफ होकर नदी में छोड़ा जा सकेगा।
- जगत सिंह भाटी, फज्जूपुर गांव
यहां पंचायत की ज़मीन है। पंचायत ने एक प्रस्ताव पेश किया है। दो एकड़ ज़मीन जन स्वास्थ्य विभाग को सौंप दी जाएगी। इसके बाद एसटीपी का काम शुरू हो सकेगा।
- प्रदीप कुमार, डीडीपीओ
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