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    फरीदाबाद में ठगी की रफ्तार के सामने साइबर थानों का कम पड़ा स्टाफ, एक IO पर 14 मुकदमों का भार

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 10:33 PM (IST)

    फरीदाबाद में साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन ने छह नए साइबर थाने खोलने का प्रस्ताव रखा है। वर्तमान में तीन साइबर थानों में कर्मचारियों की कमी है और प्रत्येक थाने में प्रतिदिन लगभग 19 मामले दर्ज हो रहे हैं। पुलिस विभाग जागरूकता अभियान भी चला रहा है और लोगों को साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहने की सलाह दे रहा है।

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    ठगी की रफ्तार के सामने साइबर थानों का कम पड़ा स्टाफ, एक आइओ पर 14 केसों का भार

    दीपक पांडेय, फरीदाबाद। सरकार और पुलिस महकमे के तमाम प्रयास के बावजूद साइबर ठगी के मामलों में कमी दिखाई नहीं पड़ रही है। बल्कि इसकी रफ्तार की गति इतनी तेज है कि साइबर थानों का स्टाफ कम पड़ गया है। औद्योगिक नगरी में स्थित तीन थानों में प्रतिदिन 57 केस आ रहे हैं। इसका अर्थ है कि एक थाने में साइबर ठगी के रोजाना 19 केस दाखिल हो रहे हैं।

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    छह नए थाने बनाने का प्रस्ताव

    साइबर ठगी के मामलों की रफ्तार को देखते हुए हरियाणा पुलिस हाउसिंग काॅरपोरेशन की ओर से शहर में छह नए साइबर थाने बनाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इन साइबर थानों के साथ स्टाफ की संख्या में भी इजाफा होगा। ताकि मामलों की जांच में तेजी आए। वहीं, इनकी रफ्तार को भी नियंत्रित किया जा सके। अभी शहर में सेक्टर-17 सेंट्रल , बल्लभगढ़ और एनआइटी साइबर थाना हैं।

    तीन थानों में 130 लोगों को स्टाफ

    शहर में तीन साइबर थानों में 130 लोगों को स्टाफ है। जिसमें से 72 जांच अधिकारी शामिल है। हर माह एक थाने में 70 मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। पुलिस विभाग की माने तो एक जांच अधिकारी पर इस समय 14 केसों का भार है। इन केसों की जांच को पूरा करने में पांच से छह माह का समय लग रहा है। पुराने केस की जांच पूरी होने तक नए मामलों की संख्या बढ़ जाती है। हर माह करीब 15 करोड़ रुपये के ठगी के मामले एक थाने में दर्ज होते हैं।

    छह तरह की ठगी के मामले अधिक

    • ऑटो डेबिट : इसमें पीड़ित के खाते में से अचानक रुपये कट जाते हैं। लेकिन पीड़ित को पता नहीं चल पाता है।
    • परिचित बनकर : इसमें ठग दोस्त, माता पिता, भाई रिश्तेदार बनकर बात करता हैं। और मदद के नाम पर ठगी करता हैं।
    • कस्टमर केयर प्रतिनिधि बनकर : इन मामलों में ठग कस्टमर केयर का अधिकारी या कर्मचारी बनकर बात करता है।
    • शेयर मार्केट : शेयर मार्केट में टास्क देकर ठगी करते हैं।
    • इंटरनेट मीडिया : यहां पर लोगों की फर्जी आइडी बनाकर रुपये लेते हैं।
    • क्रेडिट डेबिट कार्ड : इन मामलों में ठग क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से रुपये निकालते हैं।

    डिजिटल अरेस्ट का कोई कानून ही नहीं

    "डिजिटल अरेस्ट का कोई कानून ही नहीं हैं। कोई सीबीआइ या इडी अधिकारी बनकर काल करता हैं तो घबराए नहीं क्योंकि डिजिटल अरेस्ट का कोई कानून ही नहीं होता हैं। अज्ञात नंबर से आया कोई भी लिंक नहीं खोले। किसी को खाते की जानकारी शेयर नहीं करे। खुद की सावधानी ही ठगी से बचने का सबसे बड़ा हथियार हैं।"

    -मोनिका, एसीपी साइबर

    आठ माह से चला रहे अभियान

    "साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस पिछले आठ माह में 3500 लोगों को अलग-अलग जगहों पर जागरूक कर चुकी है। इनमें काॅलेजों और नौकरी-पेशा लोग भी शामिल है। वहीं पिछले आठ माह में पुलिस ने 13 करोड़ रुपये होल्ड या लीन करवाए हैं। साइबर थानों की बढ़ती रफ्तार के चलते छह नए साइबर थानों का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसके लिए नई जगह भी तलाशी जा रही है। थानों का प्रस्ताव तैयार करवाकर जल्द ही मुख्यालय भेज दिया जाएगा।"

    -शमशेर सिंह, एसडीओ हरियाणा पुलिस हाउसिंग काॅरपोरेशन

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