दयालपुर-अरुआ नर्सिंग कालेज का गृह मंत्री अमित शाह ने किया वर्चुअली उद्घाटन, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
बल्लभगढ़ के दयालपुर और अरुआ गांव में सात साल से बन रहे राजकीय नर्सिंग कॉलेज का निर्माण पूरा हो गया है। गृहमंत्री अमित शाह ने कुरुक्षेत्र से ऑनलाइन इसका उद्घाटन किया। 2018 में शुरू हुई इस परियोजना का उद्देश्य क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना और युवाओं को नर्सिंग की शिक्षा के अवसर प्रदान करना है। अब यह कॉलेज पूरी तरह तैयार है।

जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़। पिछले सात वर्षों से दयालपुर और अरुआ गांव में बनाए जा रहे राजकीय नर्सिंग कालेज का निर्माण कार्य अब पूरा हो गया है। धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इनका आनलाइन उद्घाटन कर इसे नर्सिंग कोर्स शुरू करने के लिए समर्पित कर दिया है। नर्सिंग कालेज शुरू होने से स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
2018 में योजना को मंजूरी देकर शुरू हुआ था निर्माण कार्य
2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पृथला क्षेत्र के तत्कालीन विधायक टेकचंद शर्मा की मांग पर दयालपुर में और केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की मांग पर अरुआ में नर्सिंग कालेज बनाने की योजना को मंजूरी देकर निर्माण कार्य शुरू करा दिया। दोनों नर्सिंग कालेज के निर्माण कार्य की जिम्मेवारी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण(एचएसवीपी) को सौंपी गई थी।
कोरोना काल के चलते निर्माण की रफ्तार हो गई थी धीमी
इनका शुरुआत में बजट 38-38 करोड़़ रुपये मंजूर किया था। बीच में तीन वर्ष तक काेरोना काल होने के कारण इनका निर्माण कार्य रुक गया। 2023 में दोनों को बनाकर तैयार कर दिया। जब दोनों नर्सिंग कालेज को स्वास्थ्य विभाग को सौंपने के लिए एचएसवीपी ने कहा तो स्वास्थ्य विभाग के निदेशक ने कालेजों का दौरा किया। इसमें तब कई कमियां बताई गई।
इन कमियों को पूरा करने के लिए एचएसवीपी ने फिर नौ-नौ करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया। अब दोनों कालेज बन कर पूरी तरह से तैयार हो गए हैं। दयालपुर कालेज को तैयार करने में 45 करोड़ और अरुआ नर्सिंग कालेज के बनाने में 47.44 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
युवा वर्ग के लिए नर्सिंग की पढ़ाई के लिए मिलेंगे अवसर
इससे जिले के युवाओं को अब पढ़ाई का अच्छा मौका मिलेगा। उन्हें नर्सिंग कोर्स करने के लिए निजी कालेजों में दाखिला लेने के लिए प्रबंधन को मुंह मांगी राशि नहीं देनी पड़ेगी ऑर दूसरे प्रदेशों में नहीं जाना पड़ेगा। जिले में जो बड़े अस्पताल संचालक हैं, उनकी नर्सिंग स्टाफ के लिए दूसरे प्रदेशों खास तौर से केरल पर निर्भरता कम होगी। इस तरह से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के साधन बढ़ेंगे।
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