Faridabad News: 100 साल बाद दोहराया जाएगा इतिहास, बाढ़ प्रभावित दो गांवों को नई जमीन पर बसाने की तैयारी
यमुना में बाढ़ से प्रभावित लतीफपुर और दूल्हेपुर गांवों को सरकार मोठूका पंचायत की जमीन पर बसाने की तैयारी कर रही है। पहले भी 1924 में शाहजहांपुर को बाढ़ से बचाने के लिए दूसरी जगह बसाया गया था। ग्रामीणों ने उपायुक्त से प्लॉट की मांग की थी ताकि उन्हें हर साल बाढ़ का सामना न करना पड़े। प्रशासन इस योजना पर काम कर रहा है।

सुभाष डागर, बल्लभगढ़। यमुना की बाढ़ से होने वाली तबाही से दो गांवों को बचाने के लिए सरकार उन्हें नई ज़मीन पर बसाने की तैयारी कर रही है। 100 साल पहले भी ऐसा किया गया था। 1924 में बाढ़ से बचाने के लिए शाहजहाँपुर को चांदपुर और साहूपुरा खादर में अरुआ पंचायत की ज़मीन पर बसाया गया था। अब एक बार फिर लतीफपुर और दूल्हेपुर गांवों को मोठूका पंचायत की ज़मीन पर बसाने का काम शुरू हो गया है।
अगस्त महीने में जब बाढ़ आई, तो हर साल की तरह इस बार भी प्रशासन ने नदी पार उत्तर प्रदेश के ज़िले में स्थित लतीफपुर और दूल्हेपुर दोनों गांवों के ग्रामीणों को निकालकर अरुआ गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बनाए गए राहत शिविर में ठहराया। जब गांव में ग्रामीण ही नहीं होंगे, तो उनके जानवरों को चारा-पानी कौन देगा, इसी बात को ध्यान में रखते हुए वे अपने जानवरों को भी साथ ले आए।
इन दोनों गांवों की आबादी 700 है और यहां 350 मतदाता हैं। दो एकड़ जमीन में प्लॉट दिए जाएंगे। इन ग्रामीणों को हर साल यमुना में बाढ़ का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों को अपने सामान का भी नुकसान उठाना पड़ता है। इसकी भरपाई करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है।
ग्रामीणों ने उपायुक्त से प्लॉट की मांग की
जब दुल्हापुर और लतीफपुर के ग्रामीण बाढ़ राहत शिविर में रह रहे थे, तब उपायुक्त विक्रम सिंह दौरे पर आए थे। जब उपायुक्त ग्रामीणों से उनकी समस्याओं के बारे में पूछ रहे थे, तो ग्रामीणों ने उत्तर प्रदेश से हरियाणा तक 100-100 गज के प्लॉट की मांग की। ताकि उन्हें हर साल बाढ़ का सामना न करना पड़े और प्रशासन को भी कोई परेशानी न हो।
ग्रामीणों की बात सुनने के बाद, उपायुक्त ने योजना पर विचार करने को कहा। इस योजना पर जिला पंचायत उपायुक्त और विकास अधिकारी प्रदीप कुमार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है।
1924 में नई जमीन पर बसे थे दो गांव
1924 में यमुना में बाढ़ आई थी। उस समय संयुक्त पंजाब के गुरुग्राम ज़िले के उपायुक्त अंग्रेज़ अधिकारी एलएफ ब्रेन थे। एलएफ ब्रेन उस समय यमुना का दौरा करने आए थे। उन्होंने बाढ़ में डूबे शाहजहाँपुर को चांदपुर और साहूपुरा खादर में अरुआ की पंचायती ज़मीन पर बसाने का आदेश दिया था।
शाहजहांपुर और साहूपुरा खादर की पंचायती ज़मीन में से उतनी ही जमीन संबंधित गाँव की पंचायत को दी गई जितनी इन गांवों की आबादी बसी थी। इसी योजना के तहत अब दूल्हेपुर और लतीफ़पुर को नई ज़मीन पर बसाने का काम चल रहा है।
हमारा गांव हर साल यमुना की बाढ़ से प्रभावित होता है। नदी पूर्व दिशा में बहती है। अगर गांव नदी के पश्चिम में किसी गांव की पंचायती ज़मीन पर बसा दिया जाए, तो बाढ़ से क्षतिग्रस्त होने वाले घरों को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
-नरेश कुमार, लतीफपुर
यमुना में बाढ़ आने पर ऐसा लगता है जैसे हम अभी भी खानाबदोश जीवन जी रहे हैं। जानवरों, ज़रूरी कागज़ात और जेवरों को साथ लेकर हमें यमुना पार पश्चिम दिशा में अरुआ के बाढ़ शिविर में रहना पड़ता है। चोरी का डर रहता है।
-सुरजीत सिंह, दूल्हेपुर
मैंने स्वयं ग्रामीणों के साथ मिलकर उपायुक्त से किसी गांव की पंचायती जमीन पर प्लॉट देकर हमें बसाने की मांग की है। प्रशासन ने हमारी योजना पर काम शुरू कर दिया है।
-ताराचंद भाटी, सरपंच साहूपुरा खादरा
मोठूका की पंचायती ज़मीन पर दोनों गांवों को 100-100 गज के प्लॉट देने की योजना बनाई जा रही है। प्लॉट सर्किल रेट के हिसाब से दिए जाएंगे। उपायुक्त ने योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उपायुक्त इसे सरकार को मंज़ूरी के लिए भेजेंगे। मोठूका की पंचायत को इससे कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि उन्हें सर्किल रेट के हिसाब से ही कीमत दी जाएगी।
-प्रदीप कुमार, जिला पंचायत एवं विकास अधिकारी फरीदाबाद
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