फरीदाबाद के ग्रीन फील्ड कॉलोनी में लगी आग, शॉर्ट सर्किट से तीन की मौत
फरीदाबाद की ग्रीन फील्ड कॉलोनी में शॉर्ट सर्किट से एक दर्दनाक हादसा हुआ। एक इमारत में आग लगने से एक परिवार के तीन सदस्यों की दम घुटने से मौत हो गई जबकि एक सदस्य घायल है। पड़ोसियों और पुलिस की तत्परता से अन्य लोगों की जान बचाई गई। खराब वायरिंग को हादसे का कारण माना जा रहा है।

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। सूरजकुंड रोड स्थित ग्रीन फील्ड कॉलोनी की चार मंजिला इमारत में पहली मंजिल पर रहने वाले पड़ोसी के एसी में आग लगने से दूसरी मंजिल पर रहने वाले तीन लोगों की जान चली गई। धुएं के कारण तीनों का दम घुट गया।
परिवार के एक बेटे को छत पर बनी सीढ़ियों का दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला गया। उसकी जान तो बच गई, लेकिन उसका अस्पताल में इलाज चल रहा है। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। मौके पर पहुंची पुलिस और दमकल कर्मियों ने चौथी मंजिल पर रहने वाले सात अन्य लोगों को छत के रास्ते बाहर निकाला।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, धुएं में दम घुटने के कारण उन्हें सीढ़ियों से नीचे उतरने का मौका नहीं मिला, हालांकि, थोड़ी सी समझदारी दिखाई जाती तो तीनों को बचाया जा सकता था।
ग्रीन फील्ड कॉलोनी के बी ब्लॉक की चार मंजिला इमारत में शेयर मार्केट ट्रेडिंग कारोबारी सचिन कपूर (52) अपनी पत्नी रिंकू (43), बेटी सुजैन (13) और बेटे आर्यन (24) के साथ दूसरी मंजिल पर रहते थे। राकेश मलिक, पत्नी रितु मलिक, बेटा दिव्यांश और बेटी जाह्नवी इसी बिल्डिंग में पहली मंजिल पर रहते हैं।
सचिन कपूर ने बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर अपना बिजनेस ऑफिस बना रखा था। रजत गोयल का परिवार चौथी मंजिल पर रहता है। रितु मलिक के मुताबिक आधी रात के बाद करीब सवा तीन बजे उनकी नींद खुली तो आउटडोर एसी में आग लगी देखी।
आग देखकर उन्होंने बेटे दिव्यांश, बेटी दिव्यांशी और पति राकेश मलिक को जगाया। दस मिनट में ही आग पूरी दूसरी मंजिल पर फैल गई। रितु के मुताबिक नीचे जाते समय उन्होंने करीब साढ़े तीन बजे दूसरी मंजिल पर रहने वाले सचिन कपूर को बाहर आने के लिए आवाज लगाई। उस समय सचिन का बेटा आर्यन अपने कमरे में जाग रहा था। आर्यन ने भी खिड़की से बाहर देखा तो आग की लपटें दिखाई दीं।
धुआं सचिन के कमरे और सीढ़ियों तक फैल गया। रितु नीचे आईं और डायल 112 और दमकल विभाग को सूचना दी। सचिन ने बेटी और पत्नी के साथ पहली मंजिल से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन आग की लपटें देखकर सचिन बेटी और पत्नी के साथ ऊपर छत पर भागे।
छत की सीढ़ियाँ बंद थीं। इस दौरान चारों तरफ धुआँ ही धुआँ था और सीढ़ियों के पास ही उनका दम घुट गया। पड़ोस की बिल्डिंग में रहने वाले विमलेश और उनके बेटे मयंक ने बाल्टी से पानी डालकर आग बुझाने की कोशिश की। लेकिन जब आग नहीं बुझी, तो मयंक छत के रास्ते सचिन की बिल्डिंग में गए। वहाँ उन्होंने गेट तोड़ा, जिससे धुआं बाहर निकला और फिर आर्यन को छत के रास्ते बाहर निकाला।
शीशा चुभने से आर्यन का पैर भी फ्रैक्चर हो गया। आर्यन को बाहर निकालने के बाद जब पुलिस और दमकल कर्मी स्थानीय लोगों के साथ सचिन, रिंकू और सुजैन को बाहर निकालने पहुँचे, तो वे सीढ़ियों पर बेहोश मिले। उन्हें छत के रास्ते बाहर निकाला गया। फिर उन्हें एम्बुलेंस से सेक्टर-21सी एशियन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।
ग्रीन फील्ड थाने की टीम ने चौथी मंजिल पर रहने वाले सात लोगों के परिवार को भी छत के रास्ते बाहर निकाला। बिल्डिंग में धुआँ फैलने के बाद रजत और उनका परिवार बालकनी की ओर चला गया। इससे उन्हें साँस लेने का मौका मिला।
समय पर मदद मिलती तो बच सकती थी जान
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अगर सचिन का परिवार आग लगने के दौरान बालकनी में आकर वहाँ से कूद जाता, तो उनकी जान बच सकती थी। चोरी रोकने के लिए छत का दरवाज़ा बंद था। इसलिए दरवाज़ा नहीं खुल सका।
आस-पास रहने वाले लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से ग्रीन फील्ड में चोरी की कई घटनाएँ हो रही हैं। इसलिए सुरक्षा के लिए सभी लोग सीढ़ियों का दरवाज़ा बंद रखते हैं। इसकी चाबी चौथी मंजिल पर रहने वाले रजत गोयल के परिवार के पास थी। अफरा-तफरी में उन्होंने चाबी ढूँढने की कोशिश भी की। लेकिन धुएँ और आग के कारण माहौल पूरी तरह से दमघोंटू हो गया था। जिसके कारण उन्हें चाबी नहीं मिल पाई।
पांच साल पहले ही ग्रीन फील्ड आया था परिवार
सचिन के भाई नितेश कपूर ने बताया कि वह 200 मीटर की दूरी पर रहते हैं। उनके भाई का परिवार पाँच साल पहले ही ग्रीन फील्ड में शिफ्ट हुआ था। इससे पहले दोनों परिवार सेक्टर-37 में रहते थे। लेकिन परिवार बढ़ने के बाद, दोनों भाइयों ने पास ही ग्रीन फील्ड कॉलोनी में एक फ्लैट ले लिया।
ग्रीन फील्ड चौकी टीम ने दिखाई हिम्मत, सात लोगों को बचाया
आर्यन को छत से बचाने वाले मयंक ने बताया कि ग्रीन फील्ड चौकी टीम ने हिम्मत दिखाई और सात लोगों को बचा लिया। अगर टीम समय पर पहुँचकर इमारत में प्रवेश नहीं करती, तो और भी कई लोगों की जान जा सकती थी।
खराब वायरिंग बनी आग का कारण
रितु मलिक के अनुसार, आग का कारण खराब वायरिंग हो सकती है। वह लगभग पाँच साल पहले इस इमारत में शिफ्ट हुई थीं। तब से, वायरिंग में समस्या आ रही है। फ्लैट खरीदने से पहले, उन्होंने बिल्डर से वायरिंग बदलने के लिए कहा था। लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया। इसके बाद, उन्होंने खुद वायरिंग बदलने के बारे में सोचा, लेकिन यह हादसा हो गया।
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