ESIC अस्पताल में दवाओं की कमी और भारी मात्रा में एक्सपायरी, प्रबंधन की लापरवाही पर जांच शुरू
फरीदाबाद के ईएसआईसी अस्पताल में प्रबंधन की लापरवाही से लाखों रुपये की दवाएं एक्सपायर हो गईं। एक्सपायर दवाओं को स्टोर से निकालकर योगशाला में रखा गया है। अस्पताल प्रबंधन ने जांच शुरू कर दी है। जांच में फार्मासिस्ट और स्टोर इंचार्ज जैसे अधिकारी दायरे में आ सकते हैं। कोरोना काल से ही दवा के रिकॉर्ड का मिलान नहीं किया गया जिसके कारण यह लापरवाही सामने आई।

अनिल बेताब, फरीदाबाद। एक तरफ तो ईएसआइसी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल में आने वाले मरीजों को पूरी दवाएं नहीं मिलने की शिकायतें सामने आती हैं। दवाओं की कमी को लेकर अक्सर मरीज नाराजगी जताते हैं। दूसरी ओर प्रबंधन की उदासीनता के चलते भारी मात्रा में दवाएं एक्सपायर हो गई। लाखों रुपये कीमत की यह दवाएं एक्सपायर होने के बाद स्टोर से निकाल कर योगशाला में रखवाई गई हैं।
खरीद में अनियमितता
अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है और एक्सपायरी दवाओं के मामले में अगर सही तरीके से जांच की गई तो संबंधित फार्मासिस्ट, स्टोर इंचार्च अधीक्षक तथा उप अधीक्षक भी कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं। असल में दवा के स्टाक की निगरानी की जिम्मेदारी इनकी ही होती है।
आमतौर पर जब दवा की एक्सपायरी नजदीक आ जाती है तो लगभग तीन महीने पहले ही इसकी फाइल तैयार कर ली जानी चाहिए, मगर यहां ऐसा नहीं किया गया। अब जब पिछले महीने दवाओं और उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं की बात सामने आई। इस मामले में ईएसआई मुख्यालय की ओर से काॅलेज के डीन डाॅ. एके पांडेय तथा पांच फार्मासिस्टों को निलंबित कर दिया गया है।
बड़ी मात्रा में एक्सपायरी दवाएं मिलीं
इसके बाद हाल ही में डाॅ. कालीदास दत्तात्रेय चव्हाण ने डीन के रूप में कार्यभार संभाला है। उच्च अधिकारियों के आदेश पर नए डीन ने स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीद और मरीजों को दी गई दवा के रिकाॅर्ड का मिलान शुरू कर दिया है। दवा स्टोर की जांच की गई तो यह बात सामने आई कि यहां बड़ी मात्रा में एक्सपायरी दवाएं भी उपलब्ध हैं।
यह हाल तब है जब आए दिन यहां आने वाले मरीज दवाओं की कमी को लेकर नाराजगी जताते नजर आते हैं। हाल ही में कई कार्डधारकों ने दवा की कमी को लेकर डीन से मिल कर नाराजगी जताई थी।
दवा के रिकाॅर्ड का नहीं किया गया मिलान
अस्पताल में दवा के रिकाॅर्ड का समय-समय पर मिलान होना चाहिए, जो कि नहीं किया गया। इसलिए अब बड़ी लापरवाही सामने आई है। असल में यह लापरवाही काेरोना संकट के समय से ही शुरू हो गई थी। पूरा स्टाफ कोरोना से निपटने में लग गया था। काेरोना से बचाव को भारी मात्रा में दवाएं खरीदी गईं। जब कोरोना संकट गया ताे फिर स्टाफ को ध्यान ही नहीं रहा कि स्टाक को चैक करना है। यह लापरवाही लगातार जारी रही।
यह हैं जिम्मेदार
दवा की जरूरत की बात करें तो कई मामलों में डाॅक्टर स्टोर को मांग लिख कर देता है। ऐसा गंभीर बीमारियों के मामले में होता है। हार्ट, ब्रेन, किडनी संबंधी बीमारियों के मामले में डाॅक्टर ही स्टोर को दवा के बारे में जानकारी देते हैं। आमतौर पर फार्मासिस्ट प्रतिदिन की जरूरत के अनुसार दवा की फाइल तैयार करता है।
स्टोर इंचार्ज से स्वीकृति के बाद ई फाइल को उप अधीक्षक, फिर चिकित्सा अधीक्षक के पास भेजी जाती है। इसके बाद डीन की अंतिम स्वीकृति के बाद दवा मंगवाई जाती है। अगर स्टोर में रखी किसी दवा की खपत कम होती है और उसकी एक्सपायरी डेट नजदीक आने वाली होती है तो लगभग तीन महीने पहले ही मुख्यालय को दवा के बारे में जानकारी दी जाती है, जिससे कि समय रहते जरूरत के अनुसार अन्य अस्पतालों में दवा का इस्तेमाल किया जा सके।
इसके अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर अगर दवा की खरीदारी हुई है तो संबंधित दवा विक्रेता को जानकारी दी जाती है, ताकि रिप्लेसमेंट लेकर आर्थिक नुकसान से बचा जा सके। मगर किसी भी मामले में यहां गंभीरता नहीं बरती गई। अब स्टोर से एक्सपायरी दवा के कार्टून को योगशाला में रख दिया गया है। यहां कोरोना संकट के दौर में मंगवाई गई पीपीई किट भी रखी गई हैं।
अस्पताल का कोई भी अधिकारी
यह बताने को तैयार नहीं है कि कितनी मात्रा और कितनी राशि की दवा एक्सपायर हुई है। कालेज के डीन डा. कालीदास दत्तात्रेय चव्हाण ने इतना ही कहा कि अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक इस मामले में बेहतर जानकारी दे पाएंगे।
जांच के बाद होगा खुलासा
एक्सपायरी दवा के मामले में जांच कमेटी बना दी है। बेसमेंट में बने स्टोर से बहुत सी एक्सपायरी दवाओं को अलग करके योगशाला में रखा गया है। इन दवाओं की मात्रा और राशि के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
-डाॅ. संदीप कुमार, चिकित्सा अधीक्षक
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