कहीं देखी है ऐसी क्लास! बच्चों के पीठ पीछे लगा है डिजिटल बोर्ड, कहीं लटका है कपड़ा; इंटरनेट के इंतजार में बना शोपीस
फरीदाबाद के सरकारी स्कूलों में छात्रों को डिजिटल शिक्षा देने के उद्देश्य से लगाए गए डिजिटल बोर्ड इंटरनेट और बैकअप की कमी के कारण शोपीस बन गए हैं। 2018-19 में स्थापित इन बोर्डों में से 25 से अधिक फरीदाबाद और बल्लभगढ़ ब्लॉक में खराब हो चुके हैं जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का प्रयास बाधित हो रहा है। शिक्षा विभाग ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया है।

निभा रजक, फरीदाबाद। विद्यार्थियों को डिजिटल ज्ञान देने और अध्यापकों की सुविधा के लिए लगभग सभी सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड वर्ष 2018-19 में लगवाए गए। लेकिन इंटरनेट और बैकअप की सुविधा नहीं होने के कारण ज्यादातर स्कूलों डिजिटल बोर्ड पर कक्षाएं आयोजित नहीं हो सकीं।
हालात यह हैं कि फरीदाबाद और बल्लभगढ़ ब्लाक के करीब 25 से अधिक सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड खराब हो गए हैं। एक डिजिटल बोर्ड पर एक से डेढ़ लाख रुपये खर्च आया था, आज यह स्कूलों में सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं।
सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और विद्यार्थियों को डिजिटल लर्निंग से जोड़ने के लिए लाखों रुपये खर्च कर डिजिटल बोर्ड उपलब्ध कराए हैं। लेकिन कई स्कूलों में इनका सही तरीके से उपयोग नहीं हो रहा है।
दैनिक जागरण की टीम ने जिला के राजकीय स्कूलों में इसकी पड़ताल की। आश्चर्य की बात तो यह है कि माडल संस्कृति स्कूलों में एक भी डिजिटल बोर्ड नहीं चल रहे हैं। राजकीय माडल संस्कृति प्राथमिक पाठशाला लालपुर, पल्ला नंबर एक, सेक्टर-दो, सेक्टर-तीन और सेक्टर-37 में दो-दो डिजिटल बोर्ड लगवाए गए थे।
पिछले कई महीने से इन स्कूलों में दोनों ही बोर्ड खराब पड़े हैं। अध्यापकों ने बताया कि सरकार की ओर से बोर्ड तो दे दिए गए, लेकिन व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई। स्कूलों में न तो इंटरनेट की सुविधा और न ही बिजली बैकअप। ऐसे में ज्यादातर समय डिजिटल बोर्ड बंद पड़े रहते हैं।
बंद पड़े हैं डिजिटल बोर्ड, सुध लेने वाला कोई नहीं
राजीव कालोनी स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में तीन डिजिटल लैब लगाए गए हैं। इनमें से दो खराब होने के कारण बंद पड़े हैं।
जबकि माडल संस्कृति स्कूल नचौली में दोनों, राजकीय कन्या माडल संस्कृति प्राथमिक पाठशाला में एक, राजकीय प्राथमिक पाठशाला में बुढैना में एक, राजकीय माडल संस्कृति प्राथमिक पाठशाला सेक्टर-29 में दोनों, ऊंचा गांव में एक, बाजरी में एक और छीरसी के स्कूल में एक स्मार्ट बोर्ड खराब है।
इन्हें ठीक कराने के लिए किसी भी प्रकार का पिछले सात वर्षों में बजट जारी नहीं हुआ है। शिक्षा विभाग इसकी सुध नहीं ली है।
अधिकांश सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड चल रहे हैं। जिन स्कूलों में खराब हो गए हैं उनकी मरम्मत कराई जाएगी। स्कूलों को इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। सभी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड पर अनिवार्य रूप से पढ़ाई कराई जाएगी। लापरवाही बरतने वाले स्कूलों के मुखिया और प्रधानाचार्यों की जवाबदेही होगी।
-डॉ. मनोज मित्तल, उप जिला शिक्षा अधिकारी।
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