अरावली में जल संरक्षण चेक डैम से बढ़ेगा भूजल स्तर, फरीदाबाद के कई गांवों को होगा बड़ा लाभ
फरीदाबाद में अरावली पहाड़ियों पर वर्षा जल संचयन के लिए चेकडैम बनेंगे। प्राधिकरण सर्वेक्षण कर ढलान वाले क्षेत्रों में बांध बनाएगा जिससे भूजल स्तर बढ़ेगा। अरावली की तलहटी में बसे गांवों को लाभ मिलेगा और जलभराव से राहत मिलेगी। सरकार और अरावली बचाओ संगठन मिलकर काम करेंगे। रावली बचाओ संगठन पहले भी यह प्रयोग कर चुका है लेकिन यह छोटे पैमाने पर था।

प्रवीण कौशिक, फरीदाबाद। अरावली पहाड़ियों में वर्षा जल संचयन की तैयारियां चल रही हैं। मानसून के दौरान पहाड़ियों से बहने वाले वर्षा जल को संग्रहित करने के लिए चेकडैम (छोटे बांध) बनाए जाएंगे। इस जल को संग्रहित करके तालाबों में परिवर्तित किया जाएगा ताकि भूजल स्तर बढ़े और साल भर पशुओं को पानी मिल सके। फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण इस दिशा में काम करने की योजना बना रहा है।
जल्द ही एक सर्वेक्षण किया जाएगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि पानी कहाँ बहता है और बांध बनाए जाएंगे। इससे अरावली की तलहटी में बसे एक दर्जन से ज़्यादा गांवों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है। इससे पहाड़ी पानी से होने वाले जलभराव से भी राहत मिलेगी। याद रखें, हर मानसून में पहाड़ियों से पानी तेज़ी से गाँवों में बहता है और सेक्टरों तक पहुंचता है।
चेकडैम क्या होते हैं?
चेकडैम मिट्टी, पत्थर या सीमेंट और बजरी से बना एक अवरोध होता है, जो किसी भी जल प्रवाह के बीच बनाया जाता है। इस बांध का उपयोग ऊबड़-खाबड़ इलाकों में वर्षा जल को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है। अक्सर पानी का बहाव बहुत तेज़ होता है, जिसे बाद में रोककर इकट्ठा किया जाता है। यह बाँध एक गहरा तालाब भी बनाता है। बांध में जमा पानी लगातार तालाब को भरता रहता है।
अरावली पहाड़ियों की तलहटी में भूजल स्तर
अरावली पहाड़ियों की तलहटी में बसे गाँव, जिनमें मेवाला महाराजपुर, अनखीर, बड़खल, अनंगपुर, लकड़पुर, भांखरी, पाली, धौज, मांगर, सिलाखारी, कोट, सिरोही, खोरी जमालपुर, गोथरा मोहताबाद आदि शामिल हैं, डार्क ज़ोन में हैं। यहाँ जल स्तर 500 से 700 फीट तक है, जिससे ग्रामीणों को परेशानी होती है। इसके अलावा, पहाड़ियों में पानी की कमी के कारण जानवर रिहायशी इलाकों में खिंचे चले आते हैं। सड़क पार करते समय दुर्घटनाओं में तेंदुए मारे गए हैं।
अरावली हर लिहाज से महत्वपूर्ण
अरावली पहाड़ियों के जंगल इस औद्योगिक शहर के फेफड़ों की तरह काम करते हैं। इसकी हरियाली दिल्ली और गुरुग्राम व फरीदाबाद सहित आसपास के शहरों को भरपूर ऑक्सीजन प्रदान करती है। अरावली पहाड़ियों की असली खूबसूरती मानसून के मौसम में निखर कर सामने आती है। विभिन्न स्थानों पर कलकल करते झरने फूटते हैं और इन झरनों से प्रतिदिन पानी बहता रहता है।
सरकार भी गंभीर
अरावली पहाड़ियों में जल संरक्षण को लेकर सरकार भी गंभीर है। शहरी विकास मामलों के लिए मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार डी.एस. ढेसी ने प्राधिकरण के अधिकारियों को इस दिशा में काम करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए, प्राधिकरण के अधिकारी वानिकी के लिए एक नो-कमेटी भी प्राप्त करेंगे, क्योंकि इसके बिना वहाँ कोई भी गतिविधि नहीं की जा सकती।
अरावली बचाओ संगठन पहले भी यह प्रयोग कर चुका है, लेकिन यह छोटे पैमाने पर था। चूँकि संगठन आपस में चंदा इकट्ठा करता है, इसलिए उपलब्ध धनराशि के आधार पर चेकडैम बनाए गए। इससे कई तालाब ओवरफ्लो हो गए और कई महीनों तक पानी से भरे रहे। प्राधिकरण इस कार्य में संगठन के अधिकारियों की सहायता भी ले सकता है।
अरावली पहाड़ियों में चेकडैम बनाने की योजना पर काम शुरू हो गया है। इसके लिए एक सर्वेक्षण की आवश्यकता है। ढलान वाले क्षेत्रों की पहचान की जाएगी।
- विशाल बंसल, मुख्य अभियंता, प्राधिकरण
अरावली पहाड़ियों में चेकडैम बनाना एक बड़ी सफलता होगी। हर साल पहाड़ियों से बहता पानी अनखीर गाँव में प्रवेश करता है और फिर आस-पास के सेक्टरों में बह जाता है। इससे जलभराव और पानी की बर्बादी होती है। चेकडैम पहाड़ियों के भीतर पानी का संरक्षण करेंगे।
- एडवोकेट कैलाश बिधूड़ी, सदस्य, सेव अरावली फाउंडेशन और अनखीर गांव निवासी
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